रेटिंगः डेढ स्टार

निर्माताः सरस्वती इंटरटेनमेंट, विकास बहल, एकता कपूर, शोभा कपूर, विराज सावंत,

लेखक व निर्देशकःविकास बहल

कलाकारःअमिताभ बच्चन, रश्मिका मंदाना, नीना गुप्ता, सुनील ग्रोवर, पावेल गुलाटी, अभिशेख खान, आशीश विद्यार्थी, इला अविराम, साहिल मेहता, शिविन नारंग, संजीव पांडे, अरूण बाली, शयांक शुक्ला व अन्य.

अवधिः दो घंटे 22 मिनट

‘क्वीन’ जैसी फिल्म के निर्देशक विकास बहल इंसान की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार को केद्र बनाकर फिल्म ‘गुड बाय’ लेकर आए हैं, जिसमें टकराव इस बात पर है कि इंसान के मरने के बाद उसका अंतिम संस्कार उसकी इच्छा अनुसार किया जाए अथवा हजारों वर्षों से चले आ रहे रीति रिवाज के अनुसार. कथानक के स्तर पर यह विचार बहुत संुदर है और इस पर बात भी होनी चाहिए. आखिर हम कब तक दकियानूसी या पोंगा पंथी रीति रिवाजों को झेलते रहेंगें. मगर फिल्मकार विकास बहल लेखन व निर्देशन के स्तर पर पूरी तरह से विफल रहे हैं. उन्होने अति संवेदनशील व दुःखद मृत्यु का भी मजाक बनाकर रख दिया है. विकास बहल की फिल्म कीक हानी का आधार रीति रिवउज बनाम विज्ञान है, मगर वह इसके साथ न्याय नहीं कर पाए. बल्कि वह अंततः धर्म व अंधविश्वास को बढ़ावा देने में ही अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लिया.

फिल्म ‘गुड बाय’ की पूरी कहानी गायत्री की असामयिक मृत्यु से जूझ रहे चंडीगढ़ परिवार की दुर्दशा,  अंत्येष्टि की तैयारी से लेकर तेहरवीं तक महिला के अंतिम संस्कार के इर्द-गिर्द घूमती है. काया फिल्मकार ने सी विषय पर कुछ समय पहले आयी फिल्म ‘रामप्रसाद की तेहरवीं ’ देखकर कुछ सीख लिया होता है. ‘रामप्रसाद की तेहरवीं’ मे भी फिल्मकार ने बहुत ही संुदर तरीके से वही सवाल उठाए थे, जिन्हें विकास बहल ने अपनी फिल्म में उठाया है.

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