रेडियो जौकी से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली कौमेडियन सुगंधा मिश्रा पंजाब के जालंधर की हैं. बचपन से ही उन्हें संगीत का माहौल मिला. उन्होंने अपने दादा पं. शंकर लाल मिश्रा से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली. वैसे 2 साल की उम्र से ही उन्होंने स्टेज पर परफौर्म करना शुरू कर दिया था. बाद में रेडियो जौकी रहते हुए ही उन्हें औडिशन के जरीए ‘लाफ्टर चैलेंज’ के लिए चुना गया. फिर वे ‘सारेगामापा’ की रनरअप बनीं, तो कई फिल्मों में प्लेबैक सिंगिंग करने के साथसाथ टीवी शोज में ऐक्टिंग, ऐंकरिंग आदि सब कुछ किया. इस समय सुगंधा सब टीवी पर ‘हंसी ही हंसी… मिल तो ले’ हास्य धारावाहिक में स्टैंडअप कौमेडियन की भूमिका निभा रही हैं, जिस का हर ऐपिसोड में अलग अंदाज होगा.

सुगंधा से मिल कर बात करना रोचक था. पेश हैं बातचीत के खास अंश:

यहां तक पहुंचने में संघर्ष कितना था?

मैं ने अधिक संघर्ष नहीं किया. मुझे अपने परिवार में गुरु मिले, तो मैं ने उन से कई साल शास्त्रीय संगीत सीख कर अपनी नींव मजबूत की. मैं इस परंपरा को आगे बढ़ाने वाली अपने परिवार की चौथी पीढ़ी की हूं और मुझे इस बात की खुशी है कि मुझे गुरु के रूप में दादाजी जैसे महान कलाकार मिले. इस के अलावा परिवार का बहुत सहयोग रहा, जिस में खासकर मेरी मां, हमेशा मेरे साथ रहीं. इस के बाद कपिल शर्मा का सहयोग रहा जिस की वजह से मैं मुंबई आ पाई. संघर्ष तो हमेशा अच्छा काम करने का रहा.

कौमेडी का सफर कैसे शुरू हुआ?

वैसे मैं गायिका हूं लेकिन मिमिक्री करने में मुझे मजा आता था. लेकिन तब मैं ने सोचा नहीं था कि यह मेरा पेशा बनेगा. जब पंजाब में लाफ्टर चैलेंज के लिए मैं चुन ली गई, तभी से मेरा सफर शुरू हो गया.

कौमेडी करते वक्त किस बात का खास ध्यान रखती हैं?

कौमेडी में फूहड़ शब्दों का इस्तेमाल मैं नहीं करती. लोग डबल मीनिंग वाली कौमेडी पसंद करते हैं पर मैं ने जब भी इस तरह के औफर आए मना कर दिया. मुझे अच्छा तब लगता है जब लोग कहते हैं कि आप की कौमेडी कोे पूरे परिवार के साथ बैठ कर देखा जा सकता है. महिला होने के नाते भी मैं साफसुथरी कौमेडी कर लोगों को हंसाना चाहती हूं.

आगे और क्या करने वाली हैं?

मैं संगीत को आगे लाना चाहती हूं. इस के अलावा फिल्मों में काम करने वाली हूं. बोल्ड चरित्र मैं नहीं कर सकती, इसलिए अच्छे रोल की तलाश में रहती हूं. टीवी पर कई शो कर रही हूं. आगे भी अभिनय के क्षेत्र में आने वाली हूं.

आप के जीवन की खट्टीमीठी बातें कौन सी हैं?

सारेगामापा की रनरअप बनने के बाद मुझे दिलीप कुमार के घर पर उन के 90वें जन्मदिन के अवसर पर सायरा बानो द्वारा बुलाया जाना मेरे लिए बहुत खास रहा. मैं ने वहां पर टप्पा गाया, जो मुश्किल शैली थी. पर सभी को बहुत पसंद आया. खासकर सायरा बानो ने मेरी बहुत तारीफ की, जो बड़ी बात थी.

आप अपनेआप में परफौर्मैंसवाइज कितना सुधार पाती हैं यानी पहले की तुलना में आप कितनी बदल चुकी हैं?

मेरी परफौर्मैंस पहले से काफी सुधरी है. पहले कमियां बहुत थीं. लेकिन मैं अपनी परफौर्मैंस को हमेशा देखती थी और अपनी कमियों को सुधारती थी. मेरी प्रतियोगिता अपनेआप से ही रहती है.

काम के अलावा आप और किस बात की शौकीन हैं?

मुझे शौपिंग बहुत पसंद है, क्योंकि मैं हर तरह के कपड़े पहनने की बड़ी शौकीन हूं. इसीलिए ब्रैंडेड कपड़ों की शौपिंग हो या स्ट्रीट शौपिंग, सब करना पसंद करती हूं. मैं मूड के हिसाब से कपड़े पहनती हूं और मुझे घर का खाना पसंद है.

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