आज की तारीख की दुनिया में और ठीक एक महीने पहले की दुनिया में जमीन आसमान का फर्क देखा जा सकता है. आज दुनिया में करीब दो अरब लोग घरों में कैद हैं. एक महीने पहले ऐसे दृश्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. यह सोचा भी नहीं जा सकता था कि आसमान में हर पल चमकती हवाई जहाजों की बत्तियां कभी पूरी तरह से बुझ भी सकती हैं. आज धरती का दो तिहाई आसमान हवाई जहाजों से मुक्त है. इटली से लेकर अमरीका तक और सिंगापुर से लेकर रूस तक करोड़ों करोड़ लोग घरों के अंदर हैं. किसी को कहीं जाने की जल्दी नहीं है. पक्षी बेफिक्र हैं, जंगल में तमाम जानवर, समुद्र में मछलियां और झीलों व तालाबों में बत्तखें आजाद हैं. चैन की सांसें ले रही हैं. क्योंकि इंसान घरों में कैद है.

कोरोना वायरस के खौफ ने दुनिया की सारी व्यवस्था को, उसके सारे नियम कानून को उलट-पलट कर दिया है. इस सबका लोगों की सोच पर भी आज एक साफ असर देखा जा सकता है. कोरोना के डर ने इंसान को झकझोर कर रख दिया है और मजबूर कर दिया है कि वो अपने किये पर फिर से सोचे. अपनी लाइफस्टाइल पर पुनर्विचार करे. जीवन की जरूरतों की लिस्ट नये सिरे से बनाए. जीवन की अपनी समझ को दुरुस्त करे. एक रिपोर्टर ने तस्वीर खींची है कि तेलअवीव एयरपोर्ट में चिड़ियों का एक झुंड अपने चूजों के साथ घूम रहा है. सिंगापुर में उदबिलाव पानी से निकलकर गलियों तक विचरण कर रहे हैं. जबकि इंसान घरों में कैद है. अपार्टमेंट की बालकनियों से एक दूसरे को हाथ हिलाकर इशारे कर रहा है. समय और फुर्सत होने के बावजूद लोग एक दूसरे के पास नहीं आ रहे हैं. घरों में होकर भी लोग आपस में एक जगह बैठ नहीं रहे, एक दूसरे को छू नहीं रहे.

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