कपिला के अनुसार मैं शुरू से ही अपने वजन को लेकर सचेत रहती थी इसलिए मैंने जबरदस्त डाइटिंग करके दसवीं क्लास में अपना 20 किलो वजन कम कर लिया था , उस वक्त मेरे ऊपर अच्छे से अच्छा दिखने का जुनून सवार था. लिहाजा जब मैं पतली हुई तो सब ने मेरी बहुत तारीफ की लेकिन खाने पीने में लापरवाही करते ही मैं फिर से मोटी होने लगी, इसके बाद मैंने दोबारा और कड़क डाइटिंग की जिसमें मैं पूरा-पूरा दिन कुछ भी नहीं खाती थी और ज्यादा से ज्यादा डाइट में 800 से 900 कैलोरी तक का ही खाना लेती थी.
इसका नतीजा यह हुआ की धीरे-धीरे मेरी इम्यूनिटी कमजोर होने लगी , पेट में ट्यूमर की समस्या हो गई. यहां तक की बहुत ज्यादा कमजोरी होने की वजह से मुझे टीबी की बीमारी ने भी घेर लिया. इसके बाद मुझे काफी लंबे समय तक बीमारी से गुजरना पड़ा. लेकिन मैंने बाद में सही इलाज करके अपने आप को मौत के मुंह में जाने से बचा लिया. अब 33 की उम्र में मैंने फिर से एक बार वजन कम करने की प्रक्रिया शुरू की है लेकिन भूखे रहकर नहीं, बल्कि सही डाइट और सही फिटनेस ट्रेनिंग लेकर जिसका मुझे बहुत अच्छा रिजल्ट मिल रहा है. और कमजोरी का एहसास भी नहीं हो रहा. मैं अपनी दर्दनाक वेटलॉस जर्नी के जरिए यही कहना चाहती हूं कि वेटलॉस करना बुरा नहीं है अगर उसका तरीका सही हो ,जो मुझे बाद में समझ आया.