हंसना और हंसाना एक कला है जिससे सभी को शांति और सुकून मिलती है. अगर इस थिरेपी को व्यक्ति अपने जीवन में शामिल कर ले तो बहुत कम दवा की जरुरत पड़ती है. ऐसी ही सोच और कॉमेडी की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले अभिनेता कृष्णा अभिषेक स्वभाव से भी हंसमुख हैं.

टीवी धारावाहिकों के अलावा उन्होंने कई कॉमेडी फिल्में भी की हैं, जिसमें ‘बोलबचन’ और ‘एंटरटेनमेंट’ खास है. वे एक डांसर भी हैं. बचपन से ही अभिनय की शौक रखने वाले कृष्णा अभिषेक का असली नाम अभिषेक शर्मा है. इन दिनों वे कलर्स टीवी पर एक रियेलिटी शो ‘इंडिया बनेगा मंच’ में होस्ट हैं. उनसे बात करना रोचक था, पेश है अंश.

इस शो के साथ जुड़ने की खास वजह क्या थी?

ये एक अलग प्रकार की रियलिटी शो है, इसमें स्टूडियो के अंदर बैठे जजेज फैसला नहीं लेते. इसमें हर ऐतिहासिक जगह पर परफॉर्मर अपना मंच लगाकर वहां परफॉर्म करते हैं और आम जनता ही निर्णायक होती है. अधिक से अधिक लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में समर्थ हो पाना ही इस शो की खासियत है. इसमें कैमरा छुपा कर रखा जाता है, हम सभी दूर से उसे देखते हैं कि परफॉर्मर कितना सफल हो पा रहा है. इसमें जो जितना अधिक लोगों को अपनी ओर जमा कर सकेगा, वही इस शो का अंतिम टैलेंटबाज होगा. ये बहुत ही मेहनत वाला शो है. मेरे लिए चुनौती ये है कि कॉमेडी के किसी भी शो में मस्ती, ओवर कॉमेडी, पिंनिंग आदि चलती थी, लेकिन इसमें इमोशन है, जो मुझसे जुड़ी है. दिल्ली की इंडिया गेट, कनॉट प्लेस, रेडफोर्ट और कोलकाता में हावड़ा ब्रिज, पिन्सेप घाट मुंबई में जुहू बीच आदि, देश के सभी ऐतिहासिक जगहों पर मंच लगाया जायेगा.

कॉमेडी का सफर कैसे शुरू हुआ?

मैंने कभी लाइफ में सोचा नहीं था कि मैं कभी कॉमेडी करूंगा मैं तो एक डांसर हूं. मेरी पहली शो एक डांसर के रूप में था. आज से 10 साल पहले की ये बात है. उसके बाद कॉमेडी शो का ऑफर आया मैंने सोचा कि ये भी रियलिटी शो है 4 महीने पैसे कमाकर थोड़ा एन्जॉय कर लूंगा. लेकिन उस समय किसी को यह पता नहीं था कि ये शो एक इतिहास पलटने वाला है और मनोरंजन की इंडस्ट्री में एक नया रुख देने वाला है. कॉमेडी सर्कस ने जो लोगों को मनोरंजन दिया और मेरे साथ कई कॉमेडियन को भी स्थापित किया है वह काबिलेतारीफ है. मेरे अंदर इन्बोर्न कॉमेडी सेंस थी, क्योंकि कॉमेडी सीखने से कभी नहीं आती. पॉलिश जरुर किया जा सकता है. अच्छा है कि शो चली और लोगों ने पसंद भी किया. पहला शो मैंने 23 साल की उम्र में किया था.

लोगों को हंसाना कितना मुश्किल है?

बहुत मुश्किल होता है. ये एक सीरियस बिजनेस है. कॉमेडी में हमेशा कुछ नयी चीजें लानी पड़ती हैं. जो बोल चुके हो उसे दूबारा रिपीट करने से व्यंग्य कम हो जाता है. ऐसे में रोज नयी चीजें लाना, राइटर के साथ बैठकर चर्चा करना आदि हर कोई नहीं कर सकता ये बहुत ही मुश्किल काम है.

आज के तनाव भरे माहौल में लोगों का हंसना कितना जरुरी है?

चार्ली चैपलिन ने कहा था कि जिस दिन आप हंसे नहीं समझ लीजिये की आपका पूरा दिन खराब हो गया. तनाव भरे माहौल में मेरी कोशिश रहती है कि लोग मुझे देखकर हंसे, क्योंकि हंसने से उनके चेहरे खिल जाते हैं. असल में मैं एक अच्छा सोशल वर्कर और एक डॉकटर का काम कर रहा हूं.

पहले हिंदी फिल्मों में कॉमेडियन की एक खास जगह हुआ करती थी, आजकल ऐसा नहीं है, ऐसे में आप अपने आप को कहां पाते हैं?

ये अच्छी बात थी कि फिल्मों में कॉमेडियन की एक खास भूमिका हुआ करती थी, अब तो हीरो भी कॉमेडियन है और देखा जाय तो कॉमेडियन हीरो भी बन रहे हैं, ऐसे में कोई समस्या अब नहीं है. अब तो एक अच्छी स्टोरी और उसे परफॉर्म करने वाला एक अच्छा कलाकार चाहिए. ऐसे में जो एक्टर अच्छा कॉमेडी कर सकता है उसे निर्देशक लेते हैं.

क्या आपकी आगे कोई फिल्म है?

मैं टीवी पर अच्छा काम कर रहा हूं. अगर कोई अच्छी फिल्म मिले तो करूंगा.

कॉमेडी में आजकल डबल मीनिंग वाले शब्द अधिक प्रयोग किये जाते हैं, इस बारें में आपकी राय क्या है?

‘डबल मीनिंग’ कॉमेडी की अगर दूसरे अर्थ को कोई बड़ा व्यक्ति ही समझे, उसे बुरा नहीं मानता, लेकिन अगर कोई डायरेक्ट कॉमेडी करे, उसे मैं पसंद नहीं करता और खुद करता भी नहीं. जाने अनजाने में अगर कभी कुछ कह भी लिया तो माफी भी मांग लेते हैं और एडिट भी करवा देते हैं. वैसे डबल मीनिंग कॉमेडी के भी दर्शक है और उसे वे देखते हैं.

कॉमेडी करते वक्त किसी को बुरा लगा हो, क्या ऐसा कभी आपके साथ हुआ?

इस बात का ध्यान रखते हैं कि किसी को बुरा न लगे, क्योंकि किसी ने भी बड़ी मेहनत से अपना मुकाम पाया है, इसलिए कोई ‘हर्ट’ न हो इसका ख्याल रखता हूं.

क्या कुछ सपने हैं?

मैं अपनी लाइफ में एक सीरियस फिल्म करना चाहता हूं. मैंने लोगों का बहुत मनोरंजन किया है, आने वाले समय में मुझे एक ऐसी फिल्म करने की इच्छा है जिसे देखकर दर्शक दंग रह जाय कि इस कलाकार ने मुझे जितना हंसाया है, उतना आज रुला भी दिया.

आप अपने तनाव को कैसे दूर करते हैं?

मैं तनाव नहीं लेता. दोस्तों में चले जाते हैं, जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं. उसे शांति से हैंडल करना चाहिए, क्योंकि जैसे बुरा वक्त आता है वैसे ही अच्छा वक्त भी आता है.

आपके यहां तक पहुंचने में परिवार का सहयोग कितना रहा?

परिवार का बहुत सहयोग रहा. खासकर मेरे पिता ने हमेशा साथ दिया. वैसे तो मेरी पूरी फैमिली फिल्म्स में है इसलिए बचपन से ही फिल्मी माहौल मिला. गोविंदा से मैंने बहुत कुछ सीखा है. बचपन में मैं उनके साथ शूटिंग पर जाता था. उनकी मेहनत और एक्टिंग को देखता था. आज सभी खुश हैं कि मैंने अपने बलबूते पर यहां तक पहुंच पाया हूं.

समय मिले तो क्या करते हैं?

खाना बनाता हूं. मुझे खाना बनाना बहुत पसंद है. एक्टर न होता तो शेफ होता. मुगलाई खाना, वेजिटेबल खाना, बिरयानी आदि सब बना लेता हूं.

खुश रहने का मंत्र क्या है?

दुःख को पास न आने दें. तनाव को आने न दें. मेहनत करें तो फल अवश्य मिलेगा.

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