Surrogacy : एक लड़की के लिए मां बनना बेहद सुखदाई और खुशी की बात होती है. लेकिन किन्हीं कारणों से मां न बन पाना और इस वजह से बांझ औरत कहलाना किसी तिरस्कार और अपमान से कम नहीं होता. एक विवाहित स्त्री के लिए मां न बन पाना किसी श्राप से कम नहीं होता लेकिन आज मैडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि आज हर वह लड़की जो मां बनने की इच्छा रखती है, मैडिकल साइंस की मदद से मां बन सकती है.
हर लड़की का सपना होता है कि वह शादी कर के अपने बच्चों के साथ अपनी छोटी सी दुनिया बसाए। कई बार तो कई लड़कियां बच्चों का सुख पाने के लिए ही शादी के बंधन में बंध जाती हैं. लेकिन आज मैडिकल साइंस की मेहरबानी के बिना शादी किए भी सरोगेसी के जरीए अनब्याही लड़की भी मां बन सकती है.
सरोगेसी का मतलब होता है किराए की कोख के जरीए मां बनने की प्रक्रिया को संपन्न करना. आज के समय में कई ऐसी स्त्रियां हैं जो सरोगेसी का सहारा ले कर मां बनने का सुख प्राप्त कर रही हैं. खासतौर पर ग्लैमर वर्ल्ड, बौलीवुड हीरोइन, मौडल्स, यहां तक की हीरोज भी सरोगेसी के जरीए मातापिता बनने का सुख प्राप्त कर रहे हैं. निर्माता निर्देशक करण जौहर और तुषार कपूर इस बात का जीताजाता उदाहरण हैं जिन्होंने बिना शादी किए पिता बनने का सुख प्राप्त किया है.
पेश हैं, इसी सिलसिले पर एक नजर :
नैचुरल तरीके से गर्भवती न हो पाना
आज के मौडर्न युग में जबकि हर इंसान अपनी मरजी का मालिक है, तो वह अपने शरीर को भी उसी हिसाब से चलाने की कोशिश करता है जैसाकि वह चाहता है. लेकिन जैसेकि हर दवाई की ऐक्सपायरी डेट होती है, वैसे ही हमारा शरीर भी मशीन की तरह ही है, जिस में एक समय तक मां बनने की क्षमता होती है और शरीर का गर्भाशय भी कम उम्र के चलते मजबूत होता है. एक स्त्री का गर्भाशय पैदा करने की प्रक्रिया के लिए भी एक उम्र तक मजबूत होता है. अगर सही समय पर महिलाएं कैरियर बनाने के चक्कर में या देरी से शादी करने की वजह से यह यों कहिए कि गर्भनिरोधक गोलियां खा कर शारीरिक संबंध बनाने की वजह से संभोग और ऐयाशी के चलते जब तक मां बनने के फैसले पर पहुंचती हैं तो बहुत देरी हो जाती है.
ऐसे समय में कई स्त्रियां जो कई लोगों के साथ संभोग करती हैं और गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं, एक समय के बाद उन की बच्चेदानी इस लायक ही नहीं होती कि वह बच्चा कंसीव कर सके. इसी वजह से ऐसी कई स्त्रियों को गर्भपात का दुख सहन करना पड़ता है. ऐसी महिलाएं चाह कर भी मां नहीं बन पातीं.
कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं जिन के गर्भाशय में मैडिकल प्रौब्लम होती है और इसी के चलते वे मां बनने में असमर्थ होती हैं. ऐसी कई औरतें आज के समय में सरोगेसी के जरीए मां बनने का सुख प्राप्त कर रही हैं. इन में ऐसी भी तैयार होती हैं जो अविवाहित होने की वजह से या फिगर खराब होने के दर से बच्चा पैदा नहीं करना चाहतीं लेकिन बच्चे का सुख प्राप्त करना चाहती हैं. ऐसे लोगों के लिए भी सरोगेसी वरदान साबित हुआ है.
ग्लैमर वर्ल्ड की कई फिल्मी हस्तियों ने सरोगेसी के जरीए मां और पिता बनने का सुख प्राप्त किया है
बौलीवुड में सरोगेसी का बोलबाला जोरशोर से है, क्योंकि ऐक्टर हो या आम इंसान, मांबाप बनने का सुख सभी प्राप्त करना चाहते हैं. अपनी आंखों के सामने एक छोटे से बच्चे को हंसताखेलता देखते हुए बड़े होते देखना हर किसी का सपना होता है. लेकिन हमेशा जो हम चाहते हैं वह होता नहीं, कभीकभी बायोलौजिकल परिस्थितियों की वजह से कई औरतें मां बनने के सुख से वंचित रह जाती हैं। बौलीवुड में भी कई हीरोइनें हैं, जिन्होंने कई बार गर्भपात का दुख झेलते हुए फाइनली सरोगेसी का सहारा लिया और मां बनने का सुख प्राप्त किया.
अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने 21 जनवरी, 2022 को सरोगेसी के जरीए मां बनने की घोषणा की और वे एक बेटी की मां बनीं. शाहरुख खान और गौरी खान का बेटा अबराम सरोगेसी की मदद से हुआ है. उन के पहले 2 बच्चे बायोलौजिकल तरीके से ही हुए हैं और गौरी ही उन की मां हैं.
शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा ने सरोगेसी का सहारा ले कर एक बेटी को जन्म दिया। एक बेटा उन को पहले से है जो शिल्पा और राज कुंद्रा का बेटा है. सूत्रों के अनुसार, शिल्पा शेट्टी औटोइम्यून बीमारी से पीड़ित हैं इसीलिए वे दूसरी बार मां नहीं बन पाईं, लिहाजा बेटी शामिशा के जन्म के लिए शिल्पा और राज कुंद्रा ने सरोगेसी का सहारा लिया.
पोर्न स्टार और ऐक्ट्रैस सनी लियोन आज के समय में 3 बच्चों की मां हैं जिस में से एक लड़की को उन्होंने अनाथालय से गोद लिया है और उन के और 2 बच्चे सरोगेसी से हुए हैं.
कौमेडियन कृष्णा अभिषेक और ऐक्ट्रैस कश्मीरा शाह भी काफी समय से बच्चों के लिए कोशिश कर रहे थे लेकिन कश्मीरा को कई बार गर्भपात के दुख से गुजरना पड़ा। इस के बाद उन्होंने सरोगेसी का सहारा ले कर 2 बच्चों को जन्म दिया. इस के अलावा प्रीति जिंटा भी सरोगेसी के जरीए 2 बच्चों की मां बनीं.
श्रेयस तलपङे 14 साल की शादी के बाद 2018 में एक बेटी के पिता बने. आमिर खान की दूसरी पत्नी किरण राव भी कई बार गर्भपात के दर्द से गुजरीं। उस के बाद उन्होंने सरोगेसी का सहारा ले कर बेटे आजाद को जन्म दिया.
बिना संबंध के सरोगेसी के जरीए मां बनने की प्रक्रिया पर एक नजर
मैडिकल साइंस की तरक्की के चलते सरोगेसी का सहारा ले कर मां या पिता बनने का सुख प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर यह सरोगेसी की प्रक्रिया कैसे होती है?
भारत में सरोगेसी को किराए की कोख भी कहा जाता है. गौरतलब है कि भारत में सरोगेसी बेन है क्योंकि पिछले कुछ सालों से सरोगेसी की प्रक्रिया जोरशोर से फलफूल रही है और कई लोग इसे पैसा कमाने का और बिजनैस का माध्यम भी बना रहे हैं. इस प्रक्रिया में तकरीबन ₹15 से 20 लाख के करीब लगते हैं और सरोगेट मदद को इस से बहुत फायदा मिलता है.
बच्चा पैदा करने के लिए जब कोई पतिपत्नी का जोड़ा किसी दूसरी औरत की मदद से बच्चा पैदा करते हैं, तो इस प्रक्रिया को सरोगेसी कहते हैं. इस प्रक्रिया में सरोगेट मदर अपने या फिर डोनर के एग्स के जरीए किसी दूसरे कपल के लिए गर्भवती होती है और पेट में दूसरे का बच्चा पालने वाली महिला सरोगेट मदर कहलाती है.
सरोगेसी भी 2 तरह की होती है- ट्रैडिशनल सरोगेसी और जैस्टेशनल सरोगेसी. ट्रैडिशनल सरोगेसी में पिता या डोनर का स्पर्म सरोगेट मदर के एग्स से मैच कराया जाता है उस के बाद 9 महीने तक सरोगेट मदर बच्चों को अपने पेट में रखती है. कई बार पति का स्पर्म मैच नहीं होता तो डोनर का स्पर्म इस्तेमाल किया जाता है इसे ट्रैडिशनल या पारंपरिक सरोगेसी कहते हैं और जैस्टेशनल सरोगेसी में पति और पत्नी का एग्स और पति के स्पर्म को किराए की कोख में डाला जाता है.
ऐसे में यह सरोगेट मदर सिर्फ बच्चे को जन्म देती है और वह बायोलौजिकल मदर नहीं होती.
भारत में सभी आईवीएफ केंद्रों में जैस्टेशनल सरोगेसी ज्यादा प्रचलित है क्योंकि इस में आगे चल कर विवाद होने का खतरा नहीं होता. सरोगेसी की प्रक्रिया के लिए सरोगेट मदर की उम्र 25 से 35 के अंदर ही होनी चाहिए.
लेटैस्ट सरोगेसी रैगुलेशन बिल के मुताबिक, कमर्शियल सरोगेसी बेन है. सरोगेट मदर को एक बार ही सरोगेट मदर बनने का हक है ताकि इसे पैसा कमाने का बिजनैस न बनाया जा सके.
इस प्रक्रिया में ₹15 से 20 लाख लगते हैं. सरोगेट मदर के चुनाव से पहले उस का पूरी तरह से चेकअप होता है ताकि पता लगाया जा सके की कही सरोगेट मदर किसी बीमारी से जूझ तो नहीं रही और वह पूरी तरह स्वस्थ है कि नहीं. जो स्त्री पूरी तरह से स्वस्थ होती है उसे ही सरोगेट मदर के लिए चुना जाता है.