कदम बढ़ाइए जिंदगी छूटने न पाए

‘‘सुबह की सैर के बारे में आप का क्या खयाल है?’’

‘‘सैर, वह भी सुबह की… अरे, समय ही नहीं मिलता…’’

किसी भी महिला से पूछ कर देखिए, यही जवाब मिलेगा. अगर आप का भी यही जवाब है तो यह लेख आप के ही लिए है.

‘जीवन चलने का नाम… चलते रहो सुबहोशाम…’ 70 के दशक की हिंदी फिल्म ‘शोर’ के इस लोकप्रिय गीत में जैसे जीने का सार छिपा है. जी हां, चलना ही जीवन की निशानी है. जब तक कदम चलेंगे तब तक जिंदगी चलेगी.

आज की इस अतिव्यस्त जीवनशैली में हम जैसे चलना भूल ही गए हैं. हमें खुद से ज्यादा मशीनों पर भरोसा होने लगा है. मशीनें हमारी मजबूती नहीं, बल्कि मजबूरी बन गई हैं. इन पर हमारी निर्भरता इतनी अधिक हो गई है कि हम ने अपनी निजी मशीन यानी शरीर की साजसंभाल लगभग बंद ही कर दी है. नतीजा, इस कुदरती मशीन को जंग लगने लगा है, इस के पार्ट्स खराब होने लगे हैं.

बस इतना ध्यान रखें

आज के इस दौर में लगभग हर वह व्यक्ति जो 40 पार जाने लगा है, किसी न किसी शारीरिक परेशानी से जूझ रहा है. कई बीमारियां जैसे मानसिक तनाव, दिल की बीमारियां आदि तो 40 की उम्र का भी इंतजार नहीं करतीं. बस, जरा सी लापरवाही की नहीं की व्यक्ति को तुरंत अपनी गिरफ्त में ले लेती है.

डायबिटीज, रक्तचाप, थायराइड, मानसिक तनाव हो या गर्भावस्था, डाक्टर सब से पहले मरीज को सुबहशाम घूमने की सलाह देते हैं. यह सब से सस्ता और आसान व्यायाम है, जिसे किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है. कहते हैं कि सुबह की सैर व्यक्ति को दिनभर ऊर्जावान रखती है, मगर यदि किसी कारणवश सुबह सैर का वक्त न मिले तो शाम को भी की जा सकती है. बस, इतना ध्यान रखें कि दोपहर के भोजन और सैर के बीच कम से कम 3-4 घंटे का अंतराल अवश्य रखें.

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नियमित सैर के शारीरिक फायदे

– सैर करने से हड्डियां मजबूत होती हैं. जोड़ों और मांसपेशियों को नई ऊर्जा मिलती है.

– रक्त प्रवाह सही रहता है जो हृदय को स्वस्थ रखता है.

– पाचनतंत्र मजबूत होता है.

– रक्त में शर्करा का स्तर सामान्य रखने में भी सैर बहुत लाभदायक है.

– मोटापा कम होता है. शरीर स्वस्थ और आकर्षक रहने से आत्मविश्वास बढ़ता है.

– दिमाग तरोताजा और क्रियाशील रहता है.

– आसपास दिखने वाली हरियाली आंखों को सुकून और ठंडक देती है.

नियमित सैर के सामाजिक फायदे

सैर करने के कई सामाजिक फायदे भी हैं, मगर इस का अर्थ यह कदापि नहीं है कि आप अपनी सैर भूल कर गप्पबाजी करने लगें. इस के लिए सैर करने के बाद कुछ समय पार्क में शांति से बैठें, प्रकृति को नजदीक से महसूस करें और अपने आसपास के माहौल में घुलनेमिलने का प्रयास करें.

– यदि आप नियमित सैर पर जाती हैं तो बहुत से नए लोगों से आप की जानपहचान बनती है और आप का सामाजिक दायरा विस्तृत होता है.

– आसपास की वे ताजा खबरें मिल जाती हैं, जो सामान्यता अखबार में नहीं होतीं.

– विचारों का आदानप्रदान होने से नए विचार जगह बनाते हैं और आप की क्रियाशीलता बढ़ती है.

– जानेअनजाने कई सामाजिक समस्याओं के समाधान मिल जाते हैं.

– कई बार आपसी जानपहचान रिश्तेदारी में भी बदल जाती है.

– यदि आप क्रियाशील व्यक्तित्व की स्वामिनी हैं तो नियमित सैर करना आप के लिए किसी वरदान से कम नहीं. सैर करते समय दिमाग बहुत क्रियाशील रहता है

और आप को बहुत से नए आइडियाज आ सकते हैं जो आप की क्रियाशीलता को बढ़ाएंगे.

हालांकि सैर करना सब से आसान व्यायाम कहलाता है मगर फिर भी ये सावधानियां रखना अतिआवश्यक है:

सैर के दौरान क्या करें

– सैर करने का समय निश्चित रखें और इस का पालन करें.

– सैर चाहे सुबह हो या शाम, हमेशा आरामदायक जूते पहन कर ही करें.

– इस दौरान पहने जाने वाले कपड़े भी आरामदायक होने चाहिए.

– सैर के लिए किसी हरियाली वाली जगह को ही चुनें. हरेभरे पार्क आप को अपनी सैर नियमित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

– सैर करते समय थोड़ी गहरी सांसें लें.

– यदि लंबी सैर करनी हो तो अपने साथ पानी की बोतल अवश्य रखें.

– सैर के समय पेट खाली रखें.

– सर्दियां हों तो आवश्यक गरम कपड़े पहन कर सैर पर जाएं.

– अतिआवश्यक कार्य निबटा कर सैर पर निकलें ताकि दिमाग व्यर्थ में उल?ो नहीं.

सैर के दौरान क्या न करें

– पहले ही दिन ज्यादा सैर करने की न सोचें अन्यथा अधिक थकान होने से आगे के लिए उत्साह मंद पड़ सकता है.

– सैर न करने के बहाने न खोजें

– सैर करते समय बातें न करें.

– सैर करते समय पहने जाने वाले कपड़े न तो अधिक ढीले हों और न ही ज्यादा कसे हुए.

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– सैर करने के लिए ऐसी जगह न चुनें, जिस  में घुमाव या मोड़ अधिक हों. जगह समतल और एकसार होनी चाहिए ताकि गति में लय बनी रहे.

– सैर करते समय मुंह से सांस न लें.

– इयरफोन लगा कर गाने सुनें, मगर आवाज तेज न रखें.

– शारीरिक चोट के दौरान सैर करने से बचें.

पैदल चलने के फायदे

जब भी फिटनैस की बात होती है, तब पैदल चलना सब से सरल और अधिक असरदार माना जाता है. जो भी सजग हैं और बढ़ती उम्र को थाम लेना चाहते हैं, अच्छी सेहत के आनंद से वंचित नहीं रहना चाहते वे इस के लिए सब से बढ़िया नुसखा आजमाते हैं और पैदल चलना शुरू कर देते हैं.

पैदल चलना सब से सस्ता तरीका है जिस में आप को ज्यादा कुछ नहीं करना है, बल्कि अपने घर से सिर्फ निकलना है.

इन सरल नियमों का पालन कीजिए और हर दिन खुश और स्वस्थ रहिए :

1. रोजाना आदत डालें :

पैदल चलने को अपनी दिनचर्या में जितनी जल्दी हो शामिल कर लें यह. अन्य व्यायाम की तुलना में चलने में सब से ज्यादा आनंद आता है. चलते वक्त आप संगीत भी सुन सकते हैं और यदि आप अपने जीवनसाथी या फिर मित्र को भी अपने साथ चलने के लिए बुला लें तो और भी बेहतर है.

2. किसी उपकरण की जरूरत नहीं :

फिटनैस ऐक्सपर्ट्स भी कहते हैं कि प्रतिदिन हर व्यक्ति को सुबह व शााम पैदल चलना ही चाहिए. यह एक ऐसा व्यायाम है जिसे करने के लिए न ही किसी उपकरण की जरूरत होती है और न ही किसी पर निर्भर रहना पड़ता है. सबसे अच्छी बात यह कि किसी भी उम्र का व्यक्ति कभी भी कहीं भी कुछ मिनट के लिए पैदल चल सकता है.

3. अवसाद खत्म करता है :

पारंपरिक तौर पर सुबह के समय पैदल चलना ही सर्वोत्तम माना गया है. लेकिन अगर आप किन्हीं वजहों से आप सुबह के समय पैदल नहीं चल पाते हैं तो फिर आप को अपनी दिनचर्या के हिसाब से जब भी वक्त मिले पैदल चलने की कोशिश जरूर कीजिए. अगर आप दिन में नहीं जा सकते तो शाम को व दोपहर को भी घर से पैदल निकला जा सकता है. चिकित्सक कहते हैं कि पीठ पर पड़ती धूप और पैदल चलना अवसाद को मिटा देता है.

4. आरामदायक तरीका :

नियमित पैदल चलने के लिए आरादायक कपड़े पहनें. वैसे तो लोगों को जिस तरह के कपड़े पहनने की आदत होती है वही उन के लिए सब से आरामदायक होता है. लेकिन कसी जींस या साड़ी जैसे कपड़ों को पहनने से बचना चाहिए. सलवारकुरता या ट्रैकसूट जैसे कपड़े चलने के लिए आरामदयक होते हैं.

ऐसे करें शुरुआत : शुरुआत में आप थोड़ा कम भी चल सकते हैं. इस क्षमता को धीरेधीरे बढ़ाया जा सकता है. शुरू में आप 3 किलोमीटर चल रहे हैं तो 1-2 हफ्ते में उसे बढ़ा कर 5 किलोमीटर भी कर सकते हैं. लेकिन यह अपनी शरीर की ऊर्जा और क्षमता के अनुपात में ही करिए.

5. शरीर को स्वस्थ रखता है :

अगर पैदल चलना अपने जीवन का एक अभियान बना लिया है, तो यह बुखार, जुकाम, खांसी, सिरदर्द, बदन दर्द, थकान, कमजोरी, बाल गिरना, अवसाद, हताशा, घबराहट, मधुमेह, थायराइड आदि बीमारियों को वैसे भी दूर से भगा देगा.

खास खयाल : यह खास खयाल रखें कि मोबाइल का उपयोग करते हुए पैदल न चलें. यह घातक है साथ ही हमेशा फुटपाथ का ही इस्तेमाल करें पर जहां फुटपाथ न हो, वहां सड़क के दाहिनी ओर चलें.

ऐसे में आप को विपरीत दिशा से आ रहे वाहन आसानी से नजर आ जाएंगे, जबकि बाईं ओर चलने पर पीछे से आने वाले वाहनों के बारे में मालूम नहीं पड़ेगा. फुटपाथ न होने पर आप हादसे का शिकार हो सकते हैं.

कहां टहलनें :

यों तो पैदल चलने के लिए हराभरा क्षेत्र अच्छा होता है. अगर आप शहर में रहते हैं तो आप को आसपास ऐसे बगीचे अथवा पार्क भी मिल जाएंगे जहां जा कर आप सैर कर सकते हैं. बाग और हरीहरी घास में नंगे पाव चलना भ्रमण का महत्त्व बढ़ा देता है.

अगर यह नहीं हो पा रहा है तो महानगरों में पैदल चलने का शौक रखने वाले लोगों के लिए यह अनिवार्य है कि जहां क्रौसिंग हो, उसी के जरीए सड़क पार करें. मगर जहां उस की व्यवस्था न हो, वहां पर दोनों तरफ ट्रैफिक लाइट और वाहन देखने के बाद ही कदम आगे बढ़ाएं. फुटओवर ब्रिज और सबवे का इस्तेमाल करना एक समझदारी और सुरक्षा भरा उपाय है.

कई फायदे : पैदल चलने के कई फायदे हैं. यह दिल के मरीजों से ले कर घुटने के दर्द से परेशान लोगों को राहत दे सकता है. कमरदर्द का तो यह मुफ्त इलाज है ही साथ ही चुस्त बना कर सुस्ती का नामोनिशान तक मिटा देता है .

बेहतर बनाएं याद्दाश्त : पैदल चलना भूलने की समस्या दूर करने के लिए भी कारगर माना जाता है. पैदल चलने के बाद याद्दाश्त पहले के मुकाबले बेहतर हो जाती है. बगीचे अथवा पार्क में हरी दूब पर पैदल चलना आखों के लिए किसी औषधि से कम नहीं है.

शरीर रखता है फिट : अगर हर दिन 20 मिनट भी चलने लगें तो शरीर में शर्करा का स्तर संतुलित रह सकता है. एक आम स्वस्थ व्यक्ति के लिए रोजाना 40 से ले कर 80 मिनट तक के पैदल चलने को आदर्श माना जाता है.

6. ताकि आराम से चल सकें :

पैदल चलना है और काफी लंबा चलना है तो इस के लिए जूते पहनें ना कि चप्पलें. इस से किसी प्रकार की मोच या असंतुलन की स्थि‍ति नहीं बनेगी. पहने गए जूते आरामदायक हों ताकि चलते समय तकलीफ न हो.

7. चलने का सही तरीका :

चलते समय अपने हाथों को नीचे की ओर रखें और हाथ हिलाते हुए चलें. इस से शरीर में ऊर्जा का संचार होगा और स्फूर्ति बनी रहेगी. चलते समय किसी प्रकार का मानसिक तनाव न रखें.

8. संतुलित आहार जरूरी :

पैदल चलने का काम शुरू करते समय और समाप्त करते समय हमेशा चलने की गति धीमी रखें. इस के साथ ही सुबह की सैर के पश्चात संतुलित आहार की ओर भी विशेष ध्यान देना चाहिए.

9. उर्जा बढाएं :

बहुत सारे लोग तो घर की छत पर ही 40-50 मिनट पैदल चल कर अपनी रचनात्मक ऊर्जा बढा लेते हैं. मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि कल्पना, रचना, सृजन, सकारात्मक यह सब उन लोगों में भरपूर मिलता है जो हर दिन कम से कम 1 घंटा पैदल चलते हैं.

10. सुंदर एहसास :

जब नियमित पैदल चलने की आदत बन जाती है तब यह महसूस होता है कि सुंदर तितलियां, चिड़िया भी हमारे आसपास खुशी से मंडराती चली आई हैं और हवा के स्पर्श से ही मौसम के बदलाव को महसूस करने लगते हैं. यह एक चकित करने वाला एहसास होता है, पर असल में यह गुण पहले ही हमारे अंदर उपस्थित रहता है.

11. सब से खास और अलग व्यायाम :

यह तो मानना ही पड़ेगा कि बाकी तरह के व्यायामों की तुलना में चलने में सब से ज्यादा आनंद आता है. अगर हम अपनेआप को एक तरह के अनुशासन मे ढाल लें और पैदल चलने की मानसिकता को दिनचर्या का हिस्सा बना लें तो काफी सुंदर अनुभवों से खुद को सराबोर कर सकते हैं.

12. खूब लगती है भूख :

चिकित्सक भी यह साबित कर चुके हैं कि रोज 40 मिनट पैदल चलने वालों को खूब खुल कर भूख लगती है साथ ही खाना आसानी से पच भी जाता है. बगैर किसी खर्च के शरीर को तराशना है तो पैदल चलना कुदरत का निशुल्क उपहार है.

13. रोमांचक अनुभव :

खुद के लिए घर के भीतर बनाई गई सुविधाजनक दीवार से बाहर आ कर अपनी देह को आनंदित होने देना चाहिए. बेहतरीन सेहत के लिए प्रकृति को सूक्ष्मता से सीखनासमझना बहुत जरूरी है. जीवन का हर आम दिन हमें तैयार करता है उस रोमांचक अनुभव के लिए.

हमें नियमित पैदल चल कर एक खिलाड़ी की तरह हर दिन की शुरुआत करनी चाहिए.

14. बनिए स्मार्ट :

पैदल चलना न सिर्फ मोटापे को दूर करता है, बल्कि पेट की चर्बी खत्म कर आप को स्मार्ट भी बनाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि रोजाना पैदल चलने वालों का शरीर हमेशा स्वस्थ रहता है.

ध्यान दें : जब भी पैदल टहलने निकलें तो न तो जेब में मोबाइल रखें और न ही कानों में लीड लगाए संगीत सुनें. ऐसा करना आप के लिए असुरक्षित हो सकता है.

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