कोरोना को हारने के लिए लॉक डाउन का दौर ना केवल अपने देश में चल रहा है , जबकि इस समय कोरोना को लेकर यह दौर पूरा विश्व में चल रहा है. अमेरिका में कभी ना बंद होने वाली सड़के बंद है, मडरिस बंद , पेरिस बंद है और बंद है कभी ना रुकने वाला मास्को शहर. इटली में रोम साम्राज्य के विरासत स्थल जो पर्यटक से भरे रहते थे. आज सन्नाटे के इस दौर से गुजर रहे है.

इस नाजुक दौर में विश्व के विभिन्नय धर्म,जाति एवं समुदाय के लोग के दिलों दिमाग में बस एक है बात गुज रहा है कि लोगो को कैसे बचा लिया जाये. यह गुज मानव व्यवहार और सोच को बदल कर रख देगा. यह समय है मानव जाति को महामारी से बचने का, यह समय है आदत और जरूरत में  अंतर समझने का. हथियारों के होड़ से निकल कर मानव जाति के बारे में सोचना होगा. धर्म के प्रसार से ऊपर उठाकर अनुवाईयों के जीवन के बारे में सोचना होगा. साथ ही कुषोषण मुक्त विश्व से आगे बढ़ाते हुए भुखमरी को रोकना होगा.

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संयम का यह दौर हमारे अहंकार को मिटा सकता है, पड़ोसी के कुशल-मंगल के बारे में जान सकते है. गिला - शिकवा दूर कर सकते है.  अगर हर व्यक्ति अगर ठान ले कि अपने देश के लिए ही उसे सुरक्षित रहना है, तो हम सभी एक दूसरे के काम आएंगे. इस तरह देश के साथ विश्व भी सुरक्षित होगा .

जाहिर तौर पर कोरोना के खिलाफ जंग लड़नी है तो सामाजिक व्यवस्था के सरोकार ऊंचे करने पड़ेंगे. नहीं तो परिणाम दुखद होगा . अभी तक 8 लाख से अधिक लोग इस महामारी से प्रभावित हो गए है . वही पुरे विश्व में करीब 50 हजार से अधिक लोग काल के मुंह में चले गए. अभी कितने जायेंगे कहा नहीं जा सकता. ना कि कोई अनुमान लगाया जा सकता है . लेकिन जागरूपता से इसके फैलाव को रोका जा सकता है . वही भविष्य के लिए भी तैयारी किया जा सकता है .

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