स्टार बेटियों में अपने समय के मशहूर खलनायक शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर के कॅरियर की पहली फिल्म ‘तीन पत्ती’ को नजरअंदाज कर दें, तो वे निरंतर सफलता की ओर अग्रसर हैं. वे बॉलीवुड में 100 नहीं, बल्कि 2-2 सौ करोड़ी फिल्मों का हिस्सा बन चुकी हैं.
रोमांटिक फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखाने के बाद श्रद्धा कपूर ने फिल्म ‘एबीसीडी 2’ में हिपहॉप डांस कर के सभी को चौंका दिया. वे फिल्मों में गा भी रही हैं. इस के अलावा वे फिल्म ‘बागी’ में खतरनाक ऐक्शन करते हुए भी नजर आई हैं.
पेश हैं, उन से हुई गुफ्तगू के कुछ अहम अंश:
कलाकार के तौर पर अपनी सफलता को किस तरह से देखती हैं?
सफलता का असली पैमाना यह है कि कितने लोग मेरी फिल्म देखने थिएटर जाना पसंद करते हैं. मैं जब अपने घर से बाहर निकलती हूं और पाती हूं कि लोग मुझे देखने के लिए खड़े होते हैं, तो मुझे लगता है कि मैं सफल हूं, मेरे प्रशंसकों की संख्या बढ़ती जा रही है. सच कहूं तो ‘आशिकी 2’ के मेरे ‘आरोही’ के किरदार से मुझे सब से ज्यादा फायदा मिला.
कोई ऐसा किरदार, जिसने आपकी निजी जिंदगी पर लंबे समय के लिए प्रभाव डाला हो?
किसी न किसी वजह से हर किरदार का मुझ पर प्रभाव पड़ा है. जो किरदार कलाकार निभाता है, उस का असर कलाकार पर हो जाता है. कभी-कभी हम इस बात का अहसास कर लेते हैं, तो कई बार हमें एहसास ही नहीं हो पाता कि किरदार ने हमारी जिंदगी पर किस तरह से प्रभाव डाला है.
अब हर हीरोइन ऐक्शन करते नजर आना चाहती है. क्यों?
समाज व सिनेमा तेजी से बदल रहा है. अब निजी जिंदगी में कोई भी लड़की या औरत छुईमुई बन कर नहीं रहना चाहती. इसीलिए अब हीरोइनें भी छुईमुई नहीं रहीं. आखिरकार सिनेमा समाज का ही आईना है. दर्शक भी हीरोइनों को चुनौतीपूर्ण किरदार निभाते देखना चाहते हैं.
निजी जिंदगी में आप क्या हैं?
मैं बहुत शर्मीली व संकोची स्वभाव की हूं. मैं सिर्फ अपने पारिवारिक सदस्यों और करीबी दोस्तों के संग ही खुल कर बात कर पाती हूं.
आप संकोची स्वभाव की हैं, पर आदित्य राय कपूर के संग आपकी रिलेशनशिप की बातें होती रहती हैं?
क्या कर सकती हूं. यह लिंकअप तो शुरू से चला आ रहा है. मेरे कहने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. जिसे जो लिखना है, वह लिखता रहेगा. मेरी अपनी चाहत यही है कि मेरी निजी जिंदगी को लोग बख्श दें. मेरी निजी जिंदगी को ले कर कोई सवाल न करें.
देखिए, आदित्य राय कपूर के साथ मैंने फिल्म ‘आशिकी 2’ की, जो सुपर हिट रही. अब उन के साथ मैं फिल्म ‘ओके जानू’ कर रही हूं. लोगों के लिखने पर मैं पाबंदी नहीं लगा सकती. इसलिए उन की बातों का मुझ पर असर नहीं होता. मुझे सिर्फ इतना पता है कि मैं सिंगल हूं.
चर्चा है कि आपने माता-पिता से अलग रहने का फैसला करते हुए मकान खरीदा है?
गलत. मैंने मकान जरूर खरीदा है, पर यह मेरा इनवैस्टमैंट है. मैं अपने माता पिता के साथ ही रह रही हूं और उन के साथ ही मुझे रहना है. उन से अलग रहने की तो मैं कल्पना भी नहीं कर सकती. मैं अपने माता-पिता से बहुत जुड़ी हुई हूं. मैं जब सुबह सो कर उठती हूं, तो अपने माता-पिता, अपने भाई सिद्धार्थ और अपने डौगी का चेहरा देखना मुझे अच्छा लगता है. मुझे नहीं लगता कि मैं कभी इन से दूर जा पाऊंगी.
आप लिव इन रिलेशनशिप में कितना यकीन करती हैं?
इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकती, क्योंकि मुझे यह भी नहीं पता कि क्या मैं अपने मातापिता से अलग रह पाऊंगी? मुझे अपने परिवार के साथ रहना पसंद है.
स्कूल के दिनों में टाइगर को आपसे प्यार था?
उसने मुझ से यह बात कभी नहीं कही. एक दिन उस ने यह बात किसी पत्रकार से इंटरव्यू के दौरान कही थी. उसके बाद जब मैंने उस से पूछा, तो उसने कहा उस वक्त वह संकोची स्वभाव के चलते कह नहीं पाया था. मैं व टाइगर श्रौफ बचपन के दोस्त हैं. हम स्कूल में भी एकसाथ पढ़ते थे. उस का अभिनेता बनना मेरे लिए आश्चर्य की बात है. पर उस के साथ फिल्म करना मेरे लिए बहुत ही वंडरफुल अनुभव रहा.
संगीत के क्षेत्र में क्या हो रहा है?
मैं अपनी फिल्मों में मौका मिलते ही गाना गा लेती हूं. फिल्म ‘बागी’ में भी मैंने ‘सब तेरा…’ गीत गाया है. जब मैं अपनी फिल्म में अपने लिए गाना गाती हूं, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. मेरी कोशिश रहेगी कि मैं अपनी हर फिल्म में कम से कम 1 गाना जरूर गाऊं.
क्या आप रियाज के लिए समय निकाल पाती हैं?
जब वक्त मिलता है, गाना गाती हूं. मैं अभी भी संगीत की क्लास ले रही हूं. सामंथा ऐडवर्ड से मैं फिल्म ‘रौक औन 2’ के लिए संगीत सीख रही हूं. वे गायकी की बहुत बड़ी कोच हैं.
क्या आप भी प्रियंका चोपड़ा की तरह अपना सिंगल गाना ले कर आना चाहेंगी?
फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है. अभी तो मेरा सारा ध्यान फिल्मों में अभिनय करने व फिल्मों में गीत गाने पर है. पर मैं फिल्मों में पार्श्वगायन नहीं करना चाहती यानी दूसरे कलाकारों के लिए अपनी आवाज नहीं देना चाहती. मैं खुद को पार्श्व गायक नहीं मानती.
सिनेमा में आ रहे बदलाव को आप किस तरह से देखती हैं?
औफ बीट फिल्मों के हिट होने और कमर्शियल सिनेमा के असफल होने पर मुझे सुखद एहसास होता है. ‘क्वीन’ या ‘हैदर’ जैसी अच्छी सिनेमैटिक फिल्मों का हिट होना बता रहा है कि सिनेमा व सिनेमा के दर्शक तेजी से बदल रहे हैं. मैं चाहती हूं कि अच्छी लिखी फिल्में ज्यादा से ज्यादा बनें.