महिलाओं की शारीरिक रचना इस तरह की होती है कि मासिकस्राव, गर्भावस्था एवं प्रसव में बहुत अधिक रक्त उन के शरीर से बाहर निकल जाता है. ये सारी स्थितियां उन्हें एनीमिया का शिकार बना देती हैं. एनीमिया किसी भी आयुवर्ग एवं शारीरिक बनावट की महिला को हो सकता है. लेकिन इस का पता सिर्फ रक्त की जांच से ही चल सकता है.

क्या है  एनीमिया

हमारे शरीर के सैल्स को जिंदा रहने के लिए औक्सीजन की जरूरत होती है. शरीर के अलगअलग हिस्सों में औक्सीजन रैड ब्लड सैल्स में मौजूद हीमोग्लोबिन पहुंचाता है. आयरन की कमी और दूसरी वजहों से रैड ब्लड सैल्स और हीमोग्लोबिन की मात्रा जब शरीर में कम हो जाती है, तो उस स्थिति को  एनीमिया कहते हैं.

आरबीसी और हीमोग्लोबिन की कमी से सैल्स को औक्सीजन नहीं मिल पाती. कार्बोहाइड्रेट और फैट को जला कर ऐनर्जी पैदा करने के लिए औक्सीजन जरूरी है. औक्सीजन की कमी से हमारे शरीर और दिमाग की काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है.

 एनीमिया के प्रकार

माइल्ड: अगर बौडी में हीमोग्लोबिन 10 से 11 जी/डीएल के आसपास हो तो उसे माइल्ड  एनीमिया कहते हैं. इस में हैल्दी और बैलेंस्ड डाइट खाने की सलाह के अलावा आयरन सप्लिमैंट्स दिए जाते हैं.

मौडरेट: अगर हीमोग्लोबिन 8 से 9 जी/डीएल से कम हो तो सीवियर  एनीमिया कहलाता है, जो एक गंभीर स्थिति होती है. इस में मरीज की हालत को देखते हुए ब्लड भी चढ़ाना पड़ सकता है.

सीवियर: अगर हीमोग्लोबिन 8 जी/डीएल से कम हो तो सीवियर  एनीमिया कहलाता है, जो एक गंभीर स्थिति होती है. इस में भी मरीज की हालत की गंभीरता को देखते हुए ब्लड भी चढ़ाना पड़ सकता है.

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