Rajnikant: सुपरस्टार रजनीकांत ने संघर्ष की कहानी याद करते हुए कहा, “एक बार मेरे पिताजी ने सख्ती से कहा कि कुली का काम करना है, बोरियां ढोनी हैं. मैंने कहा, ‘ठीक है ’. मैंने तीन बोरियां ठेले पर लाद दीं और निकल पड़ा. जो काम 500 मीटर में खत्म होना था, वो एक हादसे की वजह से ट्रैफिक डायवर्जन होने के कारण 1 से 1.5 किलोमीटर का सफर बन गया.
ऐसी स्थिति में उन बोरियों को संतुलित रखना आसान नहीं था. सड़क पर ट्रक, बस और गाड़ियां भरी थीं और रास्ते का हर गड्ढा या उभार मेरे बोझ को गिराने को तैयार था. एक जगह संतुलन बिगड़ गया और एक बोरी नीचे गिर गई.
लोग चारों तरफ से चिल्लाने लगे. बस के यात्री, राहगीर, सब मेरी तरफ देखकर चिल्ला रहे थे कि ‘ये ठेला सड़क पर क्यों लाए हो? किसने दिया तुम्हें?’ शायद मैं उस काम के लिए बहुत दुबला-पतला दिखता था. मैंने बोरी फिर उठाई, डांट खाई, और किसी तरह आगे बढ़ा. वहां पहुंचकर मेरे मामा ने कहा, ‘तीन बोरियां आई हैं इन्हें टेम्पो में चढ़ा दो. मैंने कहा ‘ठीक है’ और कर दिया. फिर मैंने पैसे मांगे.
कहानी का अंत बताते हुए रजनीकांत ने कहा, “उस आदमी ने मुझे ₹2 दिए और कहा, ‘टिप समझकर रख लो. वह आवाज मैंने पहचान लिया था, वह मेरे कॉलेज के दोस्त मुनिस्वामी का था, जिसे मैं अक्सर चिढ़ाता था. उसने कहा, ‘बहुत अकड़ दिखाते थे, अब देखो हालत!’ मैं उन बोरियों के सहारे टिक गया और रो पड़ा. उस दिन मैं पहली बार मैं रोया था.
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए रजनीकांत ने कहा कि यह घटना उनकी विनम्र शुरुआत, संघर्ष और मेहनत की गरिमा की याद है. उस दिन के बाद से यह आज भी उनके दिलोदिमाग में अंकित रह गई. ऐसे में आज जब वे फिल्म ‘कुली – द पावरहाउस’ में एक कुली का किरदार निभा रहे हैं तो रील और रियल के बीच के अंतर को बखूबी समझ रहे हैं.
बता दें कि ‘कुली – द पावरहाउस’ अपनी रिलीज से पहले ही देशभर में जबरदस्त हलचल मचा रही है. ₹400 करोड़ के बजट में बनी यह मेगाप्रोडक्शन मूवी में सुपरस्टार रजनीकांत के साथ आमिर खान, नागार्जुन, सत्यराज, उपेंद्र, सौबिन शाहीर और श्रुति हासन जैसे स्टार्स हैं.
सन पिक्चर्स के बैनर तले और विक्रम, लियो, कैथी और मास्टर जैसे फिल्मों के निर्देशक लोकेश कनगराज के निर्देशन में बनी यह फिल्म, इंडियन एक्शन मूवी की परिभाषा बदलने को तैयार है.
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