फिल्म ‘हजार ख्वाहिशें ऐसी’ से इंडस्ट्री में चर्चित होने वाली अभिनेत्री और माडल चित्रांगदा सिंह अब निर्माता बन चुकी हैं. बचपन से अभिनय की इच्छा रखने वाली चित्रांगदा की फिल्म ‘ये साली जिंदगी’ काफी लोकप्रिय रही, जिसमें उनके परफोर्मेंस को दर्शकों ने खूब सराहा और वह रातों-रात नामचीन अभिनेत्री की श्रेणी में आ गयीं. स्वभाव से शांत और हंसमुख चित्रांगदा ने जिंदगी को बहुत ही रिलैक्स तरीके से जिया है और जो सामने आया उसे करती गयीं. हालांकि उनकी कुछ फिल्में बौक्स औफिस पर सफल नहीं रही, पर उन्होंने उस ओर ध्यान नहीं दिया और आगे बढती गयीं. यही वजह है कि उन्होंने अभिनय के अलावा कुछ फिल्मों में आइटम सोंग भी किया है.

आर्मी परिवार से सम्बन्ध रखने वाली चित्रांगदा का विवाह गोल्फ प्लेयर ज्योति रंधावा से हुआ था, जिससे उनका एक बेटा जोरावर रंधावा है. अभी दोनों तलाक शुदा हैं और 11 साल का बेटा जोरावर चित्रांगदा के साथ रहता है.

पहली बार निर्माता बनी चित्रांगदा अपनी फिल्म ‘सूरमा’ के प्रमोशन पर हैं, उनसे हुई बातचीत के अंश इस प्रकार है.

अभिनय में अच्छा करने के बावजूद आप प्रोडक्शन के क्षेत्र में क्यों उतरी?

असल में साल 2013 के बाद मैंने कुछ अच्छा नहीं किया, अच्छे स्क्रिप्ट मुझ तक नहीं आ रहे थे. ऐसे में मुझे कुछ न कुछ तो करना ही था. उस दौरान मैं दो कहानियों पर काम कर रही थी, जिसे मैंने ही लिखा था. इस बीच मैं रियल अन्तर्राष्ट्रीय हौकी प्लेयर संदीप सिंह से अपने किसी दोस्त के यहां मिली, उनकी कहानी मुझे रोचक लगी और लगा कि ये एक अच्छी और मनोरंजक फिल्म बन सकती है और मैंने इसे बनाने का सोचा. थोडा समय लगा, इसे सबको समझाने में, लेकिन अंत में फिल्म बन गयी.

महिला प्रोड्यूसर बनना कितना चैलेंजिंग होता है?

ये सही है कि इंडस्ट्री पुरुष प्रधान है, क्योंकि यहां पुरुषों की संख्या अधिक है, लेकिन कौर्पोरेट कल्चर ने इसे बदल दिया है और कई महिलाएं भी इस क्षेत्र में हैं. धीरे-धीरे बैलेंस अवश्य आएगा. ये कठिन है, लेकिन मुश्किल नहीं. निर्माता बनने में दायित्व बहुत अधिक है. शुरू से लेकर अंत तक आपको फिल्म के साथ रहना पड़ता है.

प्रोड्यूसर बनने के बाद आपने क्या सीखा?

लोगों को मैनेज करना, सही लोगों को समझना, उन्हें अपने बोर्ड पर लाना, फिल्म के बिजनेस आस्पेक्ट को जानना आदि सीखा है. मैं इस फिल्म को बायोपिक नहीं कहती, बल्कि एक ह्युमन स्टोरी बताती हूं, क्योंकि इसमें एक इंसान के हिम्मत की कहानी है, जो एक व्हील चेयर से फील्ड तक खेलने आया.

लिखना आपने कब से शुरू किया?

जब मैं ‘इनकार’ फिल्म की शूटिंग कर रही थी, तब मैंने लिखना शुरू किया था. निर्देशक सुधीर मिश्रा ने मेरे इस लेखन की काफी तारीफ भी की थी. उस समय मैं फिल्में कम कर रही थी और लिखने में समय बिता रही थी. उस समय मेरे लिखावट में एक रूपता नहीं थी, लेकिन अब वह आ गयी है. मैं धीरे-धीरे इस ओर कदम बढ़ा रही हूं.

आजकल की फिल्मों में मनोरंजन का स्तर घट रहा है, इसे कैसे लेती है?

समय के साथ-साथ मनोरंजन का रूप बदला है और वह होना भी चाहिए. अब दर्शकों को ‘राजी’ जैसी फिल्में भी अच्छी लग रही हैं और मैं खुश हूं कि मनोरंजन का स्टाइल बदला है. यही तो बदलाव है, जो मुझे पसंद है, जिसमें सच्ची कहानियों को अधिक महत्व मिल रहा है.

अच्छी फिल्मों में काम करना आपके लिए कितना लाभकारी होता है?

अच्छी फिल्मों में काम करना हर कोई चाहता है अभिनेत्री के तौर पर मैं बहुत लालची भी हूं. अच्छी कहानी अच्छे सेटअप के साथ काम करने का मजा ही कुछ और होता है.

आगे भी कोई फिल्म बनाने वाली हैं?

हां मैं अनीस बज्मी की एक फिल्म को भी प्रोड्यूस करने वाली हूं, कहानी उनकी है और एक अलग तरह की लव स्टोरी वाली फिल्म है, जिसमें मैं अभिनय भी करने वाली हूं.

खाली समय में क्या करना पसंद करती हैं?

अधिकतर समय मैं नेटफ्लिक्स पर बिताती हूं. बेटे के साथ ट्रेवल करती हूं. वह स्पोर्ट्स पर्सन है. उसके साथ रहती हूं. इसके अलावा मैं घर पर रहना अधिक पसंद करती हूं. मैं पार्टी पर्सन नहीं हूं. कही जाने से अधिक, हाउस पार्टी मुझे पसंद है. मुझे अपने दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद है.

आप अपने कैरियर को कैसे देखती हैं?

देखा जाय तो, मैंने काम बहुत कम किया है, लेकिन अब मुझे समझ में आता है कि कहां क्या कमी मैंने की है. पहली फिल्म में तो कुछ समझ थी ही नहीं कि कहां क्या करना है. इसका श्रेय में सुधीर मिश्रा को देती हूं, जिन्होंने मुझे सब बातों को समझाया. अभी तक मैंने जो काम किया उससे मैं खुश हूं.

क्या कोई सामाजिक कार्य करना चाहती हैं?

जहां भी मुझे मौका मिलेगा मैं जुडकर काम करना चाहती हूं. इसमें खासकर साफ सफाई से जुड़ना चाहती हूं. वो मुंबई में बहुत जरुरी है. इसके अलावा ‘चाइल्ड सेफ्टी’ पर काम करने की इच्छा है. इसमें केवल लड़कियां ही नहीं, सारे बच्चों के लिए सुरक्षा पर ध्यान देने की जरुरत है. इसमें मीडिया अच्छा काम कर रही है, जो कुछ होने पर लोगों के क्रोध और आक्रोश को पूरी तरह से दिखाती है. इससे ही परिवार, समाज और धर्म में जागरूकता बढ़ेगी.

GS-660

CLICK HERE                               CLICK HERE                                    CLICK HERE

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...