Fire Safety: त्योहारों का मौसम आते ही हर घर में खुशियों की लहर दौड़ जाती है. रोशनी, सजावट, स्वादिष्ठ पकवान और पटाखों के साथ जश्न का माहौल बनता है. लेकिन इन खुशी के पलों में छोटी सी चूक बड़े हादसे का कारण बन सकती है. हर साल दीवाली, क्रिसमस, नववर्ष और अन्य त्योहारों के दौरान देशभर में आग लगने की अनेक घटनाएं सामने आती हैं, जिन का सब से बड़ा कारण जागरूकता की कमी होती है.

इसलिए यह अब बेसिक नीड हो गई है कि हर घर, हर सोसायटी और हर व्यक्ति को फायर सैफ्टी की जानकारी हो. बेसिक नौलेज से  मतलब फायर ऐक्सटिंग्विशर का बस नाम ही न पता हो बल्कि उस का इस्तेमाल करना भी आना चाहिए. अगर आग काबू से बाहर चली जाए तो इवैक्यूएशन के नियम सब को पता हों.

हर उम्र के लिए जरूरी है फायर सैफ्टी की ट्रैनिंग

फायर सैफ्टी सिर्फ औफिस या फैक्टरी की बात नहीं है. अगर घर में 6 साल का बच्चा है या 80 साल के बुजुर्ग, हर किसी को फायर से जुड़ी बेसिक बातें पता होनी चाहिए. जैसे कि बच्चों को सिखाएं कि दीए या मोमबत्तियों से दूर रहें और पटाखे केवल बड़ों की निगरानी में जलाएं.

बुजुर्गों को बताएं कि अगर घर में आग लगे तो क्या करें, किस तरह जल्दी बाहर निकलें और क्या साथ ले कर जाएं. टीनऐजर्स व युवाओं को फायर ऐक्सटिंग्विशर का उपयोग करना सिखाएं.

फैस्टिव सीजन में बढ़ते हैं आग लगने के मामले

दीयों और मोमबत्तियों की अधिकता :  कागज, परदों और प्लास्टिक की सजावट के पास रखे दीए हादसे की वजह बन सकते हैं. इसलिए सजावट के वक्त यह खास ध्यान रखें कि जो वस्तु जल्दी आग पकड़ सकती है उस के पास इलैक्ट्रिक दीए लगाएं या मार्केट में उपलब्ध पानी वाले दीए लगाएं. आप चाहें तो फेयरी लाइट से भी डैकोर कर सकते हैं.

पटाखों की लापरवाही : बिना सैफ्टी पटाखे जलाना, सूखे पत्तों या कपड़ों के पास पटाखे चलाना आग लगने की बड़ी वजह बनता है. पटाखे एक निश्चित जगह पर ही जलाएं और ध्यान रखें कि पटाखे जलाते समय आप ने ज्यादा ज्वलनशील कपड़े जैसे सिल्क न पहना हो. ज्यादा लूज कपड़े जैसे साड़ी या दुप्पटा पहन कर भी आप पटाखों के संपर्क में न आएं. कौटन पहनें और सैफ्टी का ध्यान रखें.

ओवरलोडेड इलैक्ट्रिक डैकोरेशन : एक ही सौकेट में कई लाइट्स लगाना शौर्ट सर्किट का कारण बनता है.

किचन की लापरवाही :  पकवान बनाते समय तेल का अधिक गरम होना और असावधानी से आग पकड़ लेना, यह अकसर घरों में देखा जाता है. कई बार तेल बच्चों और बड़ों पर गिर भी जाता है. ऐसे में कोशिश करें कि किचन का काम ध्यान से करें और गरम तेल के काम के वक्त बच्चों को भी निगरानी में रखें.

हर घर में जरूर होने चाहिए ये फायर सैफ्टी इक्विपमैंट्स

लोग फैस्टिव सीजन में कपड़ों, मिठाइयां, डैकोर और पटाखों की शौपिंग लिस्ट में कोई कटौती नहीं करते. इस लिस्ट में फायर सैफ्टी से जुड़े कुछ उपकरण जरूर होने चाहिए, बल्कि फैस्टिवल शौपिंग से पहले इन्हें खरीदें, भले ही आप को डैकोर, पटाखों या कपड़ों में कुछ कमी क्यों न करनी पड़ जाए.

  • फायर ऐक्सटिंग्विशर (Fire Extinguisher) : आग पर शुरुआती चरण में ही काबू पाने के लिए यह जरूरी है. हालांकि यह भी कई तरह के होते हैं :
  • ड्राई पाउडर (ABC टाइप) : फायर ऐक्सटिंग्विशर, जो घरों और औफिसों के लिए सब से बेहतर माने जाते हैं, लकड़ी, कागज, कपड़ा, गैस और इलैक्ट्रिक उपकरणों से लगी आग के लिए असरदार होते हैं.
  • CO₂ (कार्बन डाइऔक्साइड) फायर ऐक्सटिंग्विशर : खासतौर पर इलैक्ट्रिक आग के लिए उपयुक्त है, क्योंकि यह बिना कोई अवशेष छोड़े आग को बुझा देता है और इलेक्ट्रौनिक उपकरणों को नुकसान नहीं पहुंचाता.
  • फायर ब्लैंकेट : किचन या व्यक्ति के कपड़ों में आग लगने पर तुरंत उसे कवर करने के लिए. इस से कपड़ों पर लगी आग जल्दी बुझ जाती है.
  • हैंड ग्लव्स और मास्क : काबू से बाहर अगर आग निकल जाए तो उस स्थिति में सुरक्षित बाहर निकलने के लिए यह जरूरी है. यह आग के दौरान धुएं और जहरीली गैसों से बचने और सुरक्षित बाहर निकलने में काम आता है.
  • टौर्च और इमरजैंसी लाइट : बिजली बंद हो जाने की स्थिति में बाहर निकलने के लिए के लिए जरूरी है.

हर घर में कम से कम एक फायर ऐक्सटिंग्विशर जरूर होना चाहिए, खासकर रसोई, इलैक्ट्रिक मीटर के पास. साथ ही, परिवार के सभी सदस्यों को इस का उपयोग करना भी आना चाहिए. इस का वजन अधिक नहीं होता और इसे आसानी से दीवार पर लगाया जा सकता है. साल में 1 बार इस की सर्विसिंग कराना न भूलें ताकि इमरजैंसी के वक्त यह पूरी तरह काम करे.

जरूरी है प्री फैस्टिवल फायर सैफ्टी ड्रिल

फैस्टिवल शुरू होने से पहले परिवार या सोसायटी में कम से कम एक बार फायर सैफ्टी सेशन जरूर करें. इस में सिखाएं :

  • फायर अलार्म कैसे बजाएं?
  • आग लगने पर सब से पहले क्या करें?
  • बच्चों और बुजुर्गों को कैसे सुरक्षित निकालें?
  • कौन किस दिशा से बाहर निकलना है? यदि आप की सोसायटी यह सेशन आयोजित नहीं करती, तो खुद परिवार के स्तर पर यह पहल करें.

पानी की बाल्टी नहीं है आग का इलाज

आग लगने पर सब के दिमाग में सब से पहले आता है कि पानी की बाल्टी लो आग पर उड़ेल दो. लेकिन यह तरीका बिलकुल ठीक नहीं है. जानकारी के अभाव में लोग शौर्ट सर्किट से लगी आग पर घबराहट में पानी डाल देते हैं लेकिन यह खतरनाक हो सकता है. इलैक्ट्रिक आग पर पानी डालने से करंट लगने का खतरा होता है और आग और ज्यादा फैल सकती है. ऐसे मामलों में सब से पहले बिजली का मेन स्विच बंद करें और CO₂ आधारित फायर ऐक्सटिंग्विशर का इस्तेमाल करें.

इसी तरह, किचन में जब तेल अत्यधिक गरम हो कर आग पकड़ लेता है, तो कई बार हम घबरा कर उस में पानी डाल देते हैं. यह सब से बड़ी गलती होती है, क्योंकि पानी से तेल की आग और ज्यादा भड़क जाती है और छींटों से जलने का खतरा होता है. ऐसी स्थिति में गैस बंद करें और आग को फायर ब्लैंकेट या किसी मैटल के ढक्कन से ढंक दें. मैटल के ढक्कन से ढंकने से जब औक्सीजन सप्लाई कटौफ होगी तो तेल पर लगी आग खुदबखुद बंद हो जाएगी.

आग अगर कंट्रोल से बाहर है तो तुरंत जगह को खाली करना ही सही होता है. जरूरी है कि भागते समय नाक और मुंह को गीले कपड़े से ढंकें ताकि धुएं से दम घुटने का खतरा कम हो. धुएं में कार्बन मोनोऔक्साइड और अन्य जहरीली गैसें होती हैं, जो सांस के जरीए शरीर में जा कर जानलेवा साबित हो सकती हैं.

पटाखों से जुड़े सावधानियां

  • खुले इलाके में ही जलाएं, जलाने के बाद तुरंत पीछे हटें.
  • सूती व टाइट कपड़े पहनें. लूज और नायलोन के कपड़े आग पकड़ सकते हैं.
  • पानी की बाल्टी और बाल्टी में रेत पास में रखें.
  • पटाखे जलाते समय बच्चों पर नजर रखें, माचिस या लाइटर उन के हाथ न दें.

अगर आग लग ही जाए, तो क्या करें

  • बिजली का मेन स्विच बंद करें.
  • CO₂ या ड्राई पाउडर ऐक्सटिंग्विशर का उपयोग करें.
  • अगर किचन में तेल में आग लगी है तो पानी न डालें, फायर ब्लैंकेट या धातु का ढक्कन रखें.
  • धुएं से बचने के लिए नाकमुंह को गीले कपड़े से ढंकें.
  • बिल्डिंग में लिफ्ट का प्रयोग न करें, सीढ़ियों से निकलें.
  • 112 या फायर ब्रिगेड को तुरंत कौल करें.
  • जरूरत पड़ने पर प्राथमिक उपचार (First Aid) दें, जैसे जली त्वचा पर ठंडा पानी डालें, पर बर्फ या टूथपेस्ट नहीं लगाएं.

बच्चों को फायर सैफ्टी कैसे सिखाएं

  • बच्चों को ‘स्टौप, ड्रौप ऐंड रोल’ तकनीक सिखाएं.
  • अगर कपड़ों में आग लग जाए तो दौड़ें नहीं, वहीं रुकें, जमीन पर लेट कर रोल करें.
  • उन्हें खेलखेल में सिखाएं कि जब धुआं दिखे तो जमीन के नजदीक झुक कर चलें. आग के बारे में आप को हफ्ते में कई बार बच्चों से बात करनी चाहिए और खेलखेल में कैसे रोल करना है, कैसे घर से बाहर जाना है सिखाएं.
  • स्मोक अलार्म की आवाज पहचानना सिखाएं.
  • सोसायटी स्तर पर क्या करना चाहिए
  • फैस्टिवल से 1 हफ्ते पहले ‘फायर सैफ्टी अवेयरनैस वर्कशौप’ आयोजित करना अनिवार्य कर देना चाहिए.
  • सभी टावरों में फायर ऐक्सटिंग्विशर, बाल्टी, रेत की व्यवस्था हो.
  • बिल्डिंग के हर फ्लोर पर एवेक्यूएशन प्लान डिस्प्ले करें.
  • बच्चों के लिए अलग से डैमो सेशन रखें.

त्योहार का असली आनंद तभी है जब वह सुरक्षित हो. रोशनी, सजावट और पकवानों के बीच अगर थोड़ी सी सजगता बरती जाए, तो न केवल हादसे टाले जा सकते हैं बल्कि दूसरों को भी जागरूक किया जा सकता है.

हर घर, हर व्यक्ति और हर बच्चे को अगर फायर सैफ्टी की जानकारी हो, तो न कोई जान जाएगी, न त्योहार की रौनक फीकी पड़ेगी.

अब अगर फायर सैफ्टी पर चर्चा हो तो हमारा कर्तव्य बनता है कि घरों में आग लगने से मरने वाली महिलाओं के बारे में भी जरूर बात की जाए. हम यहां महिलाओं पर फोकस इसलिए कर रहे हैं क्योंकि एनसीआरबी की रिपोर्ट की ही मानें तो हर साल घरेलू आग से मरने वालों की लिस्ट में 60-65% महिलाएं होती हैं. हर साल औसतन आग से मरने वालों में 15,000 से ज्यादा महिलाएं और करीब 7,000 पुरुष हैं.

अब इस का कारण जो भी हो, भले ही हादसा हो या साजिश लेकिन महिलाओं की मौत का यह नंबर चिंताजनक है. द लांसेट की मानें तो गुप्त घरेलू हिंसा या आत्मदाह जैसी स्थितियों में आग लगने की घटनाएं ‘दुर्घटना’ कह कर दर्ज की जाती हैं, जिस से आंकड़े और भी कम दिखते हैं.

एक और न्यूज एजेंसी के अनुसार, 15–34 वर्ष की उम्र की महिलाएं पुरुषों के मुकाबले आग से मरने की लगभग 3 गुना अधिक संभावना रखती हैं. ऐसे में जरूरी है कि सभी को फायर सैफ्टी के बारे में पता हो ताकि ऐसी घटनाओं पर भी जल्द काबू पाया जा सके और जान बचाई जा सके.

लोग जल रहे व्यक्ति पर पानी डाल कर या कंबल डाल कर बचाने की कोशिश करते हैं जिस से उन की यह कोशिश कुछ हद तक तो काम करती है लेकिन इस से बहुत से मामलों में लोगों को बचाया नहीं जा सका है. सही उपकरणों के इस्तेमाल से ही आग पर जल्दी काबू पाया जा सकता है. Fire Safety

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