अबौर्शन कराने का निर्णय कठोर और साहसिक निर्णय होता है. कुछ महिलाएं विवाह से पहले अनचाहे गर्भ से, तो कुछ विवाह बाद के अनप्लान्ड गर्भ से छुटकारा पाने के लिए अबौर्शन कराती हैं. कई महिलाओं को बच्चे की चाह रखने के बावजूद चिकित्सकीय या सामाजिक दबाव के कारण यह निर्णय लेना पड़ता है. अबौर्शन में कई शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरना पड़ता है. अबौर्शन सर्जरी या दवाईयों के द्वारा किया जाता है.

ये शारीरिक लक्षण चिंता का कारण

वैसे तो अधिकतर अबौर्शन सुरक्षित होते हैं, लेकिन फिर भी दूसरे सर्जिकल प्रोसैस की तरह इस में कई जटिलताएं और जोखिम होते हैं. अबौर्शन के बाद ये शारीरिक लक्षण चिंता का कारण हो सकते हैं:

- 48 घंटे से अधिक समय तक 100 डिग्री से अधिक बुखार रहना.

- अत्यधिक ब्लीडिंग.

- वैजाइना से रक्त के बड़ेबड़े थक्के निकलना.

- अबौर्शन के 4-5 दिन बाद तक ब्लीडिंगजारी रहना.

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- पेट में मरोड़ और अत्यधिक दर्द होना.

- वैजाइना से ऊतकों का डिसचार्ज होना.

- वैजाइना से निकलने वाले डिसचार्ज सेदुर्गंध आना.

- मूत्र और मल त्याग की आदत में बदलाव आना.

- पेशाब और मल में रक्त आना.

- चक्कर आना, बेहोशी छाना.

- कमजोरी महसूस होना.

- अवसादग्रस्त अनुभव करना.

- भूख न लगना.

- सोने में समस्या आना.

अबौर्शन कराने के बाद प्रैगनैंसी हारमोन भी शरीर में रहते हैं यानी अबौर्शन के बाद शरीर और हारमोन सिस्टम को सामान्य अवस्था में आने में 1 से 6 हफ्ते लग सकते हैं. आमतौर पर अबौर्शन सुरक्षित होता है. 100 में से 1 महिला मेंही गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं. अबौर्शन के बाद के ये समस्याएं हो सकती हैं:

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