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बौलीवुड मे इवेंट कंपनी के रूप में अपनी कंपनी ‘विज क्राफ्ट’ की शुरुआत करने वाले सब्बास जोसेफ ने बौलीवुड को पूरे विश्व में पहुंचाने के मकसद से हर वर्ष अलग अलग देशों में ‘आइफा अवार्ड’ आयोजित करने का सिलसिला शुरू किया था. 2017 में 18वें आइफा अवार्ड के दौरानउन्होंने ‘आइफा अवार्ड’ को केंद्र में रखकर ‘आइफा अवार्ड’ में ही फिल्मकार चक्री तोलेटी के निर्देशन में जो कुछ फिल्माया, उसे फिल्म ‘‘वेलकम टू न्यूयार्क’’ के नाम से दर्शकों को परोस दिया है. फिल्म देखकर लगता है कि यह ‘आइफा अवार्ड’ पर बनायी गयी अति नीरस डाक्यूमेंट्री मात्र है.

फिल्म ‘‘वेलकम टू न्यूयार्क’’ की कहानी के केंद्र में मूलतः दो पात्र पंजाब के तेजी (दिलजीत दोसांज) और गुजरात की जीनल पटेल (सोनाक्षी सिन्हा) हैं. तेजी रिकवरी एजेंट हैं, पर उसकी चाहत सफल अभिनेता बनने की है. जबकि जीनल पटेल मशहूर फैशन डिजायनर बनना चाहती है. दोनों एक प्रतियोगिता का हिस्सा बनते हैं और उन्हे न्यूयार्क में आयोजित एक अवार्ड समारोह का हिस्सा बनने का अवसर मिलता है.

उधर न्यूयार्क में अवार्ड समारोह के आयोजक गेरी (बोमन ईरानी) के साथ लंबे समय से काम करती आ रही सोफी (लारा दत्ता) भागीदार बनना चाहती है. जब गेरी मना कर देते हैं, तो वह तेजी व जीनल को गेरी से बदला लेने के काम में लगा देती है. पर सब कुछ गड़बड़ा जाता है, क्योंकिशो के संचालक करण जोहर (करण जोहर) का अपहरण हो जाता है. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या तेजी व जीनल के सपनों पर सोफी की जीत होगी?

बेसिर पैर की इस फिल्म के निर्देशक चक्री तोलेटी का दावा है कि वह मनोरंजन परोसने में माहिर हैं, इसीलिए वह बौलीवुड से जुड़े हैं. मगर फिल्म देखकर अहसास होता है कि वह कितना अपरिपक्व फिल्मकार हैं. फिल्म के सभी किरदार काफी उथले हैं, पर और मजाकिया भी नहीं है. उपर से करण जोहर की दोहरी भूमिका और अधिक तकलीफ देती है. इस फिल्म में वह ‘बांबे वेल्वेट’ से भी बदतर हैं.

करण जोहर एक कार्यक्रम संचालक और गैंगस्टर के दोहरे चरित्र को जिस तरह से निर्देशक ने निस्पादित किया है, वह मनोरंजन या खुशी की बजाय कष्ट व गम ही देता है. फिल्मकार तेजी व जीनल पटेल के बीच भी हास्य क्षणों को ठीक से नहीं पेश कर पाए. दोनों की परदे पर केमिस्ट्रीजबरन थोपी हुई लगती है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो दिलजीत दोसांज पंजाब के सुपर स्टार हैं. मगर बौलीवुड में वह कुछ खास प्रतिभा नहीं दिखा पा रहे हैं. इस फिल्म में उनका अभिनय काफी औसत दर्जे का है. फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी हैं सोनाक्षी सिन्हा. वह गुजराती लड़की के किरदार में महज कैरीकेचर बनकर रह गयी हैं. उनके पास अपनी प्रतिभा को दिखाने का समय व पूरा अवसर था, मगर वह बुरी तरह से असफल रही हैं. जीनल पटेल का सपने वाला गीत जिसमें वह सलमान खान की नाप लेती हैं, यह बड़ा ही हास्यास्पद है. ह्यूमर के लिए गढ़ा गया यह गीत ह्यूमर नहीं लाता.

बोमन ईरानी ठीक ठाक हैं. ग्रे किरदार में लारा दत्ता जरुर दर्शकों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करती हैं. रितेश देशमुख, सलमान खान,सुशांत सिंह राजपूत, राणा डगुबट्टी, आदित्य राय कपूर व कटरीना कैफ जैसे बड़े नाम महज खानापूर्ति करते हैं.

फिल्म खत्म होने पर दर्शक सोचने पर मजबूर होता है कि उसने अपनी गाढ़ी कमाई इस फिल्म को देखने के लिए क्यों बर्बाद की. फिल्म का पार्श्वसंगीत महज शोरगुल के कुछ नहीं है. गीत संगीत भी सतही है.

लगभग दो घंटे की अवधि वाली फिल्म ‘‘वेलकम टू न्यूयार्क’’ का निर्माण वासु भगनानी और सब्बास जोसेफ ने किया है. लेखक धीरज रतन,निर्देशक चक्री तोलेटी, संगीतकार साजिद वाजिद, मीत ब्रदर्स व समीर टंडन, कैमरामैन संतोष थुडिईल व नेहा परती तथा कलाकार हैं- दिलजीत दोसांज, सोनाक्षी सिन्हा, करण जोहर, बोमन ईरानी, लारा दत्ता, रितेश देशमुख, सलमान खान, सुशांत सिंह राजपूत, राणा डगुबट्टी,आदित्य राय कपूर व कटरीना कैफ व अन्य.

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