मराठी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली थिएटर आर्टिस्ट और अभिनेत्री नेहा जोशी नाशिक की है. वह इंडस्ट्री की सबसे प्रतिभावान एक्ट्रेस मानी जाती है. उसे चरित्र भूमिका निभाना पसंद है, क्योंकि इसमें अभिनय करने के कई शेड्स मिलते है. मराठी फिल्म ‘जेंडा’ और ‘पोस्टर बौयज’ में उसकी भूमिका को काफी सराहना मिली. अभी वह & टीवी पर ‘एक महानायक बी आर अम्बेडकर’ की माँ भीमाबाई रामजी सकपाल की भूमिका निभा रही है, जो कठिन होने के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण भी है. उनसे हुई बातचीत के अंश इस प्रकार है,

सवाल-आप की भूमिका इस शो में क्या है और आप खुद से इसे कितना रिलेट कर पाती है?

भीमाबाई रामजी सकपाल जो भारत रत्न बाबासाहेब अम्बेडकर की मां थी. उनकी भूमिका निभा रही हूं. मैं मां की भूमिका पहले भी हिंदी और मराठी फिल्मों में की है. मैं थिएटर की बैकग्राउंड से हूं और शायद इसलिए मुझे चरित्र को निभाना अधिक पसंद है, जिसमें भूमिका से अधिक चरित्र कहने की कोशिश क्या कर रहा है उसपर अधिक जोर दिया जाता है. इसे ना कहना मेरे लिए असंभव था. बाबासाहेब अम्बेडकर जिन्होंने संविधान लिखा है ऐसे व्यक्ति की माँ की भूमिका निभाना मेरे लिए गर्व की बात है. इसके अलावा एक बच्चे की ग्रोथ में उसकी माता-पिता का पूरा हाथ होता है. इस कहानी से दर्शक अगर अपने बच्चे के लालन-पालन में थोड़ी सी भी ग्रहण कर लेंगे, तो वह मेरे लिए बड़ी बात होगी. आज के बच्चे डिजिटल की दुनिया में खोये जा रहे है और वे अपने माता-पिता से दिन ब दिन दूर होते जा रहे है. वे किसी रिश्तों और परिवार के साथ में रहना पसंद नहीं करते. मैं नाशिक की हूं और संयुक्त परिवार में रहती थी. कभी भी हमने तब न टीवी देखा या गाना सुना हो , परिवार में ही हम इतने व्यस्त हो जाते थे कि समय नहीं रहता था. मेरा ये चरित्र अगर आज के पेरेंट्स को थोडा मदद करे तो मेरे लिए ख़ुशी की बात होगी.

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मुझे इसकी कहानी बहुत अच्छी लगी. मेरा चरित्र बहुत बात करने वाली है और दूसरे की कम सुनने वाली है, भीमाबाई असल में अपने मन की, जो सही लगे उसे किया करती थी. ऐसी मैं भी हूं ,मुझे अगर कोई बात पसंद नहीं है, तो मैं उसे कहने से हिचकिचाती या डरती नहीं.

सवाल-इस भूमिका के लिए आपने कितना रिसर्च किया?

मैंने इसके लिए कई किताबे बाबासाहेब से जुडी हुई पढ़ी है और पढ़ भी रही हूं. भीमाबाई की भूमिका को मैं उसी रूप में प्रस्तुत करने की बहुत मेहनत कर रही हूं, ताकि लोगों को निराशा न हो. इसके अलावा निर्देशक काफी सहयोग कर रहे है.

सवाल-इंडस्ट्री में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

मेरे माता-पिता 45 साल से नाशिक में थिएटर कर रहे थे. संगीत का माहौल मेरे घर में था. 10 साल मैंने कथक सीखा है. जींस में एक्टिंग है. इसके अलावा पुणे में थिएटर में स्नातक की उपाधि ली है. ये तय था कि मैं कलाकार ही बनूंगी और मैंने एक ही जिंदगी में इतने सारे चरित्र कर लिए है जो मुझे अच्छा लगता है. मैंने शादी की थी पर 4 साल पहले डिवोर्स हो गया है. अब मैं खुश हूं और अपने काम में व्यस्त हूं. मैंने बचपन से आज़ाद रहना पसंद किया है और बंधकर मैं कही रह नहीं सकती, अभी मैं दो बिल्लियों के साथ रहती हूं.

सवाल- कानून के फैसले हमारे देश में बहुत ढीले है और कई बार अंजाम तक पहुँचने में सालों लग जाते है, क्या आपको नहीं लगता है कि इसमें सुधार की जरुरत आज के परिवेश को ध्यान में रखते हुए करने की जरुरत है?

बहुत बुरा लगता है जब मैं सुनती हूं कि हमरे आसपास बहुत कुछ अन्याय महिलाओ के साथ आज भी हो रहा है. मैं अकेले मुंबई में रहती हूं और कई बार ये सोचने पर मजबूर होती हूं कि क्या मैं यहाँ सुरक्षित हूं. क्या कोई बुरी नज़र मेरा पीछा तो नहीं कर रही है. कई बार किसी से बात करते हुए भी डर लगता है. लोगों के मन में जो महिलाओं के प्रति अनाचार या भ्रष्टाचार देखने या सुनने को मिलता है उसे अब ख़त्म करने की जरुरत है. ऐसे लोगों के मन में डर बैठने की जरुरत है, उसके लिए कुछ भी करना पड़े तो करने में कोई समस्या नहीं.

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सवाल- आगे आने वाली फिल्में कौन सी है?

अभी दो मराठी फिल्में आने वाली है.

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