‘तनु वेड्स मनु’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’, ‘रांझणा’ जैसी फिल्मों के निर्देशक आनंद एल राय की अपनी एक अलग पहचान बन चुकी है. उन्होंने साबित कर दिखाया कि कलाकार से अभिनय करवाने की क्षमता निर्देशक में होनी चाहिए. पर अब वह रचनात्मक काम करने वालों को आगे बढ़ाने के मकसद से अब ऐसी फिल्मों का भी निर्माण कर रहे हैं, जिन्हें अन्य निर्देशक निर्देशित कर रहे हैं. फिर चाहे गत वर्ष प्रदर्शित फिल्म ‘निल बटे सन्नाता’ और ‘हैप्पी भाग जाएगी’ हो या हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘शुभ मंगल सावधान’ ही क्यों न हो. प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के अंश.

एक फिल्म बनाना फुलटाइम जौब है. ऐसे में आप एक साथ कई फिल्मों के निर्माण करते हुए किस तरह से आप रचनात्मकता पर ध्यान दे पाते हैं?

मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं कि निर्देशक के तौर पर एक फिल्म बनाना फुलटाइम काम है. सच कह रहा हूं, मेरे दिमाग में एक समय में सिर्फ एक ही कहानी चलती है. यदि आप मुझसे पूछें कि मैं दूसरी कौन सी फिल्म बनाने जा रहा हूं तो मैं जवाब नहीं दे पाउंगा. हो सकता है कि दूसरी फिल्म को लेकर मेरे दिमाग में कहीं कोई बात हो लेकिन इस वक्त बतौर निर्देशक मेरे दिमाग में सिर्फ शाहरुख खान के साथ वाली मेरी फिल्म की कहानी घूम रही है. सच यही है कि मैं एक समय में एक ही कहानी जी सकता हूं. लेकिन पिछले कुछ वर्षो में काम करते हुए मैंने यह सीखा कि हम समान विचार धारा के निर्देशक को लेकर अपने प्रोडक्शन में फिल्में बना सकते हैं.

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