रेटिंग : 5 में साढ़े 3 स्टार

निर्माता : अरूणा भाटिया, विपुल डी शाह, राजेश बहल व अश्विन वर्दे।

क्रिएटिव निर्माता : डा. चंद्रप्रकाश द्विवेदी

लेखक व निर्देशक : अमित राय

कलाकार : अक्षय कुमार, पंकज त्रिपाठी, यामी गौतम, पवन मल्होत्रा, गोविंद नामदेव, अरूण गोविल, सिमरन राजपूत, ब्रजेंद्र काला,आरुष वर्मा, पराग छापेकर (पत्रकार से बने अभिनेता), गीता अग्रवाल व अन्य.

अवधि : 2 घंटे 37 मिनट

सैंसर प्रमाणपत्र : ‘ए’ वयस्क

यूएई सैंसर बोर्ड : 12+

भारत में आज भी सैक्स हौआ है. घर हो या स्कूल, समाज का कोई भी तबका सैक्स को ले कर बात नहीं करता. सैक्स को वर्जित माना जाता है.

एक उम्र के बाद हर लड़के व लड़कियों को स्कूल में सही यौन शिक्षा देने की मांग लंबे समय से उठती आई है, मगर हमारी सरकार इस संबंध में मौन है.

यहां तक कि भारत का ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ यानि सैंसर बोर्ड के लिए भी सैक्स व यौन शिक्षा हौआ ही है. यह वही सैंसर बोर्ड है, जोकि धर्म के बाजार को आगे बढ़ाने के मकसद से ‘आदिपुरुष’ जैसी फिल्म को ‘यू’ प्रमाणपत्र दे कर पारित करता है.

मगर यौन शिक्षा की जरूरत की बात करने वाली फिल्म 'ओह माय गौड 2’’  को ‘ए’ यानि वयस्क प्रमाणपत्र देता है.

हमारा सैंसर बोर्ड यह भूल गया कि कामसूत्र से ले कर पंचतंत्र की कहानियों में यौन शिक्षा की बात की गई है. वहीं इसलामिक देश ‘यूएई’ के सैंसर बोर्ड ने ‘ओह माय गौड 2’ को 12+ का प्रामणपत्र दिया है यानि 12 साल से बड़े बच्चे यूएई में इस फिल्म को देख सकते हैं, मगर भारत में 18 साल से कम उम्र के बच्चे नहीं देख सकते. अब भारत के सैंसर बोर्ड को सही कहा जाए या ‘यूएई’ के सैंसर बोर्ड को, इस पर खुल कर बात की जानी चाहिए.

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