सामाजिक रोमांचक व रहस्य प्रधान फिल्म ‘‘मोना डार्लिंग’’ देखकर एहसास होता है कि एक अच्छी कथा को सिनेमा के पर्दे पर उतारते हुए किस तरह बंटाधार किया जा सकता है. कहानी एक कॉलेज कैंपस के इर्द गिर्द घूमती है, जहां मोना के साथ पढ़ रहे चार लड़कों की रहस्यमय तरीके से मौत हो जाती है. जबकि मोना (सुजाना मुखर्जी) गायब है. पुलिस इसकी जांच पड़ताल शुरू कर देती है. उधर मोना की दोस्त सारा (दिव्या मेनन) अपने एक अन्य दोस्त व कंप्यूटर में माहिर विक्की (अंशुमन झा) की मदद से मोना की तलाश शुरू करती है. सारा को कहीं से कोई जवाब नहीं मिल रहा.
सारा कॉलेज के डीन (संजय सूरी) के पास जाती है, जहां पहले से ही पुलिस इंस्पेक्टर कमल मौजूद हैं. वह डीन से कहती है कि, ‘मोना गायब है. उसका पता नहीं चल रहा हैं.’ इस पर डीन उसे जवाब देता है कि, ‘तुम जाओ, हम देख लेंगे.’ डीन के पास से सारा निराश होकर लौट आती है. तब कंप्यूटर का मास्टर विक्की उसकी मदद के लिए तैयार होता है. विक्की व सारा रात के अंधेरे में उस जगह पर जाते हैं, जहां उन चारों विद्यार्थियों की लाश मिली थी. वहां उन्हें कालेज के ट्रस्टी के बेटे समीर की लाश मिलती है और उन्हें एहसास होता है कि वहां पर कोई आया है, तो वह दोनों वहां से डर कर भागते हैं.
दूसरे दिन सारा, विक्की को बताती है कि मोना तो समीर से प्यार करती थी. लेकिन एक दिन प्यार करते हुए समीर उसका वीडियो बना लेता है, इसका पता चलने पर मोना ने समीर के मुंह पर चांटा जड़कर समीर से रिश्ता खत्म कर दिया था. समीर ने गुस्से में मोना को बदनाम करने के लिए उस वीडियो को फेसबुक पर डाल दिया. तब विक्की उस फेसबुक पेज को तलाशता है, तथा यह सच सामने आता है कि जिसने भी मोना के इस पेज से भेजी गयी फ्रेंडशिप को स्वीकार किया, वह मारा गया. सारा व विक्की यह बात पुलिस इंस्पेक्टर कमल और डीन को बताते हैं. डीन इस आईडी को बंद करने के लिए कहते हैं. लेकिन मोना का अब तक कोई पता नहीं है.
एक दिन सारा को मोना की लाश मिल जाती है और उसे लगता है कि उसने आत्महत्या कर ली है. मगर इसी बीच विक्की के हाथ एक सबूत लगता है, जिससे जाहिर होता है कि मोना की हत्या की गयी है. तब वह यह सच बताने के लिए सारा के पास जाता है. वह सारा को डीन सर के पास जाने को कहता है और खुद लायब्रेरी जाता है. सारा डीन के घर का दरवाजा खटखटाती है. डीन उसे घर के अंदर बैठाते हैं. उधर विक्की कंप्यूटर पर कुछ ढूंढ़ रहा है. जबकि सारा की नजर डीन के घर के अंदर टंगी एक पेटिंग पर पड़ती है. और उसे कुछ याद आता है. वह ऊपर कमरे की तरफ बढ़ना चाहती है.
तभी डीन आकर उसे बताते हैं कि एक दिन मोना भी उनके घर की चाभी चुराकर यहां आई थी और उनके गुप्त रूम का ताला खोलकर अंदर गई थी. तब उसे एक रूम में डीन की पत्नी एक स्ट्रेचर पर मिली थी, जिसकी मौत पांच वर्ष पहले हो चुकी थी. पर डीन ने प्यार के कारण उसकी लाश को रखा हुआ है क्योंकि डीन का दावा है कि वह अपने प्यार की ताकत के बल पर एक न एक दिन अपनी पत्नी को जिंदा कर देगा. डीन की पत्नी की लाश देखकर मोना भागना चाहती है, पर उसी वक्त वहां डीन आ जाता है. अब डीन उसे पकड़कर एक प्रयोग शुरू करता है. लेकिन प्रयोग सफल नहीं हो पाता है और मोना की मौत हो जाती है. पर उसी प्रयोग की वजह से मोना की आईडी में कुछ गड़बड़ी हो जाती है.
तब सारा अपनी जान बचाने के लिए डीन सर के उपर एक लोहे का सामान उठाकर मारती है और डीन बेहोश हो जाते हैं. सारा, विक्की को फोन लगाती है, पर उस वक्त विक्की अपने फोन से दूर होता है, इसलिए उसे पता नहीं चलता. सारा डीन के हाथ पैर बांधकर पुलिस को फोन करती है. पुलिस अफसर को वह सारी कहानी बताती है. पर वह पुलिस इंस्पेक्टर कमल भी डीन से मिला हुआ होता है. इसलिए वह पुलिस इंस्पेक्टर, सारा को ही बेहोश कर देता है और डीन के बंधन खोलकर सारा को लेकर उसी रूम में जाते हैं और सारा को उसी स्ट्रेचर पर लिटाते हैं, जिस पर मोना को लिटाकर असफल प्रयोग किया था.
इधर कंप्यूटर पर खोज कर रहे विक्की को मोना पर डीन के प्रयोग करने का वीडियो मिलता है. अब उसे समझ में आ जाता है कि सारा की जिंदगी खतरे में है. वह तुरंत डीन के घर जाता है. पुलिस इंस्पेक्टर कमल, विक्की पर गोली चलाता है. विक्की गिरता है. पर विक्की, मोना की फेसबुक आईडी पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने में सफल हो जाता है. कमरे की लाइट जलने व बुझने लगती है. कंप्यूटर में से एक रोशनी निकलती है, जो कि मोना की आत्मा है, वह पुलिस इंस्पेक्टर कमल और डीन को मारकर गायब हो जाती है. सायरा को होश आता है. विक्की भी बच जाता है. सब कुछ सामान्य हो जाता है.
फिल्म ‘‘मोना डार्लिंग’’ की कहानी में कुछ भी नयापन नहीं है. बल्कि यह फिल्म 2002 की अमरीकन सुपरनेचुरल पॉवर वाली फिल्म ‘‘रिंग’’, 1998 की जापानी सायकोलॉजिकल फिल्म ‘‘रिंग’’,‘वॉर्नर ब्रदर्स’ की फिल्म ‘‘फ्रेंड्स रिक्वेस्ट’’ को मिलाकर बनायी गयी चूंचूं का मुरब्बा है. मजेदार बात यह है कि हाल ही में अमरीका में एक बार फिर ‘रिंग’ का रीमेक किया गया है, जो कि बहुत जल्द प्रदर्शित होने वाली है.
फिल्म बहुत धीमी गति से आगे बढ़ती है. फिल्म के एडीटर ने भी फिल्म को तहस-नहस किया है. फिल्म के अंदर एक ही गाना है. बीच पर फिल्माया गया यह रोमांटिक गाना बहुत ही घटिया है और फिल्म के साथ कहीं भी फिट नहीं बैठता. गाने के बोल व संगीत बहुत घटिया हैं. फिल्म की पटकथा में गड़बड़ी है. हत्यारे के बारे में बीस मिनट बाद ही एहसास हो जाता है.
जहां तक अभिनय का सवाल है, तो अंशुमन झा, सुजाना मुखर्जी और दिव्या मेनन ने ठीक ठाक अभिनय किया है. मगर संजय सूरी ने यह फिल्म क्यों की, यह बात समझ से परे हैं. 1 घंटा 59 मिनट की अवधि की फिल्म ‘‘मोना डार्लिंग” का निर्माण ‘‘फस्ट रे फिल्मस’’ और ‘‘अल्ट जे फिल्मस’’ के बैनर तले निखिल चैधरी, कैलाश के, पंकज गारडी, हितेश गारीडी ने किया है.
लेखक व निर्देशक शशी सुदिगल, गीतकार समीर सतीजा, संगीतकार मनीष जे टीपु, कास्ट्सूम तानिया ओयक, नृत्य निर्देशक जयेश प्रधान, कला निर्देशक दीपांकर मोंडल, कैमरामैन सपन नरूला, एडीटर आसिफ पठान, पार्श्व संगीत सुदीप स्वरुप, नृत्य निर्देशक जयेश प्रधान तथा कलाकार हैं- सुजाना मुखर्जी, अमिष्का सूद, आशीष चैधरी, यश योगी, योगेश भट्ट, सूर्यवीर यादव, हर्ष नागर, सुशांत वशिष्ठ, दिव्या मेनन, ध्रुव हाइना लोहुमी, आचार्य अजय वर्मा, सचिन कथूरिया, नरेश मोसेन, संदीप बासु, बिमलेंदू जेना, संजय सूरी, अंशुमान झा, मुकेश भट्ट, तारा खान, प्रशांत सिंह व अन्य.