शाहरुख खान की सबसे अच्छी फिल्मों में से एक है ‘परदेस’. सालों पहले रिलीज हुई इस फिल्म से बॉलीवुड में एक एक्ट्रेस ने डेब्यू किया था और रातों रात वो स्टार बन गईं थी. जी हां हम बात कर रहे हैं महिमा चौधरी की जिनकी खूबसूरती से लेकर एक्टिंग तक की अच्छी खासी तारीफ हुई थी.
परदेस फिल्म तो अच्छी थी ही साथ ही इस फिल्म के गाने खासकर जबरदस्त थे. आई लव माई इंडिया से लेकर ये दिल दिवाना, दो दिल मिल रहे हैं… सब की जुबान पर चढ़ गया था.
पूरी तरह से पारिवारिक फिल्म परदेस सिर्फ महिमा चौधरी की नहीं अपूर्व अग्निहोत्री की भी पहली फिल्म थी. इस फिल्म के बाद भी वो कुछ और फिल्मों में नजर आए लेकिन जस्सी जैसी कोई नहीं पॉपुलर सीरियल में अरमान मलिक के किरदार ने उन्हें वापस लाइमलाइट में ला दिया.
सुभाष घई की फिल्म परदेस को आज भी लोग भूल नहीं पाए हैं इससे अच्छी बात उनके लिए और क्या हो सकती है. आइए आपको बताते हैं फिल्म से जुड़ी कुछ मजेदार बातें.
महिमा चौधरी नहीं थी पहली पसंद
फिल्म के लिए सुभाष घई की पहली पसंद महिमा चौधरी नहीं बल्कि माधुरी दीक्षित थी. माधुरी दीक्षित के मना करने के बाद सुभाष घई जुही चावला को लेना चाहते थे. लेकिन इसके बाद उन्हें लगा की फिल्म में कोई नया चेहरा शाहरुख खान के साथ ज्यादा अच्छा लगेगा तो ऑडिशन कर वो महिमा चौधरी को फिल्म के लिए फाइनल किए.
इन तीनों को साथ करना चाहते थे कास्ट
दरअसल शाहरुख खान को फिल्म के लिए साइन करने के बाद सुभाष घई माधुरी दीक्षित और अपूर्व अग्निहोत्री के रोल के लिए सलमान खान को कास्ट करना चाहते थे लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ की सलमान के फैन्स उन्हें निगेटिव रोल में नहीं देखना चाहेंगे.
सुभाष घई का अंधविश्वास
शायद आपको पता ना हो लेकिन सुभाष घई के बारे में कहा जाता है की अगर उनकी फिल्म में ‘म’ अक्षर की नाम वाली एक्ट्रेस डेब्यू करती हैं तो फिल्म सुपरहिट होती है जैसे सौदागर से मनीषा कोइराला, तेजाब और राम लखन में माधुरी,हीरो से मीनाक्षी शेषाद्री और इस अंधविश्वास का असर उनकी फिल्म परदेस पर भी हुआ था.
बदला नाम
महिमा चौधरी का असली नाम महिमा चौधरी नहीं रितु चौधरी है लेकिन इस फिल्म की वजह से उनका नाम ‘म’ से रखा गया और महिमा रखा गया. इस वजह से महिमा चौधरी को कई बार कागजों पर परेशानी भी हुई.
शाहरुख भी नहीं थे पहली पसंद
आपको जानकार हैरानी होगी लेकिन इस फिल्म के लिए आमिर खान को पहले सुभाष घई कास्ट करना चाहते थे लेकिन डेट्स की वजह से आमिर ने इस फिल्म के लिए मना कर दिया.
बदली जोड़ी
सुभाष घई और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल 18 साल तक लगातार काम करते आ रहे थे लेकिन इस फिल्म से इनकी जोड़ी टूट गई और सुभाष घई नदीम श्रवण को परदेस के म्यूजिक के लिए चुना. वो अपनी इस फिल्म में कुछ बदलाव चाहते थे.