29 वर्षीय अभिनेता रणवीर सिंह ने अलगअलग भूमिका निभा कर उस मुकाम को हासिल कर लिया जहां पहुंचना आसान न था. फिल्मों में आने की इच्छा उन्हें शुरू से थी. लेकिन जिस तरह फिल्म इंडस्ट्री में फिल्मी परिवारों के बच्चों को लौंच किया जा रहा था उसे देख कर उन के लिए कोई जगह होगी या नहीं, यह सोच कर उन्होंने क्रिएटिव राइटिंग की तरफ गंभीरता से सोचना शुरू किया. इसी उद्देश्य से उन्होंने इंडियाना यूनिवर्सिटी से क्रिएटिव राइटिंग की कला सीखी. लेकिन उन्हें तो फिल्मों में काम करना था. अत: वापस मुंबई आ गए. इसी बीच उन्हें यशराज बैनर तले काम करने का मौका मिला और फिर वे फिल्म इंडस्ट्री में रम गए.

रणवीर को बनावटी लोग पसंद नहीं. वे किसी भी बात को कहने में कभी संकोच नहीं करते. पिछले दिनों उन से बातचीत हुई. पेश हैं, उस के कुछ खास अंश:

आप अपने कैरियरग्राफ को कैसे देखते हैं?

मैं अपने काम से बहुत संतुष्ट हूं. मैं ने हमेशा अलगअलग भूमिकाएं निभाई हैं. जोया अख्तर की फिल्म ‘दिल धड़कने दो’ का काम चल रहा है. यह बहुत ही वास्तविक और फ्रैश फिल्म है. यह संपूर्ण फिल्म है. इस तरह की फिल्में बहुत कम मिलती हैं. पहले मुझे शक था कि अभिनय के क्षेत्र में मैं सफल हो पाऊंगा या नहीं. पर अब लगता है कि ठीक जा रहा हूं, क्योंकि हर बार एक नया किरदार करने का औफर मिलता है. ‘बैंड, बाजा, बारात’ से ले कर ‘लेडीज वर्सेस रिकी बहल’, ‘लुटेरा’, ‘रामलीला’, ‘गुंडे’, ‘किल दिल’, ‘दिल धड़कने दो’ आदि फिल्में अपनेआप में अलग और बेहतरीन फिल्में हैं. मेरा काम दर्शकों को पसंद आ रहा है तो मैं सफल हूं. मैं आगे भी अच्छा काम करने की इच्छा रखता हूं.

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