Summer Wedding : गर्मी में शादी अटेंड करनी हो, तो रखें इन बातों का ख्याल

Summer Wedding : मौसम कोई भी हो, शादी अटेंड करने का उत्साह ही अलग होता है. लेकिन ज्यादा गर्मी का मौसम अपने आप में कई परेशानियां लेकर आता है और ऐसे में यदि आपको शादी में जाना हो, तो समझ ही नहीं आता कि क्या पहना जाए और कैसे खुद का ख्याल रखा जाएं ताकि अच्छी तरह शादी अटेंड की जा सकें. इसलिए शादी गर्मियों में है, तो ये स्मार्ट हैक्स को जरूर अपनाएं.

खुद को हाइड्रेट (Hydrate) रखें

कई बार शादी की भागदौड़ में हम खुद का ख्याल रखना ही भूल जाते हैं और नतीजा होता है कि ऐन शादी वाले हम लो फील करते हैं और वीकनेस इतना हो जाती है कि शादी का वो पहले वाला एक्साइटमेंट कहीं छूमंतर हो जाता है. अब इसमें गलती भी तो आपकी ही है न. पहले ही अपना धयान न रहकर खुद को इतना थका लेंगे तो फिर एन्जौय कैसे करेंगे.

इसलिए शादी में काफी भागदौड़ और नाचगाना होता है जिसमें आपकी काफी एनर्जी और पसीना निकल जाता है इसीलिए उसकी भरपाई करना बहुत जरूरी है. शरीर में पानी की कमी ना होने दें. आज कल की शादियों में आपको नींबू पानी से लेकर नारियल पानी तक सभी ऑप्शन्स मिल जाएंगे, तो इन्हें पीते रहें. बीच बीच में आराम भी करते रहें.

योर बौडी नीड रेस्ट

जी हां, माना एक्साइटमेंट का लेवल काफी हाई है लेकिन उसका मतलब ये नहीं है न कि खुद को पूरा ही थका दो. इस तपतीझुलसती गर्मी में आपके शरीर को आराम की जरूरत है. पूरी 8 घंटे की नींद ना सही लेकिन कोशिश करें कि दिन में आधेआधे घंटे के 1-2 पावर नैप्स जरूर ले लें. रात को भी चाहे नींद कम हो लेकिन रिलैक्सिंग हो. तब आप कल की साड़ी चिंता छोड़कर आराम से सोये. तभी कल आपका दिन अच्छा बीतेगा वरना सुस्ती और आलस आपके एन्जौयमेंट की बैंड ना बजा दें तो कहना.

मेकअप करते समय धयान दें

सबसे पहले आपको यह तय करना है कि आप इंडीविजुअल अपनी  पर्सनैलिटी पर धयान देना चाहती हैं या आपका कंपटीशन डायरेक्ट ब्राइड से है. नहीं न, तो फिर हमारी सलाह माने तो मेकअप हैवी नहीं बल्कि लाइट ही रखें. आजकल वैसे भी नेचुरल लुक्स का जमाना है. हां, इतना जरूर याद रखें कि सारा मेकअप वाटरप्रूफ हो ताकि गर्मी में पसीने के साथ बह ना जाये. साथ ही पाउडर और मैटिफाइंग प्रोडक्ट्स का ही इस्तेमाल करें. मेकअप पूरा होने के बाद मेकअप फ़िक्सर का यूज़ करना ना भूलें.

फुटवियर कंफर्टेबल पहनें

शादी के समय घंटों खड़े रहना पड़ता है. जिससे पैरों में दर्द हो जाता है इससे बचने के लिए स्टाइलिश और कुशनिंग वाले फुटवियर को चुनें जिससे आपको कंफर्टेबल महसूस हो जैसे आप, फ्लैट्स या लो-हील सैंडल्स ले सकते हैं.

हेयरस्टाइल सिंपल और टिकाऊ रखें

गर्मियों के समय हेयरस्टाइल सिंपल रखें क्योंकि घने बालों में गर्मी ज्यादा लगती है. इस मौसम में खुले बाल रखें मतलब खुद के साथ टौर्चर करने जैसा होगा. इसलिए बन या ब्रेडेड हेयरस्टाइल्स अपनाएं जो स्मार्ट लुक के साथ आपको गर्मी से बचाएं.

Perfume और डिओड्रेंट यूज़ करें

अकसर गर्मियों के समय अधिक पसीना आता है जिससे पसीने की बैड स्मैल जैसी समस्याएं होने लगती है. इससे बचने के लिए लौन्गलास्टिंग डिओड्रेंट का इस्तेमाल करें.

बहुत ज्यादा खाने से बचें

जब भी हम किसी शादी या फंक्शन में जाते हैं तो स्वाद और तरहतरह की फूड आइटम को ट्राई करने के चक्कर में जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं. ऐसा करना बाद में आपको कष्ट देगा. इससे आपका पाचन खराब होगा, पेट संबंधी समस्याएं होंगी, वजन बढ़ेगा और कई अन्य रोगों का जोखिम भी बढ़ेगा. इसलिए बेहतर है कि भूख के अनुसार सीमित मात्रा में ही खाना खाएं.

स्टाइलिश लेकिन कम्फर्टेबल आउटफिर कैरी करें

साड़ी विद वेल्ट

गर्मी के मौसम में आप शिफॉन फैब्रिक की साड़ी का चयन कर सकती हैं. इस साड़ी पर बेल्ट होनी चाहिए जो इसे एक अलग ही स्टाइल देगी. अगर सर्जरी के साथ बेल्ट नहीं है तो आप अलग से भी खरीद सकते हैं.

टिश्यू फैब्रिक की साड़ी

टिश्यू फैब्रिक की साड़ी आजकल काफी ट्रेंड में है. इसके साथ मैचिंग ब्लाउज़ इसमें जान दाल देता है. यह साड़ी वैसे तो काफी हलकी होती है लेकिन इस पर किया गया कुंदन और जरदोज़ी का काम इसे हैवी लुक देता है.

नेट साड़ी

नेट की साड़ी हमेशा से आल ओवर रही है. इसका फैशन कभी आउट नहीं होता और समर सासिओं के लिए तो यह बेस्ट औप्शन है. गर्ल्स इसे पेह कर पूरी बौडी फ्लौन्ट कर सकती हैं.

लाइट वेट ड्रिप की हुई साड़ी पहने

शादी में साड़ी पहनना सबको पसंद आता है लेकिन गर्मी के मौसम में हेवी सिल्क और मोटी कढ़ाई वाली साड़ियों से बचकर रहें. किसके पास इतना समय है कि वह इस मौसम में प्लीट्स को एडजस्ट कर सके, पल्लू को संभाल सके. ऐसे में पहले से ड्रेप की हुई साड़ियां सही रहती हैं, जो सभी बड़े और छोटे फंक्शन के लिए परफेक्ट और ईजी हैं.

काफ्तान लुक हैवी ड्रेस

गर्मी की शादी के लिए फ्लोई काफ्तान आपका सबसे अच्छा दोस्त होना चाहिए. यह कम्फर्टेबल फिटिंग, ब्रीजी सिलूएट और खूबसूरत ड्रेप क साथ आपको कॉन्फिडेंट दिखाने के साथ ग्लैमरस लुक भी देगा. चाहे वह संगीत की रात के लिए एम्ब्रॉइडर्ड सिल्क काफ्तान हो या दिन के समय मेहंदी के लिए लाइट ऑर्गेन्जा फैब्रिक का काफ्तान, यह ड्रेस पूरी तरह से गेम चेंजर है.

को और्ड सेट

अब यह तो आपको किसी ने नहीं कहा कि आप हर वक्त शादी में भरी बहरी लहंगे ही पहने. बल्कि स्टाइलिश सिंपल ड्रेस में भी आप गजब कर सकती हैं.जैसे वेलकम लंच, शादी के बाद ब्रंच या कम्फर्टेबल कॉकटेल इवनिंग के लिए स्टाइलिश कोऔर्ड सेट सबसे बढ़िया है. चाहे वह स्टेटमेंट ब्लाउज के साथ फ्लोई पलाज़ो सेट हो, स्ट्रक्चर्ड टॉप के साथ ड्रेप्ड स्कर्ट हो या ब्रीजी शरारा सेट हो, को और्ड क्यूट दिखने के साथ कम्फर्टेबल भी होते हैं.

लहंगे भी हो कुछ ऐसे

गर्मी में लाइट शिफौन, जौर्जेट या और्गेन्जा फैब्रिक के लहंगे सही रहते हैं, जो आपको बिल्कुल भी हेवी नहीं महसूस कराते हैं. अगर यह क्यूट पेस्टल या फ्लोरल प्रिंट में है तो और ज्यादा खूबसूरत और परफेक्ट दिखता है.

Crochet : शौक के साथ ऐक्सरसाइज भी है क्रोशिया

Crochet : किसी जमाने में हर घर में क्रोशिया से बुनी तकिए के कवर, रूमाल, शोपीस और अन्य सामान आसानी से देखे जाते थे. बदलते वक्त और भागदौड़ भरी जिंदगी में घरों और बाजारों से क्रोशिया की बुनी हुई चीजें गायब सी होती चली गई थीं लेकिन इन दिनों एक बार फिर क्रोशिया से बने कपड़ों और ज्वैलरी के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ा है.

क्रोशिया एक फ्रैंच शब्द है जिस का मतलब है ‘हुक’. यानि क्रोशिया एक प्रकार की हुकदार लगभग 6 इंच लंबी सलाई का नाम है जिस से ‘लेस’ या ‘जाली’ हाथों से बुनी जाती है. इस से बुने काम को क्रोशिए का काम कहते हैं. अंगरेजी में क्रोशिया क्रोशे (crochet) कहलाता है.

लेस 3 प्रकार से बनाई जाती है- बौबिन से, क्रोशिया से और सलाइयों से. इस तरह क्रोशिया लेस बनाने के 3 प्रकारों में से एक है.

क्रोशिया से काम करने के फायदे

क्रोशिया करना एक रचनात्मक और फायदेमंद गतिविधि है जो कई तरह के मैंटल और फिजिकल बैनिफिट्स देती है. यह तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है, साथ ही यह ध्यान केंद्रित करने, रचनात्मकता को बढ़ावा देने और शारीरिक गतिविधियों को बेहतर बनाने में भी सहायक है.

क्रिएटिविटी को बढ़ावा देता है

क्रोशिया करने से क्रिएटिविटी को बढ़ावा मिलता है और नए और अनोखे तरीके से सोचने की क्षमता विकसित होती है. जब आप अपनी समझ से नएनए डिजाइन बनाते हैं, तो एक खुशी का भी एहसास होता है.

फिजिकल ऐक्टिविटी को बेहतर बनाता है

क्रोशिया करने से हाथों और उंगलियों की ऐक्टिविटी बढ़ती है, जो फिजिकल ऐक्टिविटी को बेहतर बनाने में मदद करती है. इस से पूरे हाथ की ऐक्सरसाइज होती है. इस से मसल्स मजबूत बनती है और हाथों की कलाई और अंगूठे में होने वाली कपल टर्नल सिंड्रोम जैसे बीमारियां जो आज बहुत कौमन है उन से राहत मिलती है.

कम्युनिटी स्प्रिट को बढ़ावा देता है

क्रोशिया एक सोशल ऐक्टिविटी है, जो लोगों को एकसाथ आने और बातचीत करने का अवसर प्रदान करती है. पहले के टाइम में भी बहुत सी महिलाएं एक ही जगह पर पार्क या फिर किसी के घर इकठ्ठा हो कर क्रोशिया करती थीं और काम के साथसाथ घंटों बातें कर अपना टाइम भी पास करती थीं.

सस्ती और पोर्टेबल

क्रोशिया करने के लिए बहुत अधिक खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है. यह एक पोर्टेबल गतिविधि है जिसे आप कहीं भी कर सकते हैं.

यार्न क्राफ्ट आप को खुश करता है

शौक नाटकीय रूप से आप के मूड और जीवन की प्रोडक्टिविटी को बढ़ाते हैं. शौक मजबूत रिश्ते बनाते हैं, आप को अपनी सोसाइटी में शामिल रखते हैं और एक औब्जेक्टिव फीलिंग देते हैं. साथ ही आप अपने पसंदीदा टीवी शो को देखते हुए पूरी तरह से उपयोगी चीजें बना सकते हैं.

आप के गिफ्ट की कीमत मेहनत होगी

अगर आप ने कभी किसी को हाथों से बुना हुआ या क्रोकेटेड स्कार्फ दिया है तो आप समझ जाएंगे कि हमारा क्या मतलब है. यह ऐसी चीज है जिसे हमेशा पैसे से नहीं खरीदा जा सकता और बहुत से लोग समय और मेहनत की सराहना करते हैं जो आप किसी खूबसूरत चीज को बनाने में लगाते हैं.

यार्न क्राफ्ट मोबाइल जैसी बुरी आदत को छोड़ने का एक अच्छा तरीका है

अगर आप धूम्रपान, स्मोकिंग या फेसबुकिंग छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, तो यार्न क्राफ्ट आप के लिए सब से बढ़िया टूल होगा. जब आप अपने हाथों को किसी और काम से रोकने की कोशिश कर रहे हों, तो यह आप के हाथों को व्यस्त रखेगा.

स्ट्रैस को खत्म करता है क्रोशिया

क्रोशिया करने की दोहरावदार और एक ही चीज पर फोकस करने वाली क्रिया मन को शांत करती है और चिंता और तनाव को कम करने में मदद करती है. जब हम कुछ ऐसा करते हैं जो हमें पसंद होता है, तो हमारा मस्तिष्क डोपामाइन नामक रसायन छोड़ता है, जो हमारी फीलिंग्स को प्रभावित करता है.

क्रोशिया का काम करने के लिए क्या चाहिए

क्रोशिया हुक सुई की तरह का उपकरण है जिस का उपयोग धागों को लूप करने के लिए किया जाता है. यार्न (धागा) सूती, ऊनी या रेशमी धागा इस्तेमाल किया जा सकता है. कटिंग टूल्स जैसेकि कैंची, जो धागों को काटने के लिए उपयोग होते हैं.

कैसे किया जाता है

कपड़ा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण एक हुक वाली सुई है, इसलिए इस कला को ‘क्रोकेट’ नाम मिला. क्रोकेट सुइयों को कभीकभी शेफर्ड हुक भी कहा जाता है और यह आमतौर पर स्टील, लकड़ी, प्लास्टिक और अतीत में हाथी दांत से भी बनाई जाती है. इस प्रक्रिया में बस सूत या धागे के लूप को आपस में जोड़ कर कपड़ा बनाया जाता है. बुनाई के विपरित जहां एक समय में कई टांके खुले रहते हैं, क्रोकेट में  प्रत्येक टांका अगले टांके के शुरू होने से पहले पूरा हो जाता है.

दरअसल, क्रोशिए की लेस बनाने में 2 सलाइयों द्वारा केवल एक धागे को बुना जाता है, पर चाहे तो अन्य रंग भी ले सकते हैं. वैसे तो किसी भी रंग के धागे से लेस या क्रोशिए का काम बुना जाता है पर सर्वप्रिय तथा कलात्मक सफेद रंग ही रहा है. इस काम में धागे को सलाइयों या हुक पर लपेटते और मरोड़ी (गांठे) बनाते चलते हैं. क्रोशिए के हुक से लंबी लेस या झालर, गोल मेजपोश तथा चौकोर परदे आदि वस्तुएं बनाई जा सकती हैं. धागे के अनुसार काम भी मोटा या महीन होगा. क्रोशिए का काम रेशमी, सूती और ऊनी तीनों प्रकार के धागों से किया जाता है पर अधिकतर सूती धागा ही बरता जाता हैं.

डिजाइनों में ज्यामितिक आकार, फूलपत्तियां, पशुपक्षी और मनुष्याकृतियां बनाई जाती हैं. डिजाइन को घना बुना जाता है और आसपास के स्थान को जाली डाल कर. इस प्रकार आकृतियां बहुत स्पष्ट और उभरी दिखती हैं.

क्रोशिया का काम कैसे करें

क्रोशिया (Crochet) में हुक का इस्तेमाल कर के धागों को आपस में जोड़ा जाता है. इसे ही क्रोशिया का काम कहा जाता है. इस तकनीक का उपयोग कर के आप कई तरह की वस्तुएं जैसेकि कपड़े, खिलौने, और घर की सजावट के लिए चीजें बना सकते हैं. ऐसी कोई भी चीज बनाने के लिए आप काम करने के लिए एक धागा लें और हुक की मदद से एक लूप बनाएं.

धागे को लूप में से खींचें और फिर एक नया लूप बनाएं. इस प्रक्रिया को दोहराते हुए आप स्टिच बना सकते हैं.

विभिन्न प्रकार के स्टिच का उपयोग कर के आप विभिन्न डिजाइन बना सकते हैं, जैसेकि लेस, झालर, मेजपोश साथ में और भी बहुत कुछ.

कुछ सामान्य क्रोशिया स्टिच

सिंगल क्रोशिया (Single Crochet) : यह सब से बुनियादी स्टिच है, जो लूप में से एक धागा खींचने और फिर 2 लूप में से एक साथ खींचने से बनता है.

डबल क्रोशिया (Double Crochet) : यह एक स्टिच है जिस में लूप में से 2 धागे खींचने और फिर 3 लूप में से एकसाथ खींचने से बनता है.

ट्रिपल क्रोशिया (Triple Crochet) : यह एक स्टिच है जिस में लूप में से 3 धागे खींचने और फिर 3 लूप में से एकसाथ खींचने से बनता है.

डिजाइन बनाने में समय

कुशन कवर को बनाने में 2-3 दिन लगते हैं, तो स्वेटर बनाने में 1 हफ्ते का समय लगता है. कुछ और बनाने में लगने वाला समय आप की क्षमता और कार्य पर डिपैंड करता है.

Home Decor Hacks : विंटेज और एंटीक चीजों से दें घर को नया लुक

Home Decor Hacks : सजाधजा घर किसे पसंद नहीं होता. हम सभी अपने घर को भांतिभांति की सजावटी वस्तुओं से सजाना चाहते हैं. कई बार काफी लंबे समय से एकजैसी सजावट देख कर भी हम बोर होने लगते हैं और ऐसे में हम अपने घर को कुछ नया लुक देना चाहते हैं. पहले के मुकाबले आजकल घरों को सजाने का ट्रैंड भी बदल रहा है. आजकल घरों की सजावट में ऐंटीक और विंटेज फैशन ट्रैंड में है जिस में विंटेज और एंटीक चीजों से घर को सजाया जाता है.

कोई भी कलाकृति, मूर्ति, बर्तन या फिर अन्य कोई भी डेकोरेशन की वस्तु जो 100 साल से भी अधिक पुरानी हो वह एंटीक कहलाती है. इस तरह की अधिकांश वस्तुओं से अपने घर को सजा कर आप अपने घर को ऐंटीक लुक देते हैं, वहीं 100 साल या उस से भी कम पुरानी चीजों को विंटेज की श्रेणी में रखा जाता है.

आजकल किसी एक शैली में घर को सजाने की अपेक्षा मिलीजुली शैली में घर सजाया जाता है जिस में एक तरफ जहां बहुत पुरानी चीजों को नया रूप दिया जाता है, वहीं दूसरी तरफ कुछ नई सजावटी वस्तुओं को भी सजावट में शामिल किया जाता है. इस तरह से कम खर्चे में भी आप अपने घर को एकदम नया लुक दे सकते हैं.

आजकल नएपुराने के इस सम्मिश्रण से ही घरों को सजाया जा रहा है. यदि आप भी अपने घर को एंटीक और विंटेज लुक देना चाहते हैं तो निम्न टिप्स का प्रयोग किया जा सकता है :

डार्क वुड : यद्यपि पिछले कुछ समय से डिजाइन वर्ल्ड में ब्लीचड और लाइटर वुड फर्नीचर का ट्रैंड रहा है पर अब पारंपरिक डार्क वुड में लोगों की रुचि देखने को मिल रही है. डार्क वुड फर्नीचर में डैप्थ, वार्म्थ और ट्रैडिशनल टच होता है जो मौडर्न स्पेस को क्लासिक टच देता है. हर कमरे में एक डार्क वुड पीस उस कमरे की सुंदरता को बढ़ा देता है फिर चाहे वह विंटेज ड्रैसर हो, बैड या चेयर जैसे डार्क ब्राउन फर्नीचर से आप अपने ड्राइंगरूम और घर को आकर्षक और ट्रैंडी लुक दे सकते हैं.

किचन टूल्स : स्टील के साथसाथ कौपर, पीतल, कुकवेयर से ले कर मिट्टी के बर्तन और लकड़ी और पीतल की स्पाइस कैबिनेट्स तक तरह तरह के किचन आइटम्स आजकल ट्रैंड में हैं. आजकल लोग इन्हें खरीद कर किचन को आकर्षक लुक दे रहे हैं. आजकल किचन की ट्रैंडी और पुरानी चीजों को आकर्षक बना कर घर की दीवारों को सजाने के लिए किया जा रहा है. ये रसोई की कम और सजावट की ज्यादा प्रतीत होतीं हैं. इन के प्रयोग से दीवारें स्कल्पचर जैसी लगाने लगती हैं.

आर्ट डैकोरेशन

अब आर्ट डैकोरेशन और आर्ट नोवो स्टाइल के डैकोरेटिव पीसेज की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ रही है. हैंड कार्व्ड, हैंड पेंटेड, नक्काशीदार ऐंटीक फर्नीचर जैसे केस पीस और टेबल काफी पसंद किए जा रहे हैं. ये घर को बहुत ट्रैंडी और कलात्मक लुक देते हैं.

पैंटेड फर्नीचर : आजकल नए की अपेक्षा अच्छी तरह और डिटेलिंग से पेंट किए पुराने फर्नीचर अब फिर से डिमांड में हैं. ये आप के घर को नया और आकर्षक लुक प्रदान करते हैं.

यों आजकल विविधता का फैशन है और इस तरह से कलर किए गए फर्नीचर आप के घर में भांतिभांति के रंग एड करते हैं और अपने घर में कलर एड करना सिर्फ एक डिजाइन स्टेटमैंट नहीं रह गया बल्कि सैल्फ ऐक्सप्रेशन का तरीका भी बन गया है. विविध प्रकार के रंग आप के घर के स्पैस को तुरंत खुशनुमा और पर्सनल बनाते हैं.

यह प्रयोग भी करें

● आप भी अपने घर में पड़ी पुरानी टंकी, कंटेनर आदि को पेंट और ब्रश का प्रयोग कर उसे एंटीक लुक दे सकते हैं.

● पुराने हो चुके और पौलिश निकले किसी भी नौनस्टिक पैन या फिर तवे को उलटी तरफ से वर्ली आर्ट या फिर अन्य कोई भी ट्रैडिशनल आर्ट से सजा कर आप अपने घर के लिए कलात्मक डैकोरेटिव पीस तैयार कर सकते हैं.

● यदि आप के पास प्राचीन या परदादीपरदादा के जमाने की कोई भी वस्तु है तो उसे ऐंटीक पीस के रूप में सजाएं. घर को एकदम नया लुक मिलेगा.

● अपने घर को ऐंटीक लुक देने के लिए आप औनलाइन या औफलाइन मार्केट से भी पुरानी टेबल, कुरसी आदि खरीद सकते हैं. प्रत्येक शहर में पुरानी चीजों को खरीदनेबेचने का एक मार्केट जरूर होता है.

  • दादीनानी के पुराने बक्से को पेंट कर के नया रूप दें और अपने ड्राइंगरूम में सजाएं.

Reader’s Problem : मेरे सिर में बहुत खुजली होती रहती है, समझ नहीं आता क्या करूं?

Reader’s Problem :  अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मेरे सिर में बहुत खुजली होती रहती है. समझ नहीं आता क्या करूं?

जवाब-

अगर आप के सिर में खुजली हो रही है तो आप चैक करें कि कहीं आप के सिर में डैंड्रफ तो नहीं. डैंड्रफ से खुजली तो होती ही है साथ में आप के कपड़ों पर जब यह गिरती है तो बहुत ही खराब लगता है. इस के लिए आप 100 ग्राम दही  ले लें और उसे थोड़ी देर तक हैंग करें. अब उस के अंदर 10 एमएल ऐप्पल साइडर विनेगर मिला लें और इसे अपनी स्कैल्प पर लगा लें. 45 मिनट के बाद धा लें. इस से आप का डैंड्रफ भी कम होगी और खुजली भी. आप को बालों को साफ रखना बहुत जरूरी है. हर बार शैंपू करने के बाद अपनी कंघी, तौलिया और तकिए का कवर धो कर किसी ऐंटीसेप्टिक लोशन में भिगो दें. 1/2 घंटे बाद धूप में सुखा लें और अगली बार इस्तेमाल करें. बीचबीच में किसी अच्छे औयल से हैड मसाज करने से भी फायदा होता है.

ये भी पढ़ें- 

बरसात के मौसम में बालों का ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है वरना वे झड़ने भी शुरू हो जाते हैं. आइए जानें कि बरसात में बालों की देखभाल कैसे की जाए:

पौष्टिक आहार लें

बालों का बढ़ना अमूमन आप की डाइट पर  निर्भर करता है. बालों की सही ग्रोथ के लिए हमेशा प्रोटीन, कैल्सियम और मिनरल्स युक्त आहार लें. इन के अलावा अपने आहार में फल और सलाद खासकर चुकंदर और जड़ वाली सब्जियों का ज्यादा सेवन करें.

बालों को कवर करें

बरसात में बालों को भीगने न दें, क्योंकि बरसात के प्रदूषित पानी की वजह से उन की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और वे झड़ने लगते हैं. अत: बरसात के गंदे पानी और नम हवा से बालों की रक्षा करने के लिए उन्हें किसी कपड़े अथवा स्कार्फ से ढक कर रखें. गोल हैट का इस्तेमाल भी कर सकती हैं ताकि बाल सुरक्षित रहें.

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Grihshobha Empower Her : Event Makes a Grand Debut in Chandigarh

Grihshobha Empower Her : On 7th December 2024, the Grihshobha Empower Her event, organized by Delhi Press Publications, kicked off splendidly at Kalagram, Chandigarh, at 11 AM. The participating women were brimming with enthusiasm—and why wouldn’t they be? This event provided them with an inspiring opportunity to learn, grow, and empower themselves alongside Grihshobha.

Objective of the Event

The Grihshobha Empower Her initiative aims to support women in advancing their knowledge in health, beauty, and financial planning. From skincare and wellness tips to smart saving strategies, this program is designed to help women lead their best lives. After successful editions in Delhi, Mumbai, Ahmedabad, Lucknow, Bangalore, and Ludhiana, the event made its mark in Chandigarh.

Supporting Partners

The event was powered by:

  • Dabur Khajoor Prash (Wellness Partner)

  • Green Leaf Brahns (Beauty Partner)

  • La Shield (Skincare Partner)

  • SBL Homeopathy (Homeopathy Partner)

Throughout the day, engaging sessions and games were conducted, with participants receiving gift hampers as rewards.

Event Highlights

By 12 PM, the hall was packed. Women were welcomed with snacks and tea, after which the event commenced with Vandana beautifully outlining the day’s agenda.

1. Women’s Health & Wellness Session (by Dabur Khajoor Prash)

Dr. Madhu Gupta, an Ayurvedic doctor with over 20 years of experience, discussed iron deficiency in women—a common yet often overlooked health issue. Currently practicing at Shakti Bhavan, Panchkula, Dr. Gupta holds an MD in Kayachikitsa (Medicine) and specializes in lifestyle and autoimmune diseases. She shared practical remedies to combat iron deficiency.

2. Financial Planning & Investment Session

Deveshwar Goswami, a financial expert with 21+ years of experience, emphasized why financial independence is crucial for women. The founder of Bluerock Wealth Private Limited, he explained:

  • The importance of saving and investing a portion of income.

  • How Systematic Investment Plans (SIPs) in mutual funds can help build wealth.

  • The necessity of life and health insurance.

3. SBL Homeopathy Session

Dr. Shweta Goel, a gold medalist in BHMS (Panjab University) and MD in Homeopathy (Greece), shared insights on managing menopause-related health issues with homeopathy. With 5+ years of experience, she focuses on treating chronic ailments from the root.

4. Beauty & Skincare Session (by La Shield)

Dr. Betty Nangia (Founder, Betty Holistic & Skin Care) shared natural skincare tips for glowing, healthy skin.

Grand Finale

After an enriching day, women enjoyed a delicious meal, collected their goodie bags, and headed home—empowered, inspired, and ready to take on the world!

This event once again proved that Grihshobha Empower Her is not just an initiative but a movement towards a stronger, smarter, and self-reliant future for women.

Hindi Fiction Stories : दलाल – क्या राजन को माफ कर पाई काजल

Hindi Fiction Stories : 6 महीने पहले जब काजल की शादी राजन से हुई थी, तो वह मन में हजारों सपने ले कर अपने पति के घर आई . शुरुआती दिनों में उस के सपने पूरे होते भी दिखे थे. उस के ससुराल वाले खातेपीते लोग थे और वहां कोई कमी नहीं थी.

cookery

गरीबी में पलीबढ़ी काजल के लिए इतना होना बहुत था. उसे लगा था कि ससुराल आ कर उस की जिंदगी बदल गई है, उस की गरीबी हमेशा के लिए पीछे छूट गई है, पर बीतते दिनों के साथ उस का यह सपना टूटने लगा था.

काजल के मायके की जिंदगी गरीबी और तंगहाली से भरी जरूर थी, पर वहां उस की इज्जत थी. जैसे ही वह 20 साल की हुई थी, उस के मांबाप उस की इज्जत के प्रति कुछ ज्यादा ही सचेत हो उठे थे.

शादी के शुरू के दिनों में राजन का बरताव काजल के प्रति अच्छा था. उस के सासससुर भी उस का खयाल रखते थे, पर आगे चल कर राजन का बरताव काजल के प्रति कठोर होता चला गया.

राजन कपड़े का कारोबार करता था. उसे अपने कारोबार में 50 हजार रुपए का घाटा हुआ. उसे महाजन का उधार चुकाने के लिए अपने एक दोस्त से 50 हजार रुपए का कर्ज लेना पड़ा.

रजत नाम का यह दोस्त जब राजन से अपने पैसे मांगने लगा, तो उस के हाथपैर फूलने लगे. उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह इतने रुपए कहां से लाए, ताकि अपने दोस्त के कर्ज से छुटकारा पा सके. उस ने इस बारे में गहराई से सोचा और तब उसे लगा कि उस की पत्नी ही उसे इस कर्ज से छुटकारा दिला सकती है.

अपनी इस सोच के तहत राजन ने काजल से बात की और उस से कहा कि वह अपने मांबाप से 50 हजार रुपए मांग लाए. पर जहां दो वक्त की रोटी का जुगाड़ ही मुश्किल से हो पाता हो, वहां इतने पैसों का इंतजाम कहां से हो पाता.

‘‘ठीक है,’’ राजन उदास लहजे में बोला.

‘‘पर मेरे पास एक और तरीका है,’’ काजल मुसकराते हुए बोली, ‘‘मेरे पास रूप और जवानी की दौलत तो है. मैं इसी का इस्तेमाल कर के पैसों का इंतजाम करूंगी.’’

‘‘क्या बकवास कर रही हो तुम?’’ राजन तेज आवाज में बोला.

‘‘मैं बकवास नहीं, बल्कि सच कह रही हूं.’’

‘‘नहीं, तुम ऐसा नहीं कर सकतीं. आखिरकार मैं तुम्हारा पति हूं और कोई पति अपनी पत्नी की इज्जत का सौदा नहीं कर सकता.’’

‘‘पर मैं कर सकती हूं,’’ काजल कुटिल आवाज में बोली, ‘‘क्योंकि पैसा पहले है और पति बाद में.’’

उन की स्कीम के अनुसार, रात के तकरीबन 10 बजे राजन लौटा, तो उस के साथ उस का वह दोस्त रजत भी था, जिस से उस ने कर्ज लिया था. राजन अपने दोस्त रजत को ले कर अपने बैडरूम में आ गया. उस ने काजल से कहा कि वह उस के और उस के दोस्त के लिए खानेपीने का इंतजाम करे.

आधे घंटे बाद जब काजल उन का खाना ले कर बैडरूम में पहुंची, तो दोनों शराब की बोतल खोले बैठे थे. काजल खाना लगा कर एक ओर खड़ी हो गई. शराब पीने के साथसाथ वे दोनों खाना खाने लगे.

खाना खाते समय रजत रहरह कर काजल को बड़ी कामुक निगाहों से देखने लगता था.

जब वे लोग खाना खा चुके, तो काजल जूठे बरतन ले कर रसोईघर में चली गई. थोड़ी देर बाद राजन ने आवाज दे कर उसे पुकारा. काजल कमरे में बैड के पास खड़ी थी और राजन के साथ बैठा रजत उसे बड़ी कामुक निगाहों से घूर रहा था. काजल ने आंखों ही आंखों में कुछ इशारा किया और राजन उठता हुआ बोला, ‘‘काजल, तुम यहीं बैठो, मैं अभी आया.’’

इतना कहने के बाद राजन तेजी से कमरे से निकल गया और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया. पर वह कमरे से निकला था, घर से नहीं. राजन दरवाजे के पास अपने मोबाइल फोन के साथ छिपा बैठा था, ताकि काजल और रजत के प्यार के पलों की वीडियो फिल्म बना सके. राजन के कमरे से निकलते ही रजत काजल से छेड़छाड़ करने लगा.

‘‘यह क्या कर रहे हो तुम?’’ काजल नकली नाराजगी दिखाते हुए बोली, ‘‘छोड़ो मुझे.’’

‘‘तुम्हें कैसे छोड़ दूं जानेमन?’’ रजत बोला.

‘‘बड़ी कोशिश के बाद तो तुम मेरे हाथ आई हो,’’ कह हुए उस ने काजल को अपनी बांहों में भर लिया.

रजत की इस हरकत से काजल पलभर को तो बौखला उठी, फिर उस की बांहों में मचलते हुए बोली, ‘‘छोड़ो मुझे, वरना मैं तुम्हारी शिकायत अपने पति से करूंगी.’’

‘‘पति…’’ कह कर रजत कुटिलता से मुसकराया.

‘‘तुम्हारा पति भला मेरा क्या बिगाड़ लेगा? वह तो गले तक मेरे कर्ज में डूबा हुआ है.

‘‘सच तो यह है कि वह खुद चाहता है कि मैं तुम्हारी जवानी से खेलूं, ताकि उसे कर्ज चुकाने के लिए थोड़ी और मुहलत मिल जाए.’’

‘‘नहीं, राजन ऐसा नहीं कर सकता,’’ काजल अपने पति पर भरोसा करते हुए बोली.

‘‘तुम्हें यकीन नहीं आता?’’ रजत उस का मजाक उड़ाते हुए बोला, ‘‘तो खुद जा कर दरवाजा चैक कर लो. तुम्हारे पति ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया है.’’

‘‘नहीं,’’ कह कर काजल दरवाजे की ओर भागी, पर शराब और वासना के नशे से जोश में आए एक मर्द से एक औरत कब तक बचती. रजत ने झपट कर उसे अपनी बांहों में उठाया और बिस्तर पर उछाल दिया. अब काजल संभलती हुई उस पर सवार थी.

ऐसा करते हुए यह बात रजत के सपने में भी न थी कि उस का यह मजा आगे चल कर उस के लिए कितनी बड़ी मुसीबत खड़ी करने वाला है.

रजत के जाने के बाद जब राजन कमरे में आया, तो नकली गुस्सा और अपमान से भरी काजल बोली, ‘‘कैसे पति हो तुम? पति तो अपनी पत्नी की इज्जत की हिफाजत के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा देते हैं, पर तुम ने तो अपना कर्ज उतारने के लिए अपनी पत्नी की इज्जत को ही दांव पर लगा दिया?’’

बदले में राजन मुसकराते हुए बोला, ‘‘काजल, कुछ पल रजत के साथ बिताने के एवज में अब हमें उस के कर्ज से जल्दी ही छुटकारा मिल जाएगा.’’

इस के तीसरे दिन जब रजत अपने पैसे मांगने राजन के घर पहुंचा, तो राजन ने उसे अपने मोबाइल फोन से बनाई वह वीडियो फिल्म दिखाई, फिर उसे धमकाता हुआ बोला, ‘‘रजत, अब तुम अपने पैसे भूल ही जाओ. अगर तुम ने ऐसा नहीं किया, तो मैं यह वीडियो क्लिप पुलिस तक पहुंचा दूंगा और तुम्हारे खिलाफ रिपोर्ट लिखवा दूंगा कि तुम ने मेरी पत्नी के साथ बलात्कार किया है. इस के बाद पुलिस तुम्हारी क्या गत बनाएगी, इस की कल्पना तुम आसानी से कर सकते हो.’’

रजत हैरान सा राजन को देखता रह गया. उस के चेहरे से खौफ झलकने लगा था. वह चुपचाप राजन के घर से निकल गया.

इधर राजन ने उस के इस डर का भरपूर फायदा उठाया. इस वीडियो क्लिप को आधार बना कर वह रजत को ब्लैकमेल कर उस से पैसे ऐंठने लगा. रजत राजन की साजिश का शिकार जरूर हो गया था, पर वह भी कम शातिर न था. आखिर वह लाखों रुपए का कारोबार ऐसे ही नहीं चलाता था. उस ने इस मामले पर गहराई से विचार किया और राजन के हथियार से ही उसे मात देने की योजना बनाई.

अपनी योजना के तहत जब अगली बार राजन उस से पैसे वसूलने आया, तो रजत बोला, ‘‘राजन, तुम कब तक मुझे यों ही ब्लैकमेल करते रहोगे? आखिरकार तुम मेरे दोस्त हो, कम से कम इस बात का तो लिहाज करो.’’

‘‘मैं पैसे के अलावा और किसी का दोस्त नहीं.’’ ‘‘अगर मैं पैसे कमाने का इस से भी बड़ा जरीया तुम्हें बता दूं, तो क्या तुम मेरा पीछा छोड़ दोगे?’’

‘‘क्या मतलब?’’ राजन की आंखों में लालच की चमक उभरी.

‘‘मेरी नजर में एक करोड़पति है, जिस की कमजोरी खूबसूरत और घरेलू औरतें हैं. अगर तुम बुरा न मानो, तो तुम काजल को उस के पास भेज दिया करो. इस से तुम हजारों नहीं, बल्कि लाखों रुपए कमा सकते हो.’’

लालच के चलते काजल और राजन रजत द्वारा फैलाए जाल में फंस गए. अब रजत ने उस आदमी के साथ काजल के रंगीन पलों की वीडियो क्लिप बना ली और एक शाम जब पतिपत्नी उस के पास आए, तो यह फिल्म उन्हें दिखाई, फिर रजत बोला, ‘‘मैं जानता था कि तुम लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आओगे. सो, मैं ने यह खूबसूरत वीडियो क्लिप बनाई है.

‘‘अब अगर तुम ने भूल कर भी मेरे घर का रुख किया, तो इस वीडियो फिल्म के जरीए मैं यह साबित कर दूंगा कि तुम्हारी पत्नी देह धंधा करती है और इस की आड़ में लोगों को ब्लैकमेल करती है. तुम इस में उस की मदद करते हो. तुम न सिर्फ उस के दलाल हो, बल्कि एक ब्लैकमेलर भी हो.’’

यह सुन कर पतिपत्नी के मुंह से बोल न फूटे. वे हैरान हो कर रजत को देखते रहे, फिर अपना सा मुंह ले कर उस के घर से निकल गए.

Hindi Story Collection : प्यार की तलाश में – क्या सोहनलाल को मिला सच्चा प्यार

Hindi Story Collection :  सोहनलाल बचपन से ही सच्चे प्यार की खोज में यहांवहां भटक रहे हैं. वैसे तो वे 60 साल के हैं, पर उन का मानना है कि दिल एक बार जवान हुआ तो जिंदगीभर जवान ही रहता है. रही बात शरीर की तो उस महान इनसान की जय हो जिस ने मर्दाना ताकत बढ़ाने वाली दवाओं की खोज की और जो उन्हें ‘साठा सो पाठा’ का अहसास करा रही हैं.

उन्होंने कसरत कर के अपने बदन को भी अच्छाखासा हट्टाकट्टा बना रखा है और नएनए फैशन कर के वे हीरो टाइप दिखने की भी लगातार कोशिश करते रहते हैं.

सोहनलाल का रंग भले ही सांवला हो, पर खोपड़ी के बाल उम्र से इंसाफ करते हुए विदाई ले चुके हैं, पान खाखा कर दांत होली के लाल रंग में रंगी गोपी से हो चुके हैं, पर ठीकठाक आंखें, नाक और कसरती बदन… कुलमिला कर वे हैंडसम होने के काफी आसपास हैं. उन के पास रुपएपैसों की कमी नहीं है इसलिए उन की घुमानेफिराने से ले कर महंगे गिफ्ट देने तक की हैसियत हमेशा से रही है. लिहाजा, न तो कल लड़कियां मिलने में कमी थी और न ही आज है.

ऐसी बात नहीं है कि सोहनलाल को प्यार मिला नहीं. प्यार मिलने में तो न बचपन में कमी रही, न जवानी में और न ही अब है, क्योंकि प्यार के मामले में हमारे ये आशिक मैगी को भी पीछे छोड़ दें. मैगी फिर भी

2 मिनट लेगी पकने में, पर इन्हें सैकंड भी नहीं लगता लड़की पटाने में. इधर लड़की से आंखें चार, उधर दिल ‘गतिमान ऐक्सप्रैस’ हुआ.

कुलमिला कर लड़की को देखते ही प्यार हो जाता है और लड़की को भी उन से प्यार हो, इस के लिए वे भी प्रेमपत्र

से ले कर फेसबुक और ह्वाट्सऐप जैसी हाईटैक तकनीक तक का इस्तेमाल कर डालते हैं.

सोहनलाल अनेक बार कूटे भी गए हैं, पर ‘हिम्मत ए मर्दा, मदद ए खुदा’ कहावत पर भरोसा रखते हुए उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.

प्यार के मामले में सोहनलाल ने राष्ट्रीय एकता को दिखाते हुए ऊंचनीच, जातिभेद, रंगभेद जैसी दीवारों को तोड़ते हुए अपनी गर्लफ्रैंड की लिस्ट लंबी

कर डाली, जिस में सब हैं जैसे धोबन की बेटी, मेहतर की भांजी, पंडितजी की बहन, कालेज के प्रोफैसर की बेटी, स्कूल मास्टर की भतीजी वगैरह.

सोहनलाल की पहली सैटिंग मतलब पहले प्यार का किस्सा भी मजेदार है. उन के महल्ले की सफाई वाली की भांजी छुट्टियों में ननिहाल आई हुई

थी और अपनी मामी के साथ शाम को खाना मांगने आती थी (उन दिनों मेहतर शाम को घरघर बचा हुआ खाना लेने आते थे).

उन्हीं दिनों ये महाशय भी एकदम ताजेताजे जवान हो रहे थे. लड़कियों को देख कर उन के तन और मन दोनों में खनखनाहट होने लगी थी. हर लड़की हूर नजर आती थी. सो, जो पहली लड़की आसानी से मिली, उसी पर लाइन मारना शुरू हो गए.

दोनों के नैना चार हुए और इशारोंइशारों में प्यार का इजहार भी

हो गया.

लड़की भी इन के नक्शेकदम पर चल रही थी यानी नईनई जवान हो रही थी इसलिए अहसास एकदम सेम टू सेम थे.

कनैक्शन एकदम सही लगा. दोनों के बदन में करंट बराबर दौड़ रहा था. सो, आसानी से पट गई. बाकी काम

मां की लालीलिपस्टिक ने कर दिया

जो इन्होंने चुरा कर लड़की को गिफ्ट में दी थी.

एक दिन मौका देख कर सोहनलाल उस लड़की को ले कर घर के पिछवाड़े की कोठरी में खिसक लिए, यह सोच कर कि किसी ने नहीं देखा.

अभी प्यार का इजहार शुरू ही हुआ था कि लड़की की मामी आ धमकीं और झाड़ू मारमार कर इन की गत बिगाड़ डाली और धमकी भी दे डाली, ‘‘आगे से मेरी छोरी के पीछे आया तो झाड़ू से तेरा मोर बना दूंगी और तेरे मांबाप को भी बता कर तेरी ठुकाई करा डालूंगी.’’

बेचारे आशिकजी का यह प्यार तो हाथ से गया, पर जान में जान आई कि घर वालों को पता नहीं चला.

इस के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. वे पूरी हिम्मत से नईनई लड़कियों पर हाथ आजमाने लगे. कभी पत्थर में प्रेमपत्र बांध कर फेंके तो कभी आंखें झपका कर मामला जमा लिया और सच्चे प्यार की तलाश ही जिंदगी का एकमात्र मकसद बना डाला.

वैसे भी बाप के पास रुपएपैसों की कमी नहीं थी और जमाजमाया कारोबार था. सो, लाइफ सैट थी.

यह बात और है कि लड़की के साथ थोड़े दिन घूमफिर कर सोहनलाल को अहसास हो जाता था कि यह सच्चा प्यार नहीं है और फिर वे दोबारा जोरशोर से तलाश में जुट जाते.

सोहनलाल की याददाश्त तो इतनी मजबूत है कि शंखपुष्पी के ब्रांड एंबेसडर बनाए जा सकते हैं. मिसाल के तौर पर उन की गर्लफ्रैंड की लिस्ट पढ़ कर किसी भी भले आदमी को चक्कर आ जाएं, पर मजाल है सोहनलाल एक भी गर्लफ्रैंड का नाम और शक्लसूरत भूले हों.

कृपया सोहनलाल को चरित्रहीन टाइप बिलकुल न समझें. उन का मानना है कि हम कपड़े खरीदते वक्त कई जोड़ी कपड़े ट्राई करते हैं तब जा कर अपनी पसंद का मिलता है. तो बिना ट्राई करे सच्चा प्यार कैसे मिलेगा?

एक बार तो लगा भी कि इस बार तो सच्चा प्यार मिल ही गया. सो, उन्होंने चटपट शादी कर डाली.

सोहनलाल बीवी को ले कर घर पहुंचे तो मां और बहनों ने खूब कोसा. बाप ने तो पीट भी डाला… दूसरी जाति की लड़की को बहू बनाने की वजह से. पर उन पर कौन सा असर होने वाला था, क्योंकि इतनी बार लड़कियों के बापभाई जो उन्हें कूट चुके थे, इसलिए उन का शरीर यह सब झेलने के लिए एकदम फिट हो चुका था.

सब सोच रहे थे कि प्यार का भूत सिर पर सवार था इसलिए शादी की, पर बेचारे सोहनलाल किस मुंह से बताते कि इस बार वे सच्ची में फंस चुके थे. यह रिश्ता प्यार का नहीं, बल्कि मजबूरी

का था.

दरअसल, कहानी में ट्विस्ट यह था कि वह लड़की यानी वर्तमान पत्नी सोहनलाल के एक खास दोस्त की बहन थी और दोस्त से मिलने अकसर उस के घर जाना होता था, इसलिए इन का नैनमटक्का भी दोस्त की बहन से शुरू

हो गया.

दोस्त चूंकि उन पर बहुत भरोसा करता था और उस कहावत में विश्वास रखता था कि ‘चुड़ैल भी सात घर छोड़ कर शिकार बनाती है’ तो बेफिक्र था.

लेकिन सोहनलाल तो आदत से मजबूर थे और ऐसे टू मिनट मैगी टाइप आशिक का किसी चुड़ैल से मुकाबला हो भी नहीं सकता, इसलिए उन्होंने लड़की पूरी तरह पटा भी ली और पा भी ली जिस के नतीजे में सोहनलाल ने कुंआरे बाप का दर्जा हासिल करने का पक्का इंतजाम कर लिया था.

पर चूंकि मामला दोस्त के घर की इज्जत का था और दोस्त पहलवान था इसलिए छुटकारा पाने के बजाय पत्नी बनाने का रास्ता सेफ लगा. इस में दोस्त की इज्जत और अपनी बत्तीसी दोनों बच गए.

प्यार का भूत तो पहले ही उतर चुका था सोहनलाल का, अब जो मुसीबत गले पड़ी थी, उस से छुटकारा भी नहीं पा सकते थे… इसलिए मारपीट और झगड़ों का ऐसा दौर शुरू हुआ जो आज तक नहीं थमा और न ही थमी है सच्चे प्यार की तलाश.

इन लड़ाईझगड़ों के बीच जो रूठनेमनाने के दौर चलते थे, उन्होंने सोहनलाल को 4 बच्चों का बाप भी बना डाला. उन की बीवी ने भी वही नुसखा आजमाया जो अकसर भारतीय बीवियां आजमाती हैं यानी बच्चों के पलने तक चुपचाप भारतीय नारी बन कर जितना हो सके सहन करो और बच्चों के लायक बनते ही उन के नालायक बाप को ठिकाने लगा डालो.

सोहनलाल की हालत घर में पड़ी टेबलकुरसी से भी बदतर हो गई.

बीवी ने घर में दानापानी देना बंद कर दिया था. अब बेचारे ने पेट की आग शांत करने के लिए ढाबों की शरण ले ली और बाकी की भूख मिटाने के लिए फेसबुक व दूसरे जरीयों से सहेलियों की तलाश में जुट गए, जिस में काफी हद तक वे कामयाब भी रहे.

वैसे भी 60 पार करतेकरते बीवी के मर्डर और सच्चे प्यार की तलाश 2 ही सपने तो हैं जो वे खुली आंखों से भी देख सकते थे.

सोहनलाल में एक सब से बड़ी खासीयत यह है, जिस से लोग उन्हें इज्जत की नजर से देखते हैं. उन्होंने हमेशा अपनी हमउम्र लड़की या औरत के अलावा किसी को भी आंख उठा कर नहीं देखा. छिछोरों या आशिकमिजाज बूढ़ों की तरह हर किसी को देख कर लार नहीं टपकाते, न ही छेड़खानी में यकीन रखते हैं.

बस, जो औरत उन के दिल में उतर जाए, उसे पाने के सारे हथकंडे आजमा डालते हैं. वह ऐसा हर खटकरम कर डालते हैं जिस से उस औरत के दिल में उतर जाएं.

प्यार की कला में तो वे इतने माहिर?हैं कि कोई भी तितली माफ कीजिए औरत एक बार उन के साथ कुछ वक्त बिता ले तो उन के प्यार के जाल में खुदबखुद फंसी चली आएगी और तब तक नहीं जाएगी जब तक सोहनलाल खुद आजाद न कर दें.

वैसे भी महोदय को इस खेल को खेलते हुए 40 साल से ऊपर हो चुके हैं इसलिए वे इस कला के माहिर खिलाड़ी बन चुके हैं. साइकिल के डंडे से ले

कर कार की अगली सीट तक अनेक लड़कियों और लड़कियों की मांओं को वे घुमा चुके हैं.

आज सोहनलाल जिस तरह की औरत के साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहते हैं, उसे छोड़ कर हर तरह की औरत उन्हें मिल रही है.

सब से बड़ी बात तो यह है कि वे अपनी वर्तमान पत्नी को छोड़े बिना ही किसी का ईमानदार साथ चाहते हैं.

एक बार धोखा खा चुके हैं इसलिए इस बार अपनी ही जाति की सुंदर, सुशील, भारतीय नारी टाइप का वे साथ पाना चाहते हैं.

अब कोई उन से पूछे कि कोई सुंदर, सुशील और भारतीय नारी की सोच रखने वाली औरत इस उम्र में नातीपोते खिलाने में बिजी होगी या प्रेम के चक्कर में पड़ेगी? लेकिन सोहनलाल पर कोई असर होने वाला नहीं. वे बेहद आशावादी टाइप इनसान हैं और खुद को कामदेव का अवतार मानते हुए अपने तरकश के प्रेम तीर को छोड़ते रहते हैं, इस उम्मीद के साथ कि किसी दिन तो उन का निशाना सही बैठेगा ही और उस दिन वे अपने सच्चे प्यार के हाथों में हाथ डाल कर कहीं ऐसी जगह अपना आशियाना बनाएंगे जहां यह जालिम दुनिया उन्हें तंग न कर पाए.

हमारी तो यही प्रार्थना है कि हमारे सोहनलालजी को उन की खोज में जल्दी ही कामयाबी मिले.

Latest Hindi Stories : संकरा – क्यों परिवार के खिलाफ हुआ आदित्य

Latest Hindi Stories : ‘बायोसिस्टम्स साइंस ऐंड इंजीनियरिंग लैब में कंप्यूटर स्क्रीन पर जैसेजैसे डीएनए की रिपोर्ट दिख रही थी, वैसेवैसे आदित्य के माथे की नसें तन रही थीं. उस के खुश्क पड़ चुके हलक से चीख ही निकली, ‘‘नो… नो…’’ आदित्य लैब से बाहर निकल आया. उसे एक अजीब सी शर्म ने घेर लिया था.

अचानक आदित्य के जेहन में वह घटना तैर गई, जब पिछले दिनों वह छुट्टियों में अपनी पुश्तैनी हवेली में ठहरा था. एक सुबह नींद से जागने के बाद जब आदित्य बगीचे में टहल रहा था, तभी उसे सूरज नजर आया, जो हवेली के सभी पाखानों की सफाई से निबट कर अपने हाथपैर धो रहा था.

आदित्य बोला था, ‘सुनो सूरज, मैं एक रिसर्च पर काम करने वाला हूं और मुझे तुम्हारी मदद चाहिए.’ सूरज बोला था, ‘आप के लिए हम अपनी जान भी लड़ा सकते हैं. आप कहिए तो साहब?’

‘मुझे तुम्हारे खून का सैंपल चाहिए.’ सूरज बोला था, ‘मेरा खून ले कर क्या कीजिएगा साहब?’

‘मैं देखना चाहता हूं कि दलितों और ठाकुरों के खून में सचमुच कितना और क्या फर्क है.’ ‘बहुत बड़ा फर्क है साहब. यह आप का ऊंचा खून ही है, जो आप को वैज्ञानिक बनाता है और मेरा दलित खून मुझ से पाखाना साफ करवाता है.’

यह सुन कर आदित्य बोला था, ‘ऐसा कुछ नहीं होता मेरे भाई. खूनवून सब ढकोसला है और यही मैं विज्ञान की भाषा में साबित करना चाहता हूं.’ आदित्य भले ही विदेश में पलाबढ़ा था और उस के पिता ठाकुर राजेश्वर सिंह स्विट्जरलैंड में बस जाने के बाद कभीकभार ही यहां आए थे, पर वह बचपन से ही जिद कर के अपनी मां के साथ यहां आता रहा था. वह छुट्टियां अपने दादा ठाकुर रणवीर सिंह के पास इस पुश्तैनी हवेली में बिताता रहा था.

पर इस बार आदित्य लंबे समय के लिए भारत आया था. अब तो वह यहीं बस जाना चाहता था. दरअसल, एक अहम मुद्दे को ले कर बापबेटे में झगड़ा हो गया था. उस के पिता ने वहां के एक निजी रिसर्च सैंटर में उस की जगह पक्की कर रखी थी, पर उस पर मानवतावादी विचारों का गहरा असर था, इसलिए वह अपनी रिसर्च का काम भारत में ही करना चाहता था.

पिता के पूछने पर कि उस की रिसर्च का विषय क्या है, तो उस ने बताने से भी मना कर दिया था. आदित्य ने समाज में फैले जातिवाद, वंशवाद और उस से पैदा हुई समस्याओं पर काफी सोचाविचारा था. इस रिसर्च की शुरुआत वह खुद से कर रहा था और इस काम के लिए अब उसे किसी दलित का डीएनए चाहिए था. उस के लिए सूरज ही परिचित दलित था.

सूरज के बापदादा इस हवेली में सफाई के काम के लिए आते थे. उन के बाद अब सूरज आता था. सूरज के परदादा मैयादीन के बारे में आदित्य को मालूम हुआ कि वे मजबूत देह के आदमी थे. उन्होंने बिरादरी की भलाई के कई काम किए थे. नौजवानों की तंदुरुस्ती के लिए अखाड़ा के बावजूद एक भले अंगरेज से गुजारिश कर के बस्ती में उन्होंने छोटा सा स्कूल भी खुलवाया था, जिस की बदौलत कई बच्चों की जिंदगी बदल गई थी.

पर मैयादीन के बेटेपोते ही अनपढ़ रह गए थे. उस सुबह, जब आदित्य सूरज से खून का सैंपल मांग रहा था, तब उसे मैयादीन की याद आई थी.

पर इस समय आदित्य को बेकुसूर सूरज पर तरस आ रहा था और अपनेआप पर बेहद शर्म. आदित्य ने लैब में जब अपने और सूरज के डीएनए की जांच की, तब इस में कोई शक नहीं रह गया था कि सूरज उसी का भाई था, उसी का खून.

आदित्य को 2 चेहरे उभरते से महसूस हुए. एक उस के पिता ठाकुर राजेश्वर सिंह थे, तो दूसरे सूरज के पिता हरचरण. आदित्य को साफसाफ याद है कि वह बचपन में जब अपनी मां के साथ हवेली आता था, तब हरचरण उस की मां को आदर से ‘बहूजीबहूजी’ कहता था. हरचरण ने उस की मां की तरफ कभी आंख उठा कर भी नहीं देखा था. ऐसे मन के साफ इनसान की जोरू के साथ उस के पिता ने अपनी वासना की भूख मिटाई थी. जाने उस के पिता ने उस बेचारी के साथ क्याक्या जुल्म किए होंगे.

यह सच जान कर आदित्य को अपने पिता पर गुस्सा आ रहा था. तभी उस ने फैसला लिया कि अब वह इस खानदान की छाया में नहीं रहेगा. वह अपने दादा ठाकुर रणवीर सिंह से मिल कर हकीकत जानना चाहता था. दादाजी अपने कमरे में बैठे थे. आदित्य को बेवक्त अपने सामने पा कर वे चौंक पड़े और बोले, ‘‘अरे आदित्य, इस समय यहां… अभी पिछले हफ्ते ही तो तू गया था?’’

‘‘हां दादाजी, बात ही ऐसी हो गई है.’’ ‘‘अच्छा… हाथमुंह धो लो. भोजन के बाद आराम से बातें करेंगे.’’

‘‘नहीं दादाजी, अब मैं इस हवेली में पानी की एक बूंद भी नहीं पी सकता.’’ यह सुन कर दादाजी हैरान रह गए, फिर उन्होंने प्यार से कहा, ‘‘यह तुझे क्या हो गया है? तुम से किसी ने कुछ कह दिया क्या?’’

‘‘दादाजी, आप ही कहिए कि किसी की इज्जत से खेल कर, उसे टूटे खिलौने की तरह भुला देने की बेशर्मी हम ठाकुर कब तक करते रहेंगे?’’ दादाजी आपे से बाहर हो गए और बोले, ‘‘तुम्हें अपने दादा से ऐसा सवाल करते हुए शर्म नहीं आती? अपनी किताबी भावनाओं में बह कर तुम भूल गए हो कि क्या कह रहे हो…

‘‘पिछले साल भी तारा सिंह की शादी तुम ने इसलिए रुकवा दी, क्योंकि उस के एक दलित लड़की से संबंध थे. अपने पिता से भी इन्हीं आदर्शों की वजह से तुम झगड़ कर आए हो. ‘‘मैं पूछता हूं कि आएदिन तुम जो अपने खानदान की इज्जत उछालते हो, उस से कौन से तमगे मिल गए तुम्हें?’’

‘‘तमगेतोहफे ही आदर्शों की कीमत नहीं हैं दादाजी. तारा सिंह ने तो अदालत के फैसले पर उस पीडि़त लड़की को अपना लिया था. लेकिन आप के सपूत ठाकुर राजेश्वर सिंह जब हरचरण की जोरू के साथ अपना मुंह काला करते हैं, तब कोई अदालत, कोई पंचायत कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि बात को वहीं दफन कर उस पर राख डाल दी जाती है.’’ यह सुन कर ठाकुर साहब के सीने में बिजली सी कौंध गई. वे अपना हाथ सीने पर रख कर कुछ पल शांत रहे, फिर भारी मन से पूछा, ‘‘यह तुम से किस ने कहा?’’

‘‘दादाजी, ऊंचनीच के इस ढकोसले को मैं विज्ञान के सहारे झूठा साबित करना चाहता था. मैं जानता था कि इस से बहुत बड़ा तूफान उठ सकता है, इसलिए मैं ने आप से और पिताजी से यह बात छिपाई थी, पर मैं ने सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तूफान की शुरुआत सीधे मुझ से ही होगी… मैं ने खुद अपने और सूरज के डीएनए की जांच की है.’’ ‘‘बरसों से जिस घाव को मैं ने सीने में छिपाए रखा, आज तुम ने उसे फिर कुरेदा… तुम्हारा विज्ञान सच जरूर बोलता है, लेकिन अधूरा…

‘‘तुम ने यह तो जान लिया कि सूरज और तुम्हारी रगों में एक ही खून दौड़ रहा है. अच्छा होता, अगर विज्ञान तुम्हें यह भी बताता कि इस में तेरे पिता का कोई दोष नहीं. ‘‘अरे, उस बेचारे को तो इस की खबर भी नहीं है. मुझे भी नहीं होती, अगर वह दस्तावेज मेरे हाथ न लगता… बेटा, इस बात को समझने के लिए तुम्हें शुरू से जानना होगा.’’

‘‘दादाजी, आप क्या कह रहे हैं? मुझे किस बात को जानना होगा?’’ दादाजी ने उस का हाथ पकड़ा और उसे तहखाने वाले कमरे में ले गए. उस कमरे में पुराने बुजुर्गों की तसवीरों के अलावा सभी चीजें ऐतिहासिक जान पड़ती थीं.

एक तसवीर के सामने रुक कर दादाजी आदित्य से कहने लगे, ‘‘यह मेरे परदादा शमशेर सिंह हैं, जिन के एक लड़का भानुप्रताप था और जिस का ब्याह हो चुका था. एक लड़की रति थी, जो मंगली होने की वजह से ब्याह को तरसती थी…’’ आदित्य ने देखा कि शमशेर सिंह की तसवीर के पास ही 2 तसवीरें लगी हुई थीं, जो भानुप्रताप और उन की पत्नी की थीं. बाद में एक और सुंदर लड़की की तसवीर थी, जो रति थी.

‘‘मेरे परदादा अपनी जवानी में दूसरे जमींदारों की तरह ऐयाश ठाकुर थे. उन्होंने कभी अपनी हवस की भूख एक दलित लड़की की इज्जत लूट कर शांत की थी. ‘‘सालों बाद उसी का बदला दलित बिरादरी वाले कुछ लुटेरे मौका पा कर रति की इज्जत लूट कर लेना चाह रहे थे. तब ‘उस ने’ अपनी जान पर खेल कर रति की इज्जत बचाई थी.’’

कहते हुए दादाजी ने पास रखे भारी संदूक से एक डायरी निकाली, जो काफी पुरानी होने की वजह से पीली पड़ चुकी थी. ‘‘रति और भानुप्रताप की इज्जत किस ने बचाई, मुझे इस दस्तावेज से मालूम हुआ.

‘‘बेटा, इसे आज तक मेरे सिवा किसी और ने नहीं पढ़ा है. शुक्र है कि इसे मैं ने भी जतन से रखा, नहीं तो आज मैं तुम्हारे सवालों के जवाब कहां से दे पाता…’’ रात की सुनसान लंबी सड़क पर इक्कादुक्का गाडि़यों के अलावा आदित्य की कार दौड़ रही थी, जिसे ड्राइवर चला रहा था. आदित्य पिछली सीट पर सिर टिकाए आंखें मूंदे निढाल पड़ा था. दादाजी की बताई बातें अब तक उस के जेहन में घटनाएं बन कर उभर रही थीं.

कसरती बदन वाला मैयादीन, जिस के चेहरे पर अनोखा तेज था, हवेली में ठाकुर शमशेर सिंह को पुकारता हुआ दाखिल हुआ, ‘ठाकुर साहब, आप ने मुझे बुलाया. मैं हाजिर हो गया हूं… आप कहां हैं?’ तभी गुसलखाने से उसे चीख सुनाई दी. वह दौड़ता हुआ उस तरफ चला गया. उस ने देखा कि सुंदरसलोनी रति पैर में मोच आने से गिर पड़ी थी. उस का रूप और अदाएं किसी मुनि के भी अंदर का शैतान जगाने को काफी थीं. उस ने अदा से पास खड़े मैयादीन का हाथ पकड़ लिया.

‘देवीजी, आप क्या कर रही हैं?’ ‘सचमुच तुम बड़े भोले हो. क्या तुम यह भी नहीं समझते?’

‘आप के ऊपर वासना का शैतान हावी हो गया है, पर माफ करें देवी, मैं उन लोगों में से नहीं, जो मर्दऔरत के पवित्र बंधन को जानवरों का खेल समझते हैं.’ ‘तुम्हारी यही बातें तो मुझे बावला बनाती हैं. लो…’ कह कर रति ने अपना पल्लू गिरा दिया, जिसे देख कर मैयादीन ने एक झन्नाटेदार तमाचा रति को जड़ दिया और तुरंत वहां से निकल आया.

मैयादीन वहां से निकला तो देखा कि दीवार की आड़ में बूढ़े ठाकुर शमशेर सिंह अपना सिर झुकाए खड़े थे. वह कुछ कहता, इस से पहले ही ठाकुर साहब ने उसे चुप रहने का इशारा किया और पीछेपीछे अपने कमरे में आने को कहा. मैयादीन ठाकुर साहब के पीछेपीछे उन के कमरे में चल दिया और अपराधबोध से बोला, ‘‘ठाकुर साहब, आप ने सब सुन लिया?’’

शर्म पर काबू रखते हुए थकी आवाज में उन्होंने कहा, ‘‘हां मैयादीन, मैं ने सब सुन लिया और अपने खून को अपनी जाति पर आते हुए भी देख लिया… तुम्हारी बहादुरी ने पहले ही मुझे तुम्हारा कर्जदार बनाया था, आज तुम्हारे चरित्र ने मुझे तुम्हारे सामने भिखारी बना दिया. ‘धन्य है वह खून, जो तुम्हारी रगों में दौड़ रहा है… अपनी बेटी की तरफ से यह लाचार बाप तुम से माफी मांगता है. जवानी के बहाव में उस ने जो किया, तुम्हारी जगह कोई दूसरा होता है, तो जाने क्या होता. मेरी लड़की की इज्जत तुम ने दोबारा बचा ली…

‘अब जैसे भी हो, मैं इस मंगली के हाथ जल्द से जल्द पीले कर दूंगा, तब तक मेरी आबरू तुम्हारे हाथों में है. मुझे वचन दो मैयादीन…’ ‘ठाकुर साहब, हम अछूत हैं. समय का फेर हम से पाखाना साफ कराता है, पर इज्जतआबरू हम जानते हैं, इसलिए आप मुझ पर भरोसा कर सकते हैं. यह बात मुझ तक ही रहेगी.’

मैयादीन का वचन सुन कर ठाकुर साहब को ठंडक महसूस हुई. उन्होंने एक लंबी सांस ले कर कहा, ‘अब मुझे किसी बात की चिंता नहीं… तुम्हारी बातें सुन कर मन में एक आस जगी है. पर सोचता हूं, कहीं तुम मना न कर दो.’ ‘ठाकुर साहब, मैं आप के लिए जान लड़ा सकता हूं.’

‘‘मैयादीन, तुम्हारी बहादुरी से खुश हो कर मैं तुम्हें इनाम देना चाहता था और इसलिए मैंने तुम्हें यहां बुलाया था… पर अब मैं तुम से ही एक दान मांगना चाहता हूं.’ मैयादीन अचरज से बोला, ‘मैं आप को क्या दे सकता हूं? फिर भी आप हुक्म करें.’

ठाकुर साहब ने हिम्मत बटोर कर कहा, ‘‘तुम जानते हो, मेरे बेटे भानुप्रताप का ब्याह हुए 10 साल हो गए हैं, लेकिन सभी उपायों के बावजूद बहू की गोद आज तक सूनी है, इसलिए बेटे की कमजोरी छिपाने के लिए मैं लड़के की चाहत लिए यज्ञ के बारे में सोच रहा था. ‘‘मैं चाहता था, किसी महात्मा का बीज लूं, पर मेरे सामने एक बलवान और शीलवान बीजदाता के होते हुए किसी अनजान का बीज अपने खानदान के नाम पर कैसे पनपने दूं?’

यह सुन कर मैयादीन को जैसे दौरा पड़ गया. उस ने झुंझला कर कहा, ‘ठाकुर साहब… आज इस हवेली को क्या हो गया है? अभी कुछ देर पहले आप की बेटी… और अब आप?’ ‘मैयादीन, अगर तुम्हारा बीज मेरे वंश को आगे बढ़ाएगा, तो मुझे और मेरे बेटे को बिरादरी की आएदिन की चुभती बातों से नजात मिल जाएगी. मेरी आबरू एक दफा और बचा लो.’

ठाकुर साहब की लाचारी मैयादीन को ठंडा किए जा रही थी, फिर भी वह बोला, ‘‘ठाकुर साहब, मुझे किसी इनाम का लालच नहीं, और न ही मैं लूंगा, फिर भी मैं आप की बात कैसे मान लूं?’’ ठाकुर साहब ने अपनी पगड़ी मैयादीन के पैरों में रखते हुए कहा, ‘मान जाओ बेटा. तुम्हारा यह उपकार मैं कभी नहीं भूलूंगा.’’

ठाकुर साहब उस का हाथ अपने हाथ में ले कर बोले, ‘‘तुम ने सच्चे महात्मा का परिचय दिया है… अब से एक महीने तक तुम हमारी जंगल वाली कोठी में रहोगे. तुम्हारी जरूरत की सारी चीजें तुम्हें वहां मौजूद मिलेंगी. सही समय आने पर हम वहीं बहू को ले आएंगे…’ आदित्य का ध्यान टूटा, जब उस के कार ड्राइवर ने तीसरी बार कहा, ‘‘साहब, एयरपोर्ट आ गया है.’’

जब तक आदित्य खानदानी ठाकुर था, तब तक उस के भीतर एक मानवतावादी अपने ही खानदान के खिलाफ बगावत पर उतर आया था, पर अब उसे मालूम हुआ कि वह कौन है, कहां से पैदा हुआ है, उस का और सफाई करने वाले सूरज का परदादा एक ही है, तब उस की सारी वैज्ञानिक योजनाएं अपनी मौत आप मर गईं. जिस सच को आदित्य दुनिया के सामने लाना चाहता था, वही सच उस के सामने नंगा नाच रहा था, इसलिए वह हमेशा के लिए इस देश को छोड़े जा रहा था. अपने पिता के पास, उन की तय की हुई योजनाओं का हिस्सा बनने.

पर जाने से पहले उस ने अपने दादा की गलती नहीं दोहराई. उन के परदादा के जतन से रखे दस्तावेज को वह जला आया था.

Famous Hindi Stories : गहरी नजर – मोहन को आशु ने कैसे समझाया

Famous Hindi Stories : इंसपेक्टर मोहन देशपांडे अदालत से बाहर निकल रहे थे तो उन के साथ चल रही आशु हाथ हिलाहिला कर कह रही थी, ‘‘मैं बिलकुल नहीं मान सकती. भले ही अदालत ने उसे बेगुनाह मान कर बाइज्जत बरी कर दिया है, लेकिन मेरी नजरों में जनार्दन हत्यारा है. वही पत्नी का कातिल है. यह दुर्घटना नहीं, बल्कि जानबूझ कर किया गया कत्ल था और इसे अचानक हुई दुर्घटना का रूप दे दिया गया था.’’

‘‘लेकिन शक की कोई वजह तो होनी चाहिए,’’ मोहन देशपांडे ने आगे बढ़ते हुए कहा, ‘‘हम ख्वाहमख्वाह किसी पर आरोप तो नहीं लगा सकते. अदालत ठोस सबूत मांगती है, सिर्फ हवा में तीर चलाने से काम नहीं चलता.’’

‘‘जनार्दन ने अपनी पत्नी का कत्ल किया है. यह सच है.’’ आशु ने चलते हुए मुंह फेर कर कहा, ‘‘इस में शक की जरा भी गुंजाइश नहीं है.’’

‘‘अच्छा, अब इस बात को छोड़ो और कोई दूसरी बात करो.’’ मोहन ने कहा, ‘‘कई अदालत उसे रिहा कर चुकी है.’’

‘‘मेरी बात मानो,’’ आशु ने कहा, ‘‘जनार्दन को भागने मत दो. वह वाकई मुजरिम है. अगर वह हाथ से निकल गया तो तुम सारी जिंदगी पछताते रहोगे.’’

‘‘आखिर तुम मेरा मूड क्यों खराब कर रही हो?’’ इंसपेक्टर मोहन ने नाराज होते हुए कहा, ‘‘मैं ने सोचा था कि अदालत से फुरसत पाते ही हम कहीं घूमनेफिरने चलेंगे, जबकि तुम फिर जनार्दन आगरकर का किस्सा ले बैठीं. मुझे लगता है, इस घटना ने तुम्हारे दिलोदिमाग पर गहरा असर डाला है?’’

‘‘हां, शायद तुम ठीक कह रहे हो,’’  आशु ने कहा.

उस समय उस की नजरें एक ऐसे आदमी पर जमी थीं, जो लिफ्ट से बाहर निकल रहा था. वही जनार्दन आगरकर था. मोहन देशपांडे भी उसे ही देख रहा था. आशु तेजी से उस की ओर बढ़ते हुए बोली, ‘‘मोहन, तुम यहीं रुको, मैं अभी आई.’’

मोहन ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह रुकी नहीं. जनार्दन आगरकर मध्यम कद का दुबलापतला आदमी था. लेकिन चेहरेमोहरे से वह अपराधी लग रहा था. उस का एयरकंडीशनर के स्पेयर पार्ट्स सप्लाई का काम था. 15 दिनों पहले उस की पत्नी पहाड़ की चोटी से गहरे खड्ड में गिर कर मर गई थी. उस समय वह उस की तसवीर खींच रहा था. उस की पत्नी सुस्त और काहिल औरत थी, सोने की दवा लेने की वजह से हमेशा नींद में रहती थी.

जनार्दन पहाड़ की उस चोटी पर उसे घुमाने ले गया था, ताकि उस की तबीयत में कुछ सुधर हो सके और वह नींद की स्थिति से मुक्त हो सके. उस पहाड़ के पीछे बर्फ से ढकी चोटियां दिख रही थीं. जनार्दन ने पत्नी से फोटो खींचने के लिए कहा. वह फोटो खींच रहा था, तभी न जाने कैसे उस की पत्नी का पैर फिसल गया और वह 50 फुट नीचे गहरी खाई में जा गिरी.

जनार्दन आगरकर के लिफ्ट से बाहर आते ही आशु ने उसे घेर लिया. दोनों में बातें होने लगीं. आशु उस से जोश में हाथ हिलाहिला कर बातें कर रही थी. जबकि जनार्दन शांति से बातें कर रहा था. वह आशु के हर सवाल का जवाब मुसकराते हुए दे रहा था.

इस बीच इंसपेक्टर मोहन देशपांडे का मन कर रहा था कि वह उस आदमी का मुंह तोड़ दे. क्योंकि उसे भी पता था इसी ने पत्नी का कत्ल किया था. लेकिन कोई सबूत न होने की वजह से वह बाइज्जत बरी हो गया था. जनार्दन चला गया तो आशु इंसपेक्टर मोहन के पास आ गई. इसंपेक्टर मोहन ने पूछा, ‘‘क्या बात है, तुम जनार्दन के पास क्यों गई थीं?’’

आशु ने जवाब देने के बजाए होंठों पर अंगुली रख कर चुप रहने का इशारा किया. इस के बाद फुसफुसाते हुए बोली, ‘‘हमें जनार्दन का पीछा करना होगा. ध्यान रखना, वह निकल न जाए. समय बहुत कम है, इसलिए जल्दी करो. मैं रास्ते में तुम्हें सब बता दूंगी.’’

आशु सिर घुमा कर इधरउधर देख रही थी. अचानक उस ने कहा, ‘‘वह रहा, वह उस लाल कार से जा रहा है, जल्दी करो.’’

उन की गाड़ी लाल कार का पीछा करने लगी. जनार्दन की कार पर नजरें गड़ाए हुए मोहन ने पूछा, ‘‘आखिर इस की क्या जरूरत पड़ गई तुम्हें?’’

‘‘देखो मोहन, जनार्दन समझ रहा है कि अदालत ने उसे रिहा कर दिया है. इस का मतलब मामला खत्म. जबकि मेरे हिसाब से उस का मामला अभी खत्म नहीं हुआ है. अब हमें उस से असली बात मालूम करनी है.’’ आशु ने कहा.

‘‘तुम ने जनार्दन आगरकर से क्या बातें की थीं?’’

‘‘मैं ने कहा था कि मैं उस की अदाकारी की कायल हूं. अदालत के कटघरे में उस ने जिस मासूमियत का प्रदर्शन किया, वह वाकई तारीफ के काबिल था. मैं ने उस के आत्मविश्वास की तारीफ की तो उस ने मुझे रायल क्लब चलने को कहा.’’

‘‘तो क्या तुम उस के साथ वहां जाओगी? यह अच्छी बात नहीं है.’’ मोहन ने कहा.

‘‘मैं क्लब में उसे खूब शराब पिला कर उस से सच उगलवाना चाहती हूं.’’ आशु ने इत्मीनान के साथ कहा.

‘‘लेकिन मैं तुम्हें इस तरह का फालतू काम करने की इजाजत नहीं दूंगा.’’ मोहन ने नाराज हो कर कहा.

‘‘अच्छा, इस बात को छोड़ो और ड्राइविंग पर ध्यान दो. जनार्दन आगरकर की कार दाईं ओर घूम रही है. उसे नजर से ओझल मत होने देना, वरना जिंदगी भर पछताओगे.’’

‘‘आखिर तुम्हारे दिमाग में चल क्या रहा है? जनार्दन आगरकर की रिहाई के बाद भी तुम उस का पीछा क्यों कर रही हो?’’ मोहन ने जनार्दन की कार पर नजरें जमाए हुए पूछा.

‘‘देखो मोहन,’’ आशु ने गंभीरता से कहा, ‘‘अदालत में जनार्दन ने खुद को इस तरह दिखाया था, जैसे वह बहुत दुखी है, लेकिन उस की आंखें भेडि़ए जैसी चमक रही थीं. उस के अंदाज में काफी सुकून लग रह था, जैसे वह पत्नी को खत्म कर के बहुत खुश हो. उस के भावनाओं का अंदाजा एक औरत ही लगा सकती है और मैं ने उस के दोगलेपन को अच्छी तह महसूस किया है.

‘‘अपनी तसल्ली के लिए ही मैं उस से बात करने गई थी. उस की बातों से मैं ने अंदाजा लगा लिया कि यह आदमी बहुत ही चालाक और दगाबाज है. उस ने पत्नी को धक्का दे कर मारा है.’’

‘‘अच्छा तो तुम ने इस हद तक महसूस कर लिया?’’ मोहन ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘तुम्हें तो सीबीआई में होना चाहिए था.’’

जनार्दन की कार दाईं ओर घूमी तो आशु ने कहा, ‘‘अब यह कहां जा रहा है?’’

‘‘अपने घर… आगे इसी इलाके में वह रहता है.’’ मोहन ने कहा.

जर्नादन ने अदालत में माना था कि उस के अपनी पत्नी से अच्छे संबंध नहीं थे. दोनों में अकसर कहासुनी होती रहती थी. यह बात जनार्दन के पड़ोसियों ने भी बताई थी. आशु ने कहा, ‘‘जनार्दन ने अदालत में कहा था कि वह अपनी पत्नी को घुमाने के लिए पहाड़ों की उस चोटी पर ले गया था. कैमरा भी साथ ले गया था, इसलिए वहां एक सुंदर चट््टान पर उस ने पत्नी को खड़ा कर दिया, ताकि उस की यादगार तसवीर खींच सके.

‘‘इधर उस ने तसवीर खींची और उधर उस की पत्नी का पैर चट्टान से फिसल गया. जनार्दन ने उस समय की खींची हुई तसवीर भी अदालत में पेश की थी. सवाल यह है कि उस ने वह तसवीर सबूत के लिए अदालत में क्यों पेश की, उस की क्या जरूरत थी?’’

‘‘हां, यह बात तो वाकई गौर करने वाली थी,’’ मोहन ने कहा, ‘‘इस का मतलब यह है कि इस के पीछे कोई चक्कर था.’’

‘‘काश! वह तसवीर मैं देख पाती,’’ आशु ने कहा, ‘‘उस तसवीर से कोई न कोई सुराग जरूर मिल सकता है.’’

‘‘तसवीर देखनी है? वह तो मेरे पास है.’’ कह कर मोहन ने अपनी जेब से पर्स निकाला और उस में से एक तसवीर निकाल कर आशु की तरफ बढ़ा दी.

आशु ने तसवीर ले कर उसे गौर से देखते हुए कहा, ‘‘चलो, इस से एक बात तो साबित हो गई कि तुम इस फैसले से संतुष्ट नहीं हो. तभी तो यह तसवीर साथ लिए घूम रहे हो. तुम्हारी नजरों में भी जनार्दन खूनी है.’’

‘‘हां आशु, कई चीजें ऐसी थीं कि जिन्होंने मुझे उलझन में डाल दिया था.’’

तसवीर को देखते हुए आशु बोली, ‘‘कितनी प्यारी औरत थी. शायद जनार्दन ने उसे इंश्योरेंस के लालच में मार डाला है या फिर किसी दूसरी औरत का चक्कर हो सकता है. लेकिन मुझे लग रहा है कि यह तसवीर दुर्घटना वाले दिन की नहीं है. यह तसवीर पहले की उस समय की है, जब पतिपत्नी में अच्छे संबंध थे. इस में जनार्दन की पत्नी बहुत खुश दिखाई दे रही है, जो इस बात का सबूत है कि यह तसवीर अच्छे दिनों की है.’’

‘‘तुम्हारे विचार से जनार्दन ने पत्नी को कैसे मारा होगा?’’ मोहन ने पूछा.

‘‘जनार्दन ने पत्नी को घर पर मारा होगा या फिर कार में.’’ आशु ने कहा, ‘‘संभव है, जनार्दन उसे जान से न मारना चाहता रहा हो, लेकिन वार जोरदार पड़ गया हो, जिस से वह मर गई हो. इस के बाद जनार्दन ने एक पुरानी तसवीर निकाली, जिस में वह पहाड़ की चोटी पर खड़ी मुसकरा रही थी. उस के बारे में उस ने यह कहानी बना दी. पत्नी की लाश को ले जा कर पहाड़ की चोटी से नीचे खड्ड में गिरा दी.’’

बातें करते हुए आशु की नजरें जनार्दन की कार पर ही टिकी थीं. उस की कार एक अपार्टमेंट में दाखिल हुई, तभी आशु ने कहा, ‘‘तुम ने मृतका के कपड़ों को देखा था? क्या वह वही कपड़े पहने थी, जो इस तसवीर में पहने है.’’

‘‘हां बिलकुल, मैं यह देख चुका हूं.’’ मोहन ने कहा.

‘‘अगर जनार्दन ने पत्नी को खत्म करने के बाद तसवीर वाले कपड़े पहनाए होंगे तो सलीके से नहीं पहनाया होगा.’’ आशु ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘‘कोई न कोई गलती उस ने जरूर की होगी.’’

‘‘मैं ने मुर्दाघर में लाश देखी थी. लाश पर वही कपड़े थे, जो तसवीर में है.’’ मोहन ने कहा.

‘‘वह तो ठीक है, तुम एक मर्द हो. इस मामले में कोई न कोई गलती जरूर रह गई होगी.’’ आशु ने कहा, ‘‘अगर मैं तुम्हारे साथ होती तो बहुत ही सूक्ष्मता से निरीक्षण करती.’’

आशु तसवीर को गौर से देखती हुई बोली, ‘‘इन छ: बटनों की लाइन के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है? क्या यह लाइन उस के कोट पर उस समय भी थी, जब लाश मुर्दाघर में लाई गई थी?’’

‘‘हां, यह लाइन मौजूद थी.’’ मोहन ने कहा.

‘‘उस के कोट के दाईं तरफ वाले कौलर के करीब?’’ आशु ने पूछा.

‘‘हां,’’ मोहन ने सिर हिलाते हुए कहा.

जनार्दन की कार अब तक पार्किंग में दाखिल हो चुकी थी. मोहन ने भी खाली जगह देख कर अपनी कार रोक दी. जनार्दन उन दोनों को देख चुका था. वह कार से उतरा और उन की ओर बढ़ा. उस के चेहरे पर नाराजगी साफ झलक रही थी. उस ने कहा, ‘‘तुम लोग मेरा पीछा क्यों कर रहे हो? जबकि अदालत ने मुझे बेकसूर मान लिया है. मैं तुम्हारे खिलाफ मानहानि का मुकदमा करूंगा.’’

मोहन ने धैर्यपूर्वक कहा, ‘‘नाराज होने की जरूरत नहीं है. हम किसी दूसरे मामले में इधर आए हैं. उस से तुम्हारा कोई संबंध नहीं है.’’

‘‘अच्छा तो फिर यह लड़की अदालत के बाहर मेरे पास क्यों आई थी?’’ जनार्दन ने पूछा.

‘‘मेरा इस मामले से कोई लेनादेना नहीं है.’’ मोहन ने कहा.

‘‘तुम मेरा पीछा कर रहे हो, मैं इस बात की शिकायत करूंगा. मेरा वकील तुम्हारे खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर करेगा.’’

‘‘जनार्दन, अदालत ने तुम्हें बरी कर दिया तो क्या हुआ, हमारी नजर में तुम अब भी अपराधी हो. तुम बच नहीं सकोगे.’’ आशु ने कहा.

आशु की बात सुन कर जनार्दन ने तीखे स्वर में कहा, ‘‘आखिर दिल की बात जुबान पर आ ही गई? मुझे शक था कि तुम मेरे पीछे लगी हो.’’

‘‘हां, मैं तुम्हारे पीछे लगी हूं,’’ आशु ने लगभग चीखते हुए कहा, ‘‘तुम ने अदालत में अपनी पत्नी की जो तसवीर पेश की थी, वह दुर्घटना वाले दिन की नहीं है. तुम ने यह तसवीर पहले कभी खींची थी. बताओ, तुम ने यह तसवीर अदालत में पेश कर के क्या साबित करने की कोशिश की?’’

आशु की बात सुन कर जनार्दन के चेहरे का रंग उड़ने सा लगा. बड़ी मुश्किल से उस ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारी किसी बात का जवाब नहीं दूंगा, क्योंकि अदालत में सवालजवाब हो चुका है. अब जो भी बात करनी है, मेरे वकील से करना.’’ कह कर वह अपार्टमेंट की सीढि़यों की तरफ बढ़ गया.

‘‘मेरे खयाल से हमें कुछ भी हासिल नहीं हुआ,’’ मोहन ने कहा, ‘‘लेकिन तुम ने मुझे एक आइडिया जरूर दे दिया. मैं उस तसवीर को दोबारा देखना चाहूंगा.’’

कह कर मोहन ने आशु से वह तसवीर ले ली और उसे गौर से देखने लगा. अचानक वह उत्साह से बोला, ‘‘तुम ठीक कह रही हो, सबूत मिल गया.’’

कह कर मोहन अपार्टमेंट की ओर बढ़ा तो आशु ने पूछा, ‘‘कहां जा रहे हो?’’

‘‘अपराधी को पकड़ने, अगर मैं ने जरा भी देर कर दी तो वह फरार होने में सफल हो जाएगा.’’ मोहन ने कहा.

आशु भी मोहन के साथ चल पड़ी. लौबी में जनार्दन के नाम की प्लेट लगी थी. जिस पर फ्लैट नंबर 102 लिखा था. दोनों उस के फ्लैट के सामने थे. मोहन ने दरवाजे पर दस्तक देने के बजाए जोरदार ठोकर मारी. दरवाजा खुल गया तो दोनों आंधीतूफान की तरह अंदर दाखिल हुए. जनार्दन बैड पर रखे सूटकेस में जल्दीजल्दी सामान रख रहा था.

दोनों को देख कर वह चीखा, ‘‘क्यों आए हो यहां, क्या चाहते हो मुझ से?’’

मोहन ने उस की नजरों के सामने उस की पत्नी की तसवीर लहराते हुए कहा, ‘‘यह लड़की बहुत अक्लमंद है. इस ने तो कमाल ही कर दिया. मुझे भी पीछे छोड़ दिया. तुम ने अपनी पत्नी को इसी फ्लैट में मारा था, फिर उस की लाश को अपनी कार में डाल कर उस पहाड़ की चोटी पर ले गए थे. जहां से उसे गहरी खाई में फेंक दिया था.’’

‘‘देखो इंसपेक्टर,’’ जनार्दन ने अकड़ने के बजाए नरमी से कहा, ‘‘इस मुकदमे का फैसला सुनाया जा चुका है और इस तसवीर ने यह साबित कर दिया है कि…’’

‘‘इसी तसवीर ने तो तुम्हें झूठा साबित किया है,’’ मोहन ने कहा, ‘‘तुम ने यह तसवीर काफी समय पहले खींची थी. लेकिन जब तुम ने अपनी पत्नी का कत्ल किया तो उसे हादसे का रूप देने के लिए उस की लाश को तसवीर वाले कपड़े पहना दिए.

‘‘लेकिन जब लाश को पुलिस ने खाई से निकाल कर अपने कब्जे में लिया तो तुम्हें लगा कि तुम ने लाश को जो कोट पहनाया है, उस में तुम से एक गलती हो गई है. उस में बटनों की लाइन दाईं तरफ थी, जबकि तसवीर में बाईं तरफ है.’’

‘‘तुम बिलकुल अंधे हो, तसवीर को गौर से देखो.’’ जनार्दन ने गुस्से में कहा.

‘‘मेरी बात अभी पूरी नहीं हुई है.’’ ’’ मोहन ने कहा, ‘‘जब तुम्हें अपनी गलती का अहसास हुआ तो तुम ने तसवीर का निगेटिव पलट कर नई तसवीर बनवा ली. नई तसवीर में मृतका के कोट के दाएं कौलर के नीचे बटनों की लाइन दिखाई दे रही है, यही तसवीर तुम ने हमें दी थी. लेकिन तुम यहां एक गलती कर गए. निगेटिव को उलटने से कोट के कौलर के साथ भी सब कुछ उलटा हो गया. आमतौर पर पुरुषों के कोट के दाईं कौलर की तरफ बटन.’’

अभी मोहन की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि जनार्दन ने उस की तरफ छलांग लगा दी. लेकिन इंसपेक्टर मोहन ने उस का बाजू पकड़ लिया और उसे घुमाते हुए दीवार पर दे मारा. इस के बाद जनार्दन को उठा कर उस के सूटकेस के पास फेंक कर कहा, ‘‘मिस्टर जनार्दन, अब तुम अपना अपराध स्वीकार कर लो.’’

तभी जनार्दन ने अपनी जेब से पिस्तौल निकाल कर मोहन और आशु की तरफ तान कर कहा, ‘‘तुम दोनों अपने हाथ ऊपर उठा लो, वरना मैं गोली मर दूंगा. कोई होशियारी मत दिखाना.’’

जनार्दन ने दूसरे हाथ से सूटकेस बंद करते हुए कहा, ‘‘मेरे रास्ते से हट जाओ. मैं और लाशें अपने नाम के साथ नहीं जोड़ना चाहता.’’

‘‘मूर्ख आदमी, तुम ज्यादा दूर अपनी कार नहीं जा सकोगे, क्योंकि मैं ने उस में गड़बड़ी कर दी है.’’ मोहन ने उसे घृणा देखते हुए कहा.

‘‘ठीक है, मैं तुम्हारी कार ले जाऊंगा.’’ जनार्दन ने कहा, ‘‘लाओ, उस की चाबी मेरे हवाले करो.’’

‘‘ठीक है,’’ यह कह कर मोहन ने चाबी निकालने के लिए जेब में हाथ डालना चाहा.

‘‘खबरदार, जेब में हाथ मत डालो. मुझे बताओ कि चाबी किस जेब में है. मैं खुद निकाल लूंगा.’’ जनार्दन चिल्लाया.

‘‘मेरे कोट की दाईं जेब में.’’ मोहन ने कहा.

जनार्दन ने उस के कोट की दाईं जेब की ओर हाथ बढ़ाया. उसी समय फायर हुआ, जिस की आवाज से कमरा गूंज उठा. इस के साथ ही जनार्दन बौखला कर दूर जा गिरा और आशु जोरजोर से चीखने लगी. फिर जमीन पर गिर पड़ी. दरअसल वह फायर जनार्दन ने किया था, मगर बौखलाहट के कारण वह फायर बेकार चला गया.

इंसपेक्टर मोहन के लिए इतनी मोहलत काफी थी. उस ने जनार्दन के कंधे पर फ्लाइंग किक मार कर उसे गिरा दिया. थोड़ी ही देर में उस ने जनार्दन के हाथों में हथकडि़यां लगा दीं. फिर उस ने आशु को उठा कर बैड पर बिठाया. उसे तसल्ली दी और किचन से पानी ला कर पिलाया.

थोड़ी देर बाद आशु संभल गई. मोहन ने कहा, ‘‘सुनो आशु, पहले तो मैं ने मजाक में कहा था कि तुम जैसी लड़की हमारे पुलिस स्क्वायड में शामिल नहीं होनी चाहिए. लेकिन अब मैं पूरी गंभीरता से कह रहा हूं कि तुम हमारे पुलिस स्क्वायड की अहम जरूरत हो. अगर तुम हमारे साथ शामिल हो गईं तो न जाने कितने केस हल हो जाएंगे, तमाम अपराधी कानून की गिरफ्त में आ जाएंगे और बेकसूर लोगों को रिहाई मिल जाएगी.’’

यह सुन कर आशु मुसकराने लगी.

Hindi Kahaniyan : बिग डील

Hindi Kahaniyan :  सोशल नैटवर्किंग साइट पर मोहना अपनी सगाई के कुछ फोटो अपलोड कर के हटी ही थी कि उस के स्मार्टफोन में नए मैसेज की टोन गूंज उठी. सभी मित्र तथा सहकर्मी उसे बधाई दे रहे थे. मुसकराती हुई वह सभी मैसेज पढ़ रही थी कि एक नाम पढ़ते ही उस के फैले अधर सिकुड़ गए, मुसकराते चेहरे पर त्योरियां चढ़ गईं और खुशमिजाज मूड बिगड़ गया. फिर भी उस ने बधाई का उत्तर दिया, ‘धन्यवाद गोपाल, मुझे तुम से यही उम्मीद थी.’

एक बार को दिल किया कि गोपाल को अपनी फ्रैंडलिस्ट से निकाल दे लेकिन रुक गई. पिछले 3 वर्षों में गोपाल ने कोई ऐसी हरकत नहीं की थी. आज भी अन्य मित्रों की भांति बधाई दी है. फिर मोहना आज के जमाने की बोल्ड युवती है, खुले विचारों वाली, दकियानूसी विचारधारा से परे. 3 साल पहले हुई एक दुर्घटना उस का मनोबल कैसे तोड़ सकती है. लैपटौप बंद कर वह रसोई में अपने लिए एक कप कौफी बनाने चल दी. दूध के उबाल के साथसाथ उस के विचारों में भी ऊफान आने लगा और एक झटके में पुराने दिनों में पहुंच गई.

स्नातकोत्तर के लिए कालेज में प्रवेश के साथ ही मोहना की मित्रता गोपाल से हुई थी. दोनों का विषय एक था. कुछ ही अरसे की दोस्ती ने गोपाल को एक सुंदर, सुनहरे भविष्य के सपने दिखाने शुरू कर दिए. वह अकसर बात करता, ‘मोहना, जब हम अपना घर लेंगे तो उस में…’

मोहना बीच में ही बात काट देती, ‘अपना घर? हम एक घर क्यों लेंगे?’ गोपाल शरमा कर हंस देता और मोहना सिर झटक कर हंस देती. ‘जब मैं ने मोहना के आगे शादी का प्रस्ताव ही नहीं रखा तो वह क्यों मेरे इशारों को समझेगी. जब मैं प्रपोज करूंगा तभी तो मोहना भी मेरे प्रति अपना प्यार स्वीकारेगी,’ सोचता हुआ गोपाल एक सही समय की प्रतीक्षा कर रहा था.

कालेज के अंतिम वर्ष में प्लेसमैंट सैल द्वारा लगभग सभी की जौब लग गई. मोहना व गोपाल को भी अपनी पसंदीदा कंपनियों में अच्छे पैकेज वाली नौकरियां मिल गईं. किंतु एक को दिल्ली में तो दूसरे को हैदराबाद में नौकरी मिली. गोपाल इस से काफी उदास हो उठा.

‘अरे, हम टच में रहेंगे न, इतना क्यों उदास होते हो?’

‘मैं ने कल शाम. तुम्हारे लिए एक पार्टी रखी है, मोहना, आओगी न?’ गोपाल ने उदासी का चोला उतार पहले जैसी मुसकान ओढ़ ली.

‘बिलकुल आऊंगी. मेरे लिए पार्टी हो और मैं न आऊं?’ मोहना पार्टी का नाम सुन कर खुश थी. अगली शाम जब मोहना तैयार हो निर्धारित जगह पर पहुंची तो अपने ज्यादातर मित्रों को उस पार्टी में पा कर बोली, ‘‘अरे वाह, यहां तो सभी हैं.’’ ‘क्योंकि ये आम पार्टी नहीं, आज यहां कुछ खास होने वाला है. कुछ ऐसा जिसे तुम सारी उम्र नहीं भूलोगी,’ कहते हुए गोपाल के इशारे पर सारा वातावरण मधुर संगीत से गूंज उठा. आसपास खड़े मित्र, मोहना और गोपाल पर गुलाब की पंखुडि़यां बरसाने लगे.

मोहना आश्चर्यचकित थी पर साथ ही इतने मनमोहक माहौल में उस की मुसकान थमने का नाम नहीं ले रही थी. तभी गोपाल ने जेब से एक सुंदर सी डब्बी निकाली और खोल कर मोहना के समक्ष बढ़ा दी. उस डब्बी में एक खूबसूरत अंगूठी थी, ‘क्या तुम मेरी जीवनसंगीनी बनोगी, मोहना?’ मोहना की हंसी अचानक काफूर हो गई. उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है, जिसे वह अपनी नौकरी मिलने की खुशी की पार्टी समझ रही थी वह तो दरअसल गोपाल ने उसे प्रपोज करने हेतु रखी थी. वह भी सब के सामने. इस अप्रत्याशित प्रस्ताव के लिए वह कतई तैयार नहीं थी. पहली बात उस ने अभी शादी करने के बारे में सोचा भी न था. गोपाल को उस ने कभी इस नजर से देखा भी नहीं था. वह तो उसे सिर्फ एक दोस्त मानती थी.

‘ओह गोपाल. एक बार मुझ से पूछ तो लेते. यों अचानक सब के सामने… देखो, मैं तुम्हारा दिल नहीं दुखाना चाहती पर मैं अभी शादी नहीं करना चाहती. मैं तुम से प्यार भी नहीं करती. प्लीज, बात समझने की कोशिश करो,’ मोहना अचकचा गई थी, वह गोपाल को किसी भी गलतफहमी में नहीं रखना चाहती थी. उस के इतना कहते ही पार्टी में हलचल मच गई. चारों ओर खुसफुसाहट सुनाई देने लगी. गोपाल को अपनी बेइज्जती महसूस हुई. सब मित्र अपनेअपने घर रवाना हो गए. मोहना भी चुपचाप चली गई. कुछ दिन बाद मोहना हैदराबाद चली गई और वहां नई नौकरी जौइन कर ली. उस शाम से आज तक उस ने गोपाल से कोई बातचीत नहीं की थी. नए शहर और नई नौकरी में मोहना खुश थी. मोहना को इस औफिस में अभी एक हफ्ता ही हुआ था कि एक सुबह अचानक औफिस में प्रवेश करते समय उस ने गोपाल को रिसैप्शन पर खड़ा पाया.

‘अरे, गोपाल तुम?’

‘हां, किसी काम से हैदाराबाद आया था. सोचा, तुम से भी मिलता चलूं. तुम्हारी कंपनी का नामपता तो मालूम ही था.’

‘अच्छा किया. कैसे हो? कहां ठहरे हो और कब तक?’

‘होटल मयूर में रुका हूं. यदि शाम को तुम फ्री हो तो आ जाओ, एक कप कौफी पीएंगे साथ में और गपशप करेंगे दोनों.’ गोपाल के इस प्रस्ताव पर मोहना झिझकी.

‘हां, मैं आऊंगी,’ मोहना ने झिझकते हुए कहा. शाम को मोहना होटल मयूर पहुंची. वहीं के रेस्तरां में दोनों ने कौफी पी. कुछ हलका सा खाया ही था कि गोपाल ने पेटदर्द की शिकायत की, ‘मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है, मोहना. मैं अब कमरे में जाना चाहता हूं.’ मोहना गोपाल को छोड़ने उस के कमरे तक गई, ‘कोई दवा है तुम्हारे पास या मैं जा कर ले आऊं?’ ‘मेरी दवा तुम हो, मोहना,’ कहते हुए गोपाल ने अचानक कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और मोहना को घसीट कर बिस्तर पर गिरा दिया. ‘यह क्या कर रहे हो, गोपाल? क्या पागल हो गए हो? मैं तुम्हें साफतौर से बता चुकी हूं कि मैं तुम्हें नहीं चाहती. फिर भी तुम…’

गोपाल अपनी सुधबुध खो चुका था. मोहना की बातों का, उस की चीखों का उस पर कोई असर नहीं हुआ. उस पर तो जैसे फुतूर सवार हो गया था. वह मोहना पर टूट पड़ा और उस की अस्मिता भंग करने के पश्चात ही सांस ली. मोहना का रोरो कर बुरा हाल था. एक पुराने दोस्त के हाथों इतना बड़ा धोखा. उस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि गोपाल उसे इतना आहत कर सकता है. शारीरिक वेदना से अधिक वह रोष अनुभव कर रही थी. मना करने के बावजूद उस के अपने मित्र ने उस के साथ छल किया. मोहना का दिल कसमसा उठा. रात काफी हो चुकी थी. मोहना अपने संताप को स्वीकार चुकी थी. गोपाल चुपचाप एक तरफ बैठा था. अचानक गोपाल उठ खड़ा हुआ और कमरे की एकमात्र अलमारी से फिर वही अंगूठी वाली डब्बी निकाल लाया और बोला, ‘अब तो मान जाओ, मोहना,’ और वही अंगूठी मोहना की ओर बढ़ा दी.

‘ओह, तो तुम ने ये सब इसलिए किया ताकि मैं कहीं और, किसी और के पास जाने लायक न रहूं? मुझे तरस आता है, गोपाल, तुम्हारी संकुचित सोच पर. ऐसी हरकत कर के तुम किसी लड़की को जबरदस्ती पा तो सकते हो, लेकिन उस का दिल कभी नहीं जीत सकते, उस के अंतर्मन में अपने लिए इज्जत कभी नहीं बना सकते. मैं आज के जमाने की लड़की हूं. मेरे लिए मेरे सभी अंग महत्त्वपूर्ण हैं. किसी एक अंग को भंग कर के तुम मेरा आत्मविश्वास नहीं खत्म कर सकते. ‘यदि तुम्हारी एक उंगली कट जाए तो क्या तुम जीना छोड़ दोगे? नहीं ना? वैसे ही इस घटना को मैं अपने मनमस्तिष्क पर हावी नहीं होने दूंगी. तुम ने मेरे साथ जबरदस्ती की, इस का पछतावा तुम्हें होना चाहिए, मुझे नहीं. मेरा मन साफ है. ‘मेरे मन में तुम्हारे लिए कभी भी प्यार नहीं था और अब तो बिलकुल नहीं पनप सकता. मैं यहीं बैठी हूं. चाहो तो ऐसी हरकत फिर कर लो. मगर बारबार आहत कर के भी तुम मुझे नहीं पा सकते,’ कहते हुए मोहना उठी और अपने कपड़े, पर्स संभालते हुए कमरे से बाहर निकल गई. गोपाल भोर तक वहीं उसी मुद्रा में बैठा रहा. यह क्या कर दिया था उस ने? जिस को इतना चाहता था उसे ही इतनी पीड़ा पहुंचाई उस ने. मोहना द्वारा कही बातें उस के कानों में गूंज रही थीं.

‘अब तो कभी उस की शक्ल तक देखना पसंद नहीं करेगी मोहना?’ उस ने सोचा. अगले दिन पूरी हिम्मत जुटा कर गोपाल फिर मोहना के औफिस पहुंच गया. किंतु आज मोहना औफिस नहीं आई थी. वहां से उस के घर का पता ले, वह उस के घर जा पहुंचा. दरवाजे पर गोपाल को खड़ा देख मोहना ने उसे एक चांटा जड़ दिया. गोपाल फिर भी सिर झुकाए चुपचाप खड़ा रहा, हाथ जुड़े थे, मुख ग्लानि की स्याही से मलिन था. ‘मुझे माफ कर दो, मोहना. मैं पागल हो गया था. तुम्हें पा लेने के जनून में मैं ने अपना विवेक खो दिया था. प्लीज, मुझे माफ कर दो, मोहना,’ गोपाल गिड़गिड़ा रहा था.

मोहना एक आत्मविश्वासी, समझदार युवती थी. वह जानती थी कि किस चीज को कितनी अहमियत देनी है. गोपाल से उस की दोस्ती 3 साल पुरानी थी और इस समयाकाल में गोपाल ने उस का सिर्फ हित सोचा था. आज उस से एक भूल अवश्य हो गई थी लेकिन उस के पीछे भी उस की मनशा गलत नहीं थी. यह उस की मूर्खता थी. मोहना ने एक शर्त पर गोपाल को माफ कर दिया कि अब जब तक वह नहीं चाहेगी, दोनों एकदूसरे से मिलेंगे भी नहीं. गोपाल ने भी शर्त मान ली थी. ‘गोपाल, तुम्हारे मन में मेरे लिए जो भी भावना रही, उसे मैं विनिमय नहीं कर सकती और यह बात तुम्हें सहर्ष स्वीकारनी चाहिए. इसी में तुम्हारा बड़प्पन है,’ मोहना ने गोपाल को विदा किया. कौफी बन चुकी थी. हाथ में कौफी का मग लिए मोहना टीवी देखने बैठ गई. अपनी शादी पर पूरे 3 वर्ष पश्चात वह गोपाल से मिलेगी. गोपाल ने कहा था कि उस की शादी में अपनी गर्लफ्रैंड को भी लाएगा.

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