साल 2016 हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लिये अलग-अलग विषयों पर बनी फिल्मों के नाम रहा. इस साल सुल्तान, पिंक, ऐ दिल है मुश्किल, एमएस धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी और दंगल के साथ कई मजेदार फिल्में रिलीज हुई. ऐसे में यह कहना कि साल 2016 बायोपिक, रोमांटिक, स्पोर्ट्स, ड्रामा, थ्रिलर सहित तमाम फिल्मों के नाम रहा.

आइए इन्हीं फिल्मों के कुछ खास डायलॉग पर नजर डालते हैं.

नो मीन्स नो (No Means No), पिंक

महानायक अमिताभ बच्चन ने जब कोर्ट के भीतर खड़े होकर ‘नो मीन्स नो’ कहा तो दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट थमने का नाम ही नहीं ले रही थी.

म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के, दंगल

साल के आखिर में आई फिल्म ‘दंगल’ में जब आमिर अपनी पत्नी से कहते हैं, ‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के’ और हर तरफ सीटियां और तालियां बजने लगती हैं.

इक तरफा प्यार की ताकत.., ऐ दिल है मुश्किल

रणबीर कपूर और अनुष्का शर्मा को लेकर करण जौहर ने फिल्म ऐ दिल है मुश्किल बनाई. इसमें बेहतरीन डायलॉग्स भी मौजूद थे. जैसे ‘इकतरफा प्यार की ताकत ही कुछ और होती है, औरों के रिश्तों की तरह ये दो लोगों में नहीं बंटती’.

कोई तुम्हें तब तक नहीं हरा सकता.., सुल्तान

‘सुल्तान’ फिल्म का डायलॉग काफी फेमस हुआ जिसमें कहा गया, ‘कोई तुम्हें तब तक नहीं हरा सकता जब तक कि तुम खुद से ना हार जाओ’.

इसकी कुंडली में लिखा था, कुल का दीपक बनेगी ये, नीरजा

फिल्म में नीरजा की मां के किरदार में शबाना आजमी, नीरजा को कहती हैं कि ‘इसकी कुंडली में लिखा था, कुल का दीपक बनेगी ये’ तो अचानक से दर्शकों में कई लोगों की आंखें नम हो जाती हैं.

आदमी की फितरत ही होती है.., एयरलिफ्ट

साल 2016 की शुरुआत में अक्षय कुमार और निम्रत कौर स्टारर फिल्म ‘एयरलिफ्ट का डायलॉग ‘आदमी की फितरत ही होती है, चोट लगती है तो सबसे पहले आदमी मां-मां ही चिल्लाता है’ काफी प्रसिद्ध हुआ.

जब तक मैं जिंदा हूं ना.., कहानी 2

विद्या बालन स्टारर फिल्म ‘कहानी 2’ का एक डायलॉग काफी फेमस हुआ जब विद्या अपनी बेटी से कहती हैं, ‘जब तक मैं जिन्दा हूं ना तुझे कुछ नहीं होगा’.

अपने पास्ट के द्वारा वर्तमान को ब्लैकमेल मत होने दो.., डियर जिंदगी

गौरी शिंदे के डायरेक्शन में आलिया भट्ट और शाहरुख खान स्टारर फिल्म ‘डियर जिंदगी’ के संवाद भी काफी अलग थे. शाहरुख आलिया को समझाते हुए कहते हैं- ‘अपने बीते हुए कल (पास्ट) के द्वारा वर्तमान (प्रेजेंट) को ब्लैकमेल मत होने दो, जिससे कि फ्यूचर बर्बाद हो जाए’.

कमाता हूं दिरहम में.., ढिशूम

वरुण धवन और जॉन अब्राहम की फिल्म ‘ढिशूम’ का यह डायलॉग भी काफी चर्चा में आया, कमाता हूं दिरहम में लेकिन खर्चता हूं रुपये में, खाता हूं इनकी लेकिन सुनता हूं सिर्फ मोदीजी की’

मेरी यूनिफार्म मेरी आदत है.., रुस्तम

1950 के दशक के मशहूर नानावटी केस पर आधारित फिल्म ‘रुस्तम’ में कई फेमस डायलॉग थे, ‘मेरी यूनिफार्म मेरी आदत है, जैसे कि सांस लेना, अपने देश की रक्षा करना’. या फिर, ‘मतलब बाजी जीतने से है, फिर चाहे पाया कुर्बान हो या फिर रानी’.

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