• रेटिंगः डेढ़ स्टार
  • निर्माताः अनुभव सिन्हा
  • लेखकः सुधीर मिश्रा, निसर्ग मेहता, षिवा बाजपेयी
  • निर्देशकः सुधीर मिश्रा
  • कलाकारः नवाजुद्दीन सिद्दिकी, भूमि पेडणेकर, सुमित व्यास, षारिब हाशमी, सुमित कौल, ईषा चोपड़ा,  रॉकी रैना,  कविराज लायके व अन्य
  • अवधि: दो घंटे छह मिनट

1983 में फिल्म ‘‘जाने भी दो यारो’’ से लेखक के तौर पर शुरूआत करने वाले सुधीर मिश्रा ने 1987 में ‘यह वो मंजिल तो नही’ से लेखक व निर्देशक के रूप में कैरियर शुरू किया था. उसके बाद ‘में जिंदा हॅूं’, , ‘धरावी’, ‘इस रात की सुबह नहीं’, ‘कलकत्ता मेल’, ‘चमेली’, ‘यह साली जिंदगी’, ‘इंकार’ व‘सीरियस मैन’सहित लगभग अठारह फिल्में निर्देषित कर चुके हैं. अब तक वह हर फिल्म में बेबाकी से अपनी बात कहते आए हैं, मगर अपनी ताजातरीन 5 मई को सिनेमाघरों में प्रदर्षित फिल्म ‘‘अफवाह’’ में वह बुरी तरह से चुक गए हैं.

इस फिल्म में उन्होेने मां के जिस रूप को चित्रित किया है, उससे सहमत होना मुष्किल है. तो वहीं वह राजनीति का भी असली चेहरा नही दिखा पाए. सुधीर मिश्रा ने अपनी इस फिल्म में जिस बात की खिलाफत की है, काश वह और पूरी फिल्म इंडस्ट्ी उस बात को समझ कर सोशल मीडिया और अफवाह का सहारा छोड़ कर फिल्म मेकिंग पर ध्यान देने लगे तो सिनेमा का भला हो जाएगा. बतौर सह लेखक व निर्देशक सुधीर मिश्रा ने जो कुछ राजनीति में होते दिखाया है, क्या वह दावा कर सकते हंै कि वैसा ही फिल्म इंडस्ट्ी में नहीं हो रहा है. फिल्मसर्जक सुधीर मिश्रा की फिल्म ‘अफवाह’ के केंद्र में यह बात है कि अगर वायरल वीडियो या अफवाह बनाने वालों को ही वही वीडियो या अफवाह पलटकर डस ले तो क्या होगा?

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