सारा विश्व कोविड 19 की चपेट में है और ऐसे में वर्ल्ड के सारे वैज्ञानिक तरह-तरह के रिसर्च कर रहे है और ये पता लगाने की कोशिश कर रहे है कि ये बीमारी है क्या? हालांकि इस बीमारी की न तो कोई दवा है और न ही कोई इलाज, ऐसे में इस रोग से पीड़ित अधिकतर व्यक्ति अपनी जान गवा रहे है या इससे ठीक होने के बाद दूसरी कई बिमारियों के शिकार हो रहे है. इसकी वैक्सीन पर भी लगातार शोध हो रहा है और कई देश अपने नागरिकों को वैक्सीन लगा भी रहे है, लेकिन इससे कितना फायदा उन्हें होगा, इसे अभी बताना संभव नहीं. 

कोविड 19 पेंडेमिक के बारें में लन्दन में हुए एक नई रिसर्च से ये पता चला है कि कुछ ब्लड ग्रुप इस बीमारी की गंभीरता को बढाती है. O ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को SARS-Co-V-2 वायरस जो कोविड 19 के इन्फेक्शन में पाया जाता है. इससे संक्रमित होने पर बीमारी की गंभीरता कम होती है. जर्नल में प्रकाशित शोध ने यह भी बताया है कि ब्लड टाइप का कोविड 19 के इन्फेक्शन पर गहरा असर देखा गया है. 

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पहली स्टडी में रिसर्चर्स ने 473,000 कोविड 19 पॉजिटिव टेस्टेड व्यक्तियों और 2.2 मिलियन आम जनसँख्या से व्यक्तियों के डेटा लेकर उन सभी के ब्लड टाइप की तुलना की और पाया कि उसमें O ब्लड टाइप के लोग A,B और AB की तुलना में कोविड 19 से काफी कम पीड़ित थे. इस स्टडी से पता चलता है कि A,B और AB ब्लड टाइप के व्यक्ति का कोविड 19 से इन्फेक्शन होने का खतरा O ब्लड टाइप से अधिक होता है, पर रिसर्चर्स इस बारें में कोई महत्वपूर्ण जानकारी नहीं जुटा पाए कि आखिर A,B और AB ब्लड में इन्फेक्शन अधिक होने की वजह क्या है. ये भी सही है कि ये रिसर्च मनुष्यों के ग्रुप और अलग-अलग देशों में अलग हो सकता है, जिसे और अधिक डेटा के साथ अध्ययन करने की जरुरत है. 

इस बारें में पुणे के बी जे मेडिकल कॉलेज, क्लिनिकल ट्रायल यूनिट वाईरोलोजिस्ट प्रसाद देशपांडे का कहना है कि साल 2020 में पहली शोध कोविड 19 के बारें में चीन ने किया है और बताया है कि O ब्लड टाइप से A,B और AB ब्लड टाइप वाले व्यक्ति को कोविड 19 का रिस्क अधिक रहता है. इसके बाद ये शोध हार्वर्ड और न्यूयार्क में भी हुआ और उन सभी ने पाया कि ये बहुत हद तक सही है. 

असल में ये स्टडी कोविड 19 के उग्रता को बताती है, लेकिन O ब्लड टाइप को कोरोना संक्रमण नहीं होगा, ऐसी बात नहीं है. उन्हें भी संक्रमण हो सकता है. A, B और AB ब्लड टाइप को सीरियस होने का खतरा अधिक रहता है, वे वेंटिलेटर पर अधिकतर जाते है. इसके अलावा जो लोग किसी अन्य बीमारी जैसे मधुमेह, हार्ट की बीमारी, कैंसर आदि से पीड़ित है, उन्हें भी कोविड 19 का खतरा अधिक होता है. उन लोगों को अधिकतर आई सी यू में रखना पड़ता है. ये बीमारी नई है, इसका किस ब्लड टाइप से क्या सम्बन्ध है, उसे पता लगाया जा रहा है. ऐसा देखा गया है कि बच्चे के जन्म के बाद भी अगर माँ हेपेटाइटिस A या B से निगेटिव होती है. बच्चा A,B या AB ब्लड ग्रुप का है और उसको हेपेटाइटिस A या B हुआ है, तो उसकी सिवियरिटी, O ब्लड टाइप के बच्चे से अधिक देखी गई. इतना ही नहीं इन ब्लड ग्रुप को O की तुलना में स्ट्रोक की भी अधिक संभावना होती है. कोविड 19 में भी ऐसा देखा गया कि O ब्लड टाइप के मरीज बाकी ब्लड ग्रुप से कम सिवियर देखे गए है. 

ब्लड ग्रुप के बारें में अगर हम बात करे, तो हमारे रेड ब्लड सेल्स RBC कहा जाता है. उनके ऊपर जो एंटीजेन रहता है उसे A और B कहते है, जिसके ब्लड में A सेल्स है, उसका ब्लड ग्रुप A और B सेल्स वालों के B और AB सेल्स दोनों जिसके ब्लड में हो, तो AB ब्लड टाइप होता है. जिनके पास A या B दोनों नहीं है, उसे O कहा जाता है. अगर किसी का ब्लड टाइप A होता है, तो वह B को टोलरेट नहीं कर सकता. इसलिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन करते वक़्त ब्लड की जांच करनी पड़ती है, B ब्लड ग्रुप वाले A को टोलरेट नहीं कर सकते. AB वाले दोनों से ब्लड ले सकते है, जबकि O के उपर कोई एंटीजेन A,B नहीं है, इसलिए इन्हें युनिवर्सल डोनर कहा जाता है. इसके अलावा Rh सिस्टम जिसमें पॉजिटिव और निगेटिव ब्लड ग्रुप आता है, इसमें जिनके पास Rh एंटीजेन होता है, उसे Rh पॉजिटिव और जिनके पास Rh नहीं होता है, उन्हें निगेटिव ब्लड ग्रुप कहा जाता है. 

इंडिया के जनसँख्या वितरण को देखने से पता चलता है कि पॉजिटिव ब्लड ग्रुप सबसे अधिक लोगों में होता है, जिसमें O ब्लड टाइप सबसे कॉमन होता है, इसके बाद A, बाद में B ब्लड ग्रुप और सबसे कम AB आता है. हर देश के ब्लड टाइप अलग-अलग होता है, लेकिन पॉजिटिव ब्लड ग्रुप सभी देशों में निगेटिव से अधिक है. ब्लड के ग्रुप का निर्धारित होना अनुवांशिकी होता है. ऐसा देखा गया है कि नोवार्क वायरस जिससे डायरिया होता है, उसके इन्फेक्शन होने पर रिएक्शन करने का तरीका अधिक सिवियर A, B और AB में, O की तुलना में अधिक होता है. इसके अलावा, कई प्रकार के कैंसर, स्ट्रोक आदि की संभावना भी इन ब्लड ग्रुप में अधिक होती है. 

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इसके आगे वाईरोलोजिस्ट प्रसाद कहते है कि ब्लड ग्रुप पर शोध काफी पहले से की जा चुकी है. अभी इसमें कोविड 19 के डेटा को जोड़कर रिसर्च किया जा रहा है. इसके अलावा नॉन O ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को विनोस थ्रोम्बोएम्बोलिज्म, टाइप 2 डायबिटीज, मायोकार्डियल इन्फेक्शन, संक्रमण वाले रोग जैसे मलेरिया, हेपेटाइटिस B, नोर्वाक वायरस आदि से अधिक रिस्क होता है. कोविड 19 के लिए भी O ब्लड ग्रुप को ये नहीं समझना चाहिए कि उन्हें कोरोना संक्रमण नहीं हो सकता. सिर्फ सीरियस होने की संभावना बाकी मरीजों से कम हो सकती है. स्टडी की वेलिडेशन के लिए और अधिक रिसर्च होने की आवश्यकता है. अभी फ़िलहाल निर्देश के अनुसार सभी को कोविड 19 से सावधानी बरतने की जरुरत है. 

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