उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए साम्प्रदायिक दंगों पर आधारित फिल्म 'शोरगुल' विवादों में घिर गई है. सूत्रों के मुताबिक फिल्म मुजफ्फरनगर में बैन हो गई है. वहीं मुजफ्फरनगर सिनेमा एसोशियन कह रहा है कि उन्हें नुकसान का डर है इसलिए सभी सिनेमा मालिकों ने प्रशासन को फिल्म का प्रदर्शन ना करने की लिखित सहमति दी.

फिल्म निर्माता ने दावा किया है कि प्रशासन ने कुछ दृश्यों को निहायत आपत्तिजनक बताते हुए फिल्म से सामाजिक सौहार्द्र को खतरा पैदा होने का डर बताया है और फिल्म को मुज्जफरनगर में बैन कर दिया है. हालांकि मुजफ्फरनगर के जिला अधिकारी ने इस मामले में कुछ भी बोलने से साफ इनकार कर दिया है.

फिल्म में मुजफ्फरनगर हिंसा के अलावा गोधरा, बाबरी मस्जिद दंगों जैसे गंभीर विषयों को भी उठाया गया है. साथ ही फिल्म में नौकरशाहों के कुकमार, चालबाजियों और कुछ हाई प्रोफाइल शख्सियतों से जुड़े विवादास्पद मामलों का भी जिक्र है.

फिल्म के निर्माताओं में से एक व्यास वर्मा ने कहा, 'हमने बार-बार कहा है कि 'शोरगुल' किसी विशिष्ट घटना पर आधारित नहीं है, बल्कि यह समाज में जो हो रहा है, उसका प्रतिबिंब है. इसमें उन मुद्दों को उठाया गया है जो देश के लिए चिंता का विषय हैं. उत्तर प्रदेश केवल फिल्म की पृष्ठभूमि है.'

उन्होंने कहा, 'यह खबर बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है. मैं प्रशासन से पूछना चाहता हूं कि वह खासतौर पर मुजफ्फरनगर में फिल्म पर क्यों रोक लगा रहा है. क्या उन्हें किसी खास बात का डर है? क्या मुजफ्फरनगर के लोगों को यह देखने का हक नहीं है कि देश में क्या हो रहा है? हर नागरिक को फिल्म देखने का अधिकार है क्योंकि फिल्म में आम आदमी की आवाज उठाई गई है.'

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