क्या युवा व टीनएजर बेटे के माता पिता को रोमांस करने, प्यार करने व तीसरी बार माता पिता बनने का हक नहीं होता, क्या उनका यह कृत्य उन्हें शर्मिंदा करने वाला कृत्य है? क्या अधेड़ उम्र के दंपति को यौन संबंध नहीं बनाने चाहिए? इन मूलभूत सवालों के साथ परिवारिक रिश्तों पर बनी एक खूबसूरत फिल्म है - ‘‘बधाई हो’’.

फिल्म ‘‘बधाई हो’’ की कहानी मेरठ से दिल्ली आकर बसे एक मध्यमवर्गीय कौशिक परिवार के इर्द गिर्द घूमती है. इस परिवार के मुखिया जीतेंद्र कौशिक (गजराज राव) अपनी वृद्ध मां (सुरेखा सीकरी), पत्नी प्रियंवदा उर्फ बबली (नीना गुप्ता), पच्चीस वर्ष के युवा बेटे नकुल (आयुष्मान खराना) व बारहवीं कक्षा में पढ़ रहे छोटे बेटे गूलर के साथ रह रहे हैं. जितेंद्र कौशिक रेलवे में टीसी हैं. जबकि नकुल एक कारपोरेट कंपनी में नौकरी करने के साथ ही अपनी सहकर्मी रेनी (सान्या मल्होत्रा) के साथ रोमांस कर रहा है.

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नकुल व रेनी जल्द शादी करने की योजना बना रहे हैं. सब बहुत खुश हैं. अचानक एक दिन पता चलता है कि नकुल की मां प्रियंवदा तीसरी बार मां बनने वाली हैं. इस खबर से सबसे ज्यादा शर्मिंदगी नकुल को महसूस होती है. उसे लगता है कि जब उसे शादी कर पिता बनने के बारे में सोचना चाहिए, तब उसके माता पिता पुनः बच्चा पैदा कर रहे हैं. गूलर भी नाखुश है. नकुल की दादी (सुरखा सीकरी) तो अपने हिसाब से बहू को काफी ताने देती हैं कि अब परिवार व रिशतेदारों का किस तरह से सामना करेंगे? कल तक नकुल अपने जिन दोस्तों का मजाक बनाया करता था, उनसे दूर हो जाता है. वह रेनी से भी मिलना बंद कर देता है. आफिस भी नही जाता. घर का माहौल बहुत तनावपूर्ण हो जाता है. मगर रेनी, नकुल से मिलती है और वह कहती है कि इसमें कुछ भी बुरा नहीं है.

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