समय की कमी है…. जब भी कुछ अलग करने की इच्छा होती है….. कुछ न कुछ काम आ जाता है…..लेकिन इस बार एक एडवेंचरस शो की मेरी इच्छा पूरी हुई है….. जिसमें डर तो लगा, लेकिन मज़ा भी खूब आया….. मैंने सारे स्टंट किये…….डर के आगे जीत है, ये बात बहुत सही है…….इस शो के बाद से मैं अब साहसी बन चुकी हूं…..अब तो और भी ऐसे एडवेंचरस शो करने की इच्छा है. कहती है कलर्स टीवी पर प्रसारित हो रही ‘खतरों के खिलाडी 11’’ की प्रतियोगी और अभिनेत्री दिव्यंका त्रिपाठी दहिया.

धारावाहिक ‘बनूँ मैं तेरी दुल्हन’ में विद्या और दिव्या दो अलग-अलग भूमिका निभाकर चर्चा में आने वाली अभिनेत्री दिव्यंका त्रिपाठीदहिया को इस भूमिका के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. इसके बाद भी उन्होंने कई धारावाहिकें, फिल्में और वेब सीरीज की है, लेकिन धारावाहिक ‘ये है मोहब्बतें’ में डॉ. इशिता भल्ला की भूमिका को दर्शकों ने खूब पसंद किया.

भोपाल की दिव्यंका ने आकाशवाणी में अनाउन्सर से काम शुरू किया, इसके बाद मिस ब्यूटीफुल स्किन, मिस भोपाल 2005, हॉटेस्ट एक्ट्रेस इन इंडियन टेलीविज़न आदि कई खिताबों से नवाजी गयी. इसके अलावा एडवेंचर प्रिय दिव्यंका ने माउंटेनियरिंग का कोर्स किभी या है. स्वभाव से विनम्र और हंसमुख दिव्यंका का परिचय ‘ये है मोहब्बते’ के सेट पर को-स्टार, अभिनेता विवेक दहिया से हुई, प्यार हुआ और शादी की. भोपाल में रहते हुए भी उनके माता-पिता ने हमेशा उन्हें अपनी चॉइस की काम करने की आज़ादी दी है, जिससे दिव्यंका को अभिनय के क्षेत्र में आने में कोई समस्या नहीं हुई. दिव्यंका ने हर तरीके की भूमिका बखूबी निभाई है और अब एडवेंचरस शो भी किया है, जिससे वह बहुत खुश है. व्यस्त जीवन शैली से समय निकाल कर गृहशोभा के लिए खास बात की पेश है अंश.

सवाल-खतरों की खिलाडी में जाने की खास वजह क्या रही ?

मैं बचपन में काफी एक्टिव रही हूं, काफी सारे एडवेंचर वाली इवेंट में भाग लिया करती थी. कई सालों से दूबारा एडवेंचर करना चाहती थी,पर काम की वजह से मौका ही नहीं मिल पाता था. मैं अपनी परिचय दिव्यंका शब्द भी भूल चुकी थी, जैसा मैं भोपाल में रहते हुए एक साधारण लड़की थी. खतरों के खिलाडी के ऑफर आते ही मैं पहले सहम गयी थी और मैं ऐसे शो के लिए तैयार भी नहींथी, क्योंकि तब कोरोना का दौर पीक पर था. कही निकलना संभव नहीं था.  जिम नहीं करना या कही जाना कुछ भी नहीं हो पाया था,लेकिन मेरे पेरेंट्स और विवेक ने मुझे हौसला दिया और मुझे मेरे सपनों को पूरा करने के लिए कहा, क्योंकि मेरे सपने में एक नाम खतरों के खिलाडी भी थी. मैने सिर्फ सपने को पूरा करने के लिए ये शो किया. हालाँकि शो बहुत जाना-माना है और इसमें जाने पर नाम शोहरत बहुत मिलती है. मेरे लिए तो ये शो खुद से जुड़ने वाली बात थी.

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सवाल-स्टंट करना कितना मुश्किल था?

हर स्टंट बहुत मुश्किल रहा और पहली बार उसका विवरण देने पर रूह काँप उठती थी. कई बार ये स्टंट कर पाऊँगी या नहीं खुद से सवाल करना पड़ा. ये पूरा मन का खेल है, डर को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना पड़ता है. वही बात थी, मुझे कुछ नया देखकर मजा आता था और मैं कर लेती थी. सबसे भयावह इलेक्ट्रिक शॉक का लगा, क्योंकि इलेक्ट्रिक करंट पूरा अंदर तक कंपा देता है. उससे डील करने का कोई तरीका नहीं है. करंट सबको बराबर लगता है, किसी को कम या किसी को अधिक नहीं.सहने की क्षमता पर निर्भर करता है. आप इसे सह सकेंगे या नहीं. इसके अलावा करंट वाला स्टंट हो या पानी में कूदने वाला स्टंट, आपका दिमाग, शरीर पर हावी हो जाने पर आप कभी नहीं कर सकते. इसमें दिमाग को मोल्ड करना सिखाया गया, जो किसी दूसरे शो में नहीं होता. दिमाग और शरीर का संतुलन बनाये रखना बहुत कठिन होता है. बलवान मनुष्य का अगर दिमाग संतुलित नहीं है, तो एडवेंचर वाले काम करना भी उसके लिए काफी मुश्किल होता है.

सवाल-क्या आपको किसी स्टंट से डर लगा?

नहीं, मैंने सारे स्टंट किये, किसी को भी नहीं छोड़ा. मेरी जर्नी इस शो में काफी लम्बी रही, इस सफ़र में इतनी दूर तक जाउंगी, पता नहीं था. जिन्हें लगता था कि मैं डरावने स्टंट नहीं कर पाउंगी, उन्हें मैंने चकित कर दिया. अभी खुद पर बहुत गर्व महसूस होता है और मेरे काम से परिवार की ख़ुशी देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है.

सवाल-शादी के बाद आपकी जिंदगी कैसी चल रही है?

शादी के बाद विवेक और मेरी जिंदगी बहुत अच्छी चल रही है, लॉकडाउन की वजह से हम दोनों को एक अच्छा वक़्त बिताने का मिला. इससे बहुत सारी बातें एक दूसरे की जान पाये और बहुत कुछ सीखा भी है. लॉकडाउन के बाद हम दोनों अपने-अपने काम में लग गए है,विवेक दहिया ‘स्टेज ऑफ़ सीज’ फिल्म की शूटिंग के लिए बाहर गए है और मैं खतरों की खिलाडी के लिए विदेश गयी. मेरे हिसाब से पति-पत्नी की दूरी नजदीकियों को बढ़ाती है, इससे एक दूसरे की वैल्यू भी बढ़ जाती है.

सवाल-कोविड ने फिल्म और टीवी इंडस्ट्री को बदल कर रख दिया है,आपकी सोच इस बारें में क्या है?

कोविड की वजह से एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में बदलाव अच्छे के लिए हुआ है. डिजिटल प्लेटफॉर्म बहुत अधिक फल-फूल रहा है और बहुत अच्छा कंटेंट देखने को मिल रहा है. अच्छी बात ये है कि जो आर्टिस्ट काफी समय से काम की तलाश कर रहे थे, पर उनके अनुकूल काम नहीं मिल पा रहा था. उन्हें मन मुताबिक काम मिल रहा है. इसके अलावा कंटेंट में बहुत नयापन  है, एक्सपेरिमेंट भी किये जा रहे है और दर्शकों ने इस नए प्रयोगों को सराहा है. दर्शक अगर किसी चीज को देखना चाहते है, तो एंटरटेनमेंट की दुनिया में बदलाव आता है. मुझे ख़ुशी इस बात से हो रही है कि टीवी अब कुछ हद तक स्थिर हो चुकी थी, क्योंकि उसमे किसी भी प्रकार की बदलाव से टीआरपी घट जाती है और ये सभी कलाकारों, लेखकों और निर्देशकों  का दुर्भाग्य है कि टीवी के शो टी आर पी बेस्ड होते है. इसलिए कुछ भी नया करने पर अगर टी आर पी घट जाती है तो उसे फिर से पुराने ढर्रे पर लाया जाता है. जिसकी वजह से उसमें बदलाव की गुंजाईश बहुत कम है और काम के बाद की संतुष्टि कलाकारों, लेखकों और निर्देशकों की काफी कम हो जाती है. मेरे हिसाब से क्रिएटिव वर्क करने वालों को डिजिटल में अवश्य संतुष्टि आई होगी. कोविड की वजह से केवल ख़राब ही नहीं, अच्छी बात भी हुई है और मनोरंजन की दुनिया का नया रूप देखने को मिला है.

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सवाल-खुश रहने का मंत्र क्या है?

जीवन में जो मिलता है, उसे ऊपर रखे और जो नहीं मिला, उसके बारें में सोचना बंद कर दें. अधिकतर लोग जो आसानी से मिल जाती है, उसे एन्जॉय न कर, जो नहीं मिला, उसके पीछे भागते रहते है. उन्हें ये समझना पड़ेगा कि जो चीज हमें मिली है, शायद किसी दूसरे को नहीं मिली होगी. इसमें प्रयास सबसे ऊपर है,उसे करना न छोड़े,लेकिन जो मिलता है, उसे सेलिब्रेट करें. अपनी अचीवमेंट की तुलना किसी से न करें, तभी आप खुश रह सकते है.

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