फिल्म ‘मर्दानी’ के बाद 3 साल बौलीवुड से दूर रहकर अभिनेत्री रानी मुखर्जी बेटी अदिरा की मां बनी और अब एक बार फिर से वह फिल्म ‘हिचकी’ में काम कर अभिनय क्षेत्र से जुड़ रही हैं. उनके हिसाब से अभिनय उनके रग-रग में बसा हुआ है. ऐसे में वह इससे ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह सकतीं, लेकिन वे वही फिल्म करेंगी, जो उन्हें उत्साहित करें. रानी का कहना है कि वह सोशल मीडिया पर अधिक सक्रिय नहीं है, लेकिन आगे चलकर इससे जुड़ेंगी. वह इस माध्यम को आज की जरुरत मानती हैं, क्योंकि ये हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का मौका देता है. काम के साथ-साथ वह परिवार की भी देखभाल पूरी जिम्मेदारी के साथ करती हैं.

रानी ने हमेशा अलग- अलग फिल्मों में स्ट्रोंग भूमिका निभाई है और हर किरदार के साथ उन्होंने न्याय किया है, ऐसे में टूरेट सिंड्रोम पर आधारित इस फिल्म में काम करने की वजह वह बताती हैं कि इस फिल्म का औफर मुझे प्रेग्नेंसी के दौरान मिला था और मुझे ये विषय बहुत पसंद आया था, क्योंकि मैं भी इस समस्या से गुजर चुकी हूं. असल में ये समस्या बच्चों में बचपन से होती है और कई बार माता-पिता जानकर भी इसे समझना नहीं चाहते, वे ‘शाय फील’ करते हैं. खासकर हमारे यहां के माता-पिता तो ऐसी समस्या को समझ ही नहीं पाते. उन्हें लगता है कि बड़े होने पर ये ठीक हो जायेगा. जबकि ये उस बच्चे और उनके माता-पिता के लिए बहुत बड़ी चुनौती होती है. ये सिंड्रोम बच्चे के बड़े होने के साथ-साथ बढती जाती है. इसे आप रोक नहीं सकते, ये अनायास ही होता रहता है. बड़े होने पर ऐसे बच्चों में हीन भावना आ जाती है. इसकी कहानी मुझसे भी जुड़ी है. मुझे भी बचपन से हकलाने की समस्या थी, इतना ही नहीं मेरी मां भी हकलाती हैं. मेरे बड़े भाई राजा तो अब और अधिक हकलाने लगे हैं. मैंने इस सिंड्रोम को काफी सुधारा है, क्योंकि मैं एक अभिनेत्री हूं. मुझे बहुत सारे संवाद इमोशन के साथ बोलने पड़ते हैं. मुझे इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी है.

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