4 से 13 जून तक अमरीका के न्यूयार्क शहर में संपन्न ‘‘न्यूयार्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल’’में मशहूर फिल्मकार सुमन मुखेपाध्याय निर्देशित फिल्म‘‘नजरबंद’’का यूएस प्रीमियर संपन्न हुआ. ज्ञातब्य है कि इससे पहले फिल्म‘‘नजरबंद’’का विश्व प्रीमियर ‘‘25 वें बुसान अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव’’में हो चुका है. आशापूर्णा देवी की लघु कहानी ‘‘चुटी नकोच’’ पर आधारित इस फिल्म में तन्मय धनानिया और इंदिरा तिवारी ने मुख्य भूमिका निभायी है.

सुमन मुखोपाध्याय ने इस फिल्म के निर्माण व शूटिंग के लिए एक अपरंपरागत दृष्टिकोण अपनाया. आशापूर्णा देवी ने इस लघु कहानी को दशको पहले लिखा था, पर फिल्मकार सुमन मुखोपाध्याय ने इसे समसामायिक बनाकर चित्रित किया है.  कोलकाता में दो ‘बाहरी लोगों‘ की कहानी ‘नजरबंद’वास्तव में समाज में हाशिए पर मौजूद वर्गों पर एक दिलचस्प दृश्य प्रस्तुत करती है.

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मशहूर बंगला फिल्मकार व रंगकर्मी के लिए यह पहला मौका नही है?जब उनकी फिल्म अंतरराष्ट्ीय फिल्म समारोहों में ेधूम मचा रही हो. खुद सुमन मुखोपाधय कहते हैं-‘‘इस फिल्म को लंदन इंडियन फिल्म फेस्टिवल में भी दिखाया जाएगा.  एनवाईआईएफएफ एक आभासी फिल्म समारोह है, लेकिन एलआईएफएफ जून के मध्य में ब्रिटिश फिल्म संस्थान में और बर्मिंघम में भी एक भौतिक संस्करण आयोजित करने जा रहा है. दोनों स्थान विज्ञान और कला के लिए प्रमुख स्थल हैं और मैं वहां स्क्रीनिंग के लिए बहुत खुश हूं. मैं चैथी बार एनवाईआईएफएफ में भाग लूंगा. फिल्मोउत्सव में ‘चतुरंगा’ (2008),  ‘महानगर एट कोलकाता’ (2010) और ‘शेषर कोबिता’ (2015) का भी प्रदर्शन हुआ था. ’’

सुमन मुखोपाध्याय बंगला  भाषा की फिल्में व नाटक बनाते रहे हैं. लेकिन उन्होने ‘पोशम पा’को हिंदी भाषा में बनाया था. अब उन्होने आशापूर्णा देवकी की कहानी पर आधारित इस फिल्म को भी हिंदी भाषा में ही बनाया है. वह कहते हैं-‘‘मैंने शुरू से ही गैर-बंगाली आप्रवासियों के रूप में पात्रों की कल्पना की और उन्हें हाशिए पर रहने वाले लोगों के रूप में उजागर करना चाहता था. साथ ही,  इन दिनों ‘बाहरी लोगों‘ का विचार बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य की हवा में है.  विचार सिर्फ भाषा के लिए हिंदी फिल्म बनाने का नहीं था, बल्कि मैंने हिंदी में फिल्म बनाने की कल्पना की थी. ’’

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