सिनेमा में आ रहे बदलाव के साथ ही छोटे परदे व बड़े परदे का फर्क खत्म होता जा रहा है. अब छोटे परदे के कलाकार धड़ल्ले से फीचर फिल्मों में भी अपने अभिनय का जलवा दिखा रही हैं. इन्हीं में से एक हैं-मृणाल ठाकुर. मूलतः महाराष्ट्रियन यानी कि मराठी भाषी मृणाल ठाकुर का हिंदी पर भी अधिकार है. उनकी हिंदी भाषा सुनकर अहसास ही नहीं होता कि वह अहिंदी भाषी हैं.

मृणाल ठाकुर ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत ‘खामोशियां’ हिंदी सीरियल से की थी. उसके बाद उन्होंने ‘कुमकुम भाग्य’ सहित कई सीरियलों में अभिनय कर जबरदस्त शोहरत बटोरी. उसके बाद उन्होंने ‘‘विट्टी डांडू’ व ‘सुरैया’ जैसी मराठी भाषा की फिल्में की. अब उन्होंने वूमन ट्रैफीकिंग व सेक्स रैकेट पर आधारित तबरेज नूरानी की विचारोत्तेजक फिल्म ‘‘लव सोनिया’’ से हिंदी फिल्मों में कदम रखा है. 21 सितंबर को प्रदर्शित हो रही फिल्म ‘‘लव सोनिया’’ में मृणाल ठाकुर ने डेमी मूर, फ्रीडा पिंटो, अनुपम खेर, मनोज बाजपेयी व रिचा चड्ढा जैसे कलाकारों के साथ अभिनय किया है.

अभिनय का पैशन कैसे जागृत हुआ?

मेरे परिवार में अभिनय के क्षेत्र से कोई नहीं जुड़ा हुआ है. मेरी मां गृहिणी व मेरे पापा यूनियन बैक औफ इंडिया में नौकरी करते हैं. पहले मुझे बीडीएस की डिग्री हासिल कर दांतों का डाक्टर बनना था. पर अचानक मैंने एक कमर्शियल के लिए आडीशन दिया, तो मुझे लगा कि मेरे अंदर कुछ और करने की क्षमता है. फिर मैंने 12 वीं के बाद बीएमएम किया और उस वक्त मैं पत्रकार बनना चाहती थी. क्योंकि मुझे खोजी पत्रकारिता में रूचि थी. पर जब मुझे ‘स्टार प्लस’ के एक सीरियल ‘खामोशियां’ के लिए बुलाया गया और इस सीरियल के लिए आडीशन देने के बाद मुझे लगा कि अभिनय ही मेरा करियर हो सकता. इस सीरियल की शूटिंग के लिए मुझे लंदन जाने का मौका मिला. मैंने तो कभी सपने में नहीं सोचा था कि मैं लंदन जा पाउंगी. यह सीरियल तीन माह के अंदर ही बंद हो गया. पर तीन माह में मुझे बहुत शोहरत मिली. मैंने कई देश घूम लिए.

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