1996 में बोनी कपूर से शादी करने के बाद श्री देवी ने अभिनय से दूरी बना ली थी. उसके पूरे 15 वर्ष बाद 2012 में श्री देवी ने आर बालकी निर्मित और गौरी शिंदे निर्देशित फिल्म ‘‘इंग्लिश विंग्लिश’’ से  पुनः वापसी की थी. इस फिल्म में श्री देवी ने शशि गोड़बोले का किरदार निभाया था और उनके पति सतीश गोड़बोले का किरदार आदिल हुसैन ने निभाया था. आज श्री देवी हमारे बीच नहीं है, मगर आदिल हुसैन उन्हें याद करते हुए कहते हैं...

कलाकार के तौर पर योगदान देती थीं श्रीदेवी

श्रीदेवी एक ऐसी कलाकार थीं, जो कि स्क्रिप्ट को ध्यान रखते हुए भी दृश्य व किरदार में कुछ नया जोड़ देती थीं. ऐसा करते समय वह इस बात का ख्याल रखती थीं कि हम स्क्रिप्ट, किरदार व उसके रिदम से बाहर ना जाएं, पर इम्प्रूवाइज हो जाए. इस तरह वह स्क्रिप्ट में कलाकार के तौर पर अपना बहुमूल्य योगदान देती थीं.

धैर्य की मूर्ति थीं

अमूमन हम सेट पर देखते हैं कि दृश्य को फिल्माए जाने से पहले जब लाइटिंग हो रही होती है, तो कैमरे के सामने कलाकार खुद खड़ा नहीं होता है, वह निर्देशक से कह देता है कि किसी को भी खड़ा कर दें, जब लाइटिंग पूरी हो जाए, तो उसे बुला लेना. मगर श्रीदेवी खुद कैमरे के सामने खड़ी रहती थीं, फिर चाहे लाइटिंग में एक घंटा लगे या डेढ़ घंटा. यानी कि वह भारतीय अभिनय में माहिर थीं.

भारतीय अभिनय की मिसाल थीं श्री देवी

जब मैं भारतीय अभिनय की बात करता हूं, तो इसका मतलब होता है कि पांच हजार से भी अधिक पुरानी भारतीय परंपरा में भारतीय नाट्यशास्त्र चार हजार साल से ज्यादा पुराना है. नाट्य शास्त्र 2700 बी सी में लिखा गया था. उस नाट्य शास्त्र के जितने भी प्रकार के शास्त्र हैं, चाहे वह भरत नाट्यम हो, कत्थक कली हो, मोहिनी अट्टम हो, ओड़िसी नृत्य हो, इन सबमें अभिनय का जो आस्पेक्ट है, उसमें कलाकार व दर्शक के बीच सीधा संवाद होता है.

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