फाइन लाइनों, पिग्मेंटेशन, डिस्कोलर्नेस , रूखी सूखी त्वचा और एक उम्र के बाद झुर्रियां हम सभी में काफी आम हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपनी त्वचा को सुस्त और वृद्ध दिखने से नहीं रोक सकती हैं . बढ़ते प्रदूषण के स्तर, तनाव , खराब पोषण और आत्म-देखभाल की कमी ने कारण भी समय से पहले बुढ़ापा आना आम हो गया है. कॉस्मेटोलॉजिस्ट के अनुसार, युवाओं में समय से पहले बूढ़ा होना एक बड़ी चिंता का विषय है . ऐसे कई लोग है जिन्होंने 25 वर्ष की उम्र में ही 80 साल के उम्र के लोगो जैसे एजिंग के लक्षणों का सामना किया है .

इन सभी एजिंग की समस्याओं को आप आसानी से हल कर सकती हैं . एक नियमित स्किनकेयर रूटीन को शामिल करके इन सभी उम्र बढ़ने के मुद्दों से बचा जा सकता है. जिसमें एंटी-एजिंग रूटीन के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में शामिल है सनस्क्रीन . विशेषज्ञों का सुझाव है कि महिलाओं को 20 साल में कदम रखते ही अपनी त्वचा की देखभाल करनी  शुरू कर देनी चाहिए . ऐसे बहुत से तरीके हैं जिन्हें आप आसानी से अपना सकती हैं. बस आपको इन्हें अच्छे से समझना है. तो चलिए समझते हैं

यदि आप 20 वर्षीय हैं

इस आयु वर्ग में प्रमुख चिंता मुँहासे, पिग्मेंटेशन, ब्लैकहेड्स, ऑयली स्किन और सुस्त त्वचा है जो अक्सर शरीर में हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होती है. हार्मोन्स में उतार-चढ़ाव के कारण, कई महिलाएं इस उम्र में अपनी त्वचा में भीषण बदलाव देखती हैं, जैसे रूखी और सेंसिटिव त्वचा. यह आवश्यक है कि आप एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें और हरी पत्तेदार सब्जियों से भरपूर पौष्टिक आहार लें. बिस्तर पर जाने से पहले अपना मेकअप  जरूर हटाएं और मॉइस्चराइजर लगाना कभी न भूलें. अगर आप अपनी त्वचा को साफ और मॉइस्चराइज नहीं करतीं तो इससे रोम छिद्र बंद हो जाते हैं. जिससे पिगमेंटेशन और ब्लैक हेड्स की समस्या बढ़ जाती है .

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एक बार नही बार बार लगाए सनस्क्रीन :

जहां हम में से ज्यादातर महिलाएं रोजाना सनस्क्रीन लगाती हैं, वहीं बहुत कम महिलाओं को यह एहसास होता है कि एक बार लगाना काफी नहीं है. सन बर्न, टैनिंग, रैशेज, खुजली, यहां तक कि स्किन कैंसर भी सूरज की हानिकारक रेडिएशन के संपर्क में आने से होते हैं. आपको यह जांचना होगा कि आपका सनस्क्रीन एचसीवी और आयरन ऑक्साइड के अलावा यूवीए और यूवीबी रेडिएशन से सुरक्षा प्रदान करता है या नहीं. आयरन ऑक्साइड आपकी त्वचा को लंबे समय तक नीली रोशनी के संपर्क में आने से बचाता है, जो यूवीए और यूवीबी रेडिएशन की तरह ही हानिकारक है.

त्वचा की समस्याओं को न करें नजरअंदाज

इस उम्र में त्वचा संबंधी बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस उम्र में मुँहासे की समस्या सबसे अधिक होती है. आपके त्वचा की देखभाल के लिए एक बेहतर रूटीन की आवश्यकता है, क्योंकि यह उम्र आपके हार्मोनल परिवर्तनों की शुरुआत है .

यदि आप 30 वर्षीय हैं

इस समय के दौरान आप अपनी त्वचा में कई गहरे बदलाव महसूस करेंगी. आपके 30 के दशक में पोषण पर अधिक प्रयास और देखभाल करने की आवश्यकता होती है क्योंकि यही वह समय होता है जब शरीर की आत्मसात धीमी हो जाती है और समस्याएं बढ़ने लगती हैं, उसके आधार पर आपको अपने कॉस्मेटोलॉजिस्ट और कस्टोमाइस्ड स्किनकेयर के साथ अधिक सेशन करने की आवश्यकता है. यह वह समय भी है जब त्वचा में अधिक सूजन आने लगती है . एजिंग की प्रक्रिया को झुठलाया नहीं जा सकता, इसलिए आपको अपने रूटीन को लेकर और भी ज़्यादा प्रोटेक्टिव होना पड़ेगा.

30वे साल के दशक में आपको  एजिंग के संकेत दिखने शुरू हो जाएंगे. आप देखेंगी कि आपकी त्वचा अब उतनी लचीली नहीं रही जितनी पहले हुआ करती थी. उम्र बढ़ने के साथ, हमारी त्वचा के इलास्टिन और कोलेजन का धीरे-धीरे ब्रेकडाउन होना शुरू हो जाता है. त्वचा की ऊपरी सतह को स्ट्रांग बनाने के लिए, हमें रात में बहुत सारा सेरैमाइड से भरपूर मॉइस्चराइज़र और दिन के लिए हल्की जेल-क्रीम का उपयोग करना चाहिए.

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यदि आप 40 वर्षीय हैं

अब आपकी स्किन मेच्योर स्टेज में प्रवेश कर रही है. आपके कोलेजन को एक्स्ट्रा बूस्ट की आवश्यकता है, और आप अत्यधिक ड्राइनेस की शिकार भी हो सकती हैं. आपको लगेगा कि आपकी स्किन थोड़ी लटकने लगी है.ह वह आयु समूह है जब आपको अधिक झुर्रियाँ , सुखी त्वचा का एहसास होता है. आपको कुछ एडवांस्ड स्किन ट्रीटमेंट प्रक्रिया का पालन करने की आवश्यकता है जो कोलेजन के निर्माण में मदद करती है . इस दशक में शरीर के वजन के बारे में अधिक चौकस रहने की जरूरत होती है. इस अवधि के दौरान शरीर का सही वजन बनाए रखना आवश्यक है. यह प्रक्रिया आपके 20 के दशक के अंत से शुरू हो जानी चाहिए क्योंकि यदि आपने अपने शरीर के वजन को 20 के दशक में नियंत्रित नहीं किया, तो आपके लिए अपने 40 के दशक में इसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है. अत्यधिक शरीर में फैट शरीर में सूजन को बढ़ाता है और डायबिटीज , हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोगों और कैंसर सहित कई बीमारियों का कारण बन सकता है. यह देखा गया है कि जो महिलाएं स्वस्थ शरीर का वजन बनाए रखती हैं, उनके उपचार के परिणाम भी लंबे समय तक बने रहते हैं. शरीर के वजन को बनाए रखने के अलावा, एक स्वस्थ जीवन शैली और सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने की भी आवश्यकता होती है. इस उम्र में आप अपने कॉस्मेटोलॉजिस्ट के साथ अधिक से अधिक संपर्क में रहने की कोशिश करें और महीने में एक बार या दो महीने में एक बार क्लिनिक उपचार के लिए जरूर जाएं.

आप इन उपायों को आजमाकर एजिंग के लक्षणों को काफी हद तक कम कर सकती हैं. स्किन की उचित देखभाल करने से चेहरे पर हमेशा चमक बनी रहती है.

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