‘‘सुबह की सैर के बारे में आप का क्या खयाल है?’’
‘‘सैर, वह भी सुबह की... अरे, समय ही नहीं मिलता...’’
किसी भी महिला से पूछ कर देखिए, यही जवाब मिलेगा. अगर आप का भी यही जवाब है तो यह लेख आप के ही लिए है.
‘जीवन चलने का नाम... चलते रहो सुबहोशाम...’ 70 के दशक की हिंदी फिल्म ‘शोर’ के इस लोकप्रिय गीत में जैसे जीने का सार छिपा है. जी हां, चलना ही जीवन की निशानी है. जब तक कदम चलेंगे तब तक जिंदगी चलेगी.
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