Festive Vibes; त्योहार खुशियों की ऐसा सौगात हैं जहां हर ओर उमंग और उल्लास होता है और परिवार के हर सदस्य में जोश और उत्साह होता है. सभी इन दिनों खूब ऐंजौय करते हैं. ये त्योहार पूरे परिवार को एकसाथ इकट्ठा कर देते हैं. तभी घर में रौनक दिखाई देती है.

त्योहार के समय घर का माहौल ऐसा खुशनुमा रखना चाहिए जिस से हरकोई आप के घर में आना पसंद करे और आप की कंपनी को पसंद करे. लेकिन इस के विपरीत कुछ परिवारों में ऐसा नहीं होता. वहां लोग फैस्टिवल ऐंजौय नहीं कर पाते हैं क्योंकि वहां लोगों को हर चीज परफैक्ट चाहिए. अगर किसी भी चीज में कोई कमी रह जाए जैसेकि पूजा में कोई कमी रह गई, खाने में कोई कमी रह गई, किसी दूसरी चीज में कमी रह गई तो इस की वजह से मियाबीवी में झगड़ा हो जाता है.

घर का पूरा माहौल खराब हो जाता है. बच्चों का मूड भी खराब हो जाता है. ऐसा क्यों करना. त्योहार आप को खुश करने के लिए आते हैं आप की परफैक्शन का टैस्ट लेने नहीं आते जिस में आप को पास होना जरूरी हो. अगर कोई कमी रह गई और आप फेल भी हो गए तो क्या हुआ. कुछ कमी के साथ ही फैस्टिवल ऐंजौय कर लें. आखिर त्योहार का मकसद तो पूरे परिवार के साथ ऐंजौय करना है.

जब पति या पत्नी की कोई सहेली या दोस्त आ जाए तो मुंह न फुलाएं

जब पति या पत्नी की कोई सहेली या दोस्त आ जाए और वह ज्यादा हावी होने लगे तो ऐसे में बीवी को जो गुस्सा आने लगता है वह बेकार का है क्योंकि आप तो अपने घर की रोज ही मालकिन हैं. अगर एक दिन किसी आने वाले ने कोई सलाह दे दी या फिर अपनी बात मनवा ली तो क्या हुआ. कल का दिन तो आप का है. आप अपने हिसाब से करेंगी इसलिए एक दिन आप ही एडजस्ट कर लें.

ऐसा भो हो सकता है पति ने अपने भाईभाभी या बहनजीजा को बुला लिया. अब वह पत्नी पर कम ध्यान दे रहा है और जीजा और बहन का ध्यान रख रहा है. ऐसे में पत्नी का मुंह फूल गया. यह गलत है. अगर पति की उस जीजा से बहुत पटती थी और वे बैंगलुरु शिफ्ट हो गए और अब बहुत सालों बाद मिलना हुआ तो ऐसे में पति उन्हें घुमा रहा है. बीवी को कम तवज्जो दे रहा है तो बीवी चिढ़ कर कहती है मेरे मायके में मेरी बहन के यहां चलो. बिना बात का झगड़ा कर लेती है. यह गलत है. अगर त्योहार पर कोई मेहमान आया हो फिर चाहे वह आप के मायके से हो या ससुराल से उसे पूरी तवज्जो और प्यार दें. पति को भी ऐसा करने से न रोकें. वे आप के साथ खुशीखुशी त्योहार मानाने के लिए आए हैं आप का फूला हुआ मुंह देखने के लिए नहीं आए हैं.

त्योहार पर शौपिंग नहीं कराई तो इस पर हंगामा न करें

कई बार पतिपत्नी में इस बात पर भी झगड़ा हो जाता है कि मेरी सब फ्रैंड्स इतना कुछ ले कर आए हैं. वे सभी नए कपड़े लाए हैं तो मैं ही पुराने क्यों पहनूं. त्योहार पर सभी का शौपिंग करने का मन करता है. लेकिन अपनी सहेलियों से तुलना करना भी सही नहीं है. सब की परिस्थितियां अलगअलग होती हैं. हो सकता है इस बार घर में पेंट आदि कराने में पति का ज्यादा खर्चा हो गया हो या फिर औफिस में बोनस न मिला हो अथवा वे सेविंग करना चाह रहे हों तो यह इतनी बड़ी बात नहीं है कि आप पूरा त्योहार लड़लड़ कर खराब कर दें.

आप चाहें तो अपने पुराने कपड़ों को भी मिक्स मैच कर के नया बना सकती हैं. 2 साडि़यों को मिक्स कर के लहंगा स्टाइल में पहन सकती हैं. वह बिलकुल नई जैसी ही लगेगी. अगर आप चाहें तो थोड़ा सोच कर इस समस्या का हल निकाल सकती हैं वरना तो लड़ कर सब का त्योहार खराब करना तो सब से आसान हल है ही.

दूसरा, झगड़ा इस बात पर भी होता है तुम ने मुझे अच्छे कपड़े नहीं दिलाएं, आप ने मुझे सुबह से शाम तक किचन में धकेल दिया, जबकि मैं कह रही थी कि बाहर से खाना मांगा लें. कैटरिंग करा लें, मैं पूरा टाइम किचन में लगी रहूं और लास्ट में कपडे़ बदल कर मग धो कर आऊं यह तो कोई बात नहीं है न. मैं भी दिनभर की थकी हुई हूं.

पूजापाठ में कमी रह गई तो जिंदगी थोड़े ही न रुक जाएगी. अलबत्ता पंडितों की किचन में माल भरना जरूर कम रह जाएगा, उन को दानदक्षिणा कुछ कम मिलेगी, उन की झोली कम भरेगी पर इस से आप की सेहत पर क्या असर पड़ता है आप लड़लड़ कर क्यों हलकान हुए जा रहे हैं.

पूजा करने में देर हो गई और मुहूर्त निकल गया तो सो व्हाट

अगर त्योहार मनाते समय पूजा करने में देर हो गई और मुहूर्त निकल गया तो कौन सी मुसीबत आ गई? आप की खुशियों का मुहूर्त तो नहीं निकला न? वह तो आप पर ही डिपैंड करता है न कि आप को खुशियां ज्यादा प्यारी हैं या मुहूर्त. यह पूजा भी तो आप के परिवार की खुशियों के लिए ही है न और अगर इस पूजा को ढंग से न कर पाने की वजह से परिवार में तनाव होता है या आप एकदूसरे से लड़ने लगते हैं तो ऐसी पूजा की जरूरत ही क्या है? यह पूजा तो आप में लड़ाई करा रही है इसलिए पूजा के लिए भोग बनाना भूल गए या पंडितजी के कपडे लाना भूल गए या फिर पूजा पूरे विधिविधान से नहीं की तो कोई फर्क नहीं पड़ता. ये नियमकायदे तभी तक अच्छे हैं जब तक आप खुश हैं लेकिन अगर ये घर की शांति भंग कर रहे हैं तो इन का कोई मतलब नहीं है.

खाने में पकवान नहीं बने तो नाराज न हों

अगर इस बार बीवी या मां ने घर में मिठाई नहीं बनाई तो क्या हुआ? यह इतनी बड़ी बात तो नहीं है. हो सकता है उन की तबीयत ठीक न हो या फिर उन्हें बाकी काम करते रहने की वजह से समय न मिला हो अथवा यह भी हो सकता है उन का बनाने का मन ही न हो. अगर ऐसा है भी तो क्या हुआ. इस बार आप मिठाई ही क्यों सब लोग डिनर भी साथ में बाहर ही कर आएं और एक दिन अपने साथी को भी घर की किचन से मुक्ति. वह भी बिना थकन के पूरे मन से फैस्टिवल ऐंजौय कर सके.

आखिर त्योहार उन के भी ऐंजौय करने के लिए है. यह त्योहार घर की महिलाओं को केवल किचन में लगाने और थकाने के लिए ही तो नहीं है. इसलिए एक दिन उन्हें भी किचन से छुट्टी दें या फिर वे जो वे बना रही हैं, उसे खुशीखुशी खा लें. मीनमेख न निकालें.

फैस्टिवल ऐंजौय करने के लिए आप की परफैक्शन का टैस्ट लेने के लिए नहीं

कई लोगों की आदत होती है कि उन्हें हर चीज परफैक्ट चाहिए. घर में साफसफाई करतेकरते भी कोई चीज छूट जाए तो वे इतना सुनाते हैं कि पूरे किएकराए पर पानी फेर देते हैं. हर चीज को ऐसे बारीकी से देखते हैं जैसे उन्हें स्पैशल इंस्पैक्शन औफिसर बना कर भेजा गया हो. इस बात पर जरा गौर फरमाएं कि आप की इस सनक की वजह से पूरे परिवार का मूड औफ हो जाता है और त्योहार का उत्साह भी खत्म हो जाता है. इसलिए प्लीज अपना यह परफैक्शन का कीड़ा त्योहार के लिए दबा दीजिए और जो जैसा है वैसे ही साथ मिल कर खूब ऐंजौय करें और खुशियां मनाएं.

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