मोटापे और अधिक वजन से मधुमेह व कैंसर दोनों का खतरा रहता है. भारत में डायबिटीज यानी मधुमेह का मर्ज महामारी की तरह बढ़ रहा है. 2030 तक यह सब से बड़ा मूक हत्यारा बन सकता है. इस से भी खतरनाक बात यह है कि इस स्थिति, इस के लक्षणों और जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता की बहुत कमी है. आईडीएफ डायबिटीज एटलस 2017 के अनुसार, देश में वर्ष 2017 में 7.29 करोड़ लोगों को मधुमेह और वर्ष 2045 तक यह संख्या 13.43 करोड़ तक हो जाएगी. यह एक क्रोनिक कंडीशन है, जिस का यदि समय पर प्रबंधन व इलाज न किया जाए, तो यह कई तरह की जटिलताएं पैदा कर सकती है.

मधुमेह और कैंसर

धूम्रपान को कैंसर के लिए सब से बड़ा जोखिम कारक माना जाता है. वहीं, अनुसंधान से संकेत मिला है कि जिन लोगों को मधुमेह है या जो अधिक वजन वाले हैं, उन्हें भी कैंसर होने का खतरा बना रहता है. मधुमेह और कैंसर 2 विषम, बहुसंख्यक, गंभीर और पुरानी बीमारियां हैं जिन के बीच दोतरफा संबंध हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि कैंसर के मरीजों में शुरुआती ग्लूकोज असहिष्णुता और इंसुलिन के प्रति असंवेदनशीलता के सकेत मिलते हैं. हाइपरग्लाइसेमिया वाले लोगों में, कैंसर की कोशिकाओं को ग्लूकोज की पर्याप्त आपूर्ति होती है जो ट्यूमर को बढ़ावा दे सकती है. इस से 2 स्थितियों के बीच द्विपक्षीय संबंध होने का पता चलता है- कैंसर हाइपरग्लाइसेमिया को जन्म दे सकता है, और हाइपरग्लाइसेमिया ट्यूमर की वृद्धि को बढ़ा सकता है.

मधुमेह के साथ कैंसर होने पर डायबिटीज का नियंत्रण अधिक कठिन बन सकता है. इन स्वास्थ्य स्थितियों के बीच संबंध होने का एक संभावित कारण यह भी है कि इंसुलिन का उच्चस्तर यानी हाइपरइंसुलिनेमिया ट्यूमर के विकास को बढ़ावा दे सकता है. एक और कारण यह है कि एक गतिहीन और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली से बीएमआई में वृद्धि हो सकती है यानी मोटापा बढ़ता है. ऐसी स्थिति में मधुमेह और कुछ प्रकार के कैंसर होने का खतरा बना रहता है.

टाइप 2 डायबिटीज से निम्न प्रकार के कैंसर होने की संभावना दोगुनी हो जाती है- पेंक्रिएटिक कैंसर, लिवर कैंसर, एंडोमेट्रियल या गर्भ कैंसर. निम्न प्रकार के कैंसर का भी 20 से 50 प्रतिशत तक जोखिम रहता है- कोलोरेक्टल कैंसर, ब्लैडर कैंसर, स्तन कैंसर और रक्त कैंसर (नौन-हौजकिंस लिंफोमा).

कुछ सामान्य जोखिम कारक

टाइप 2 डायबिटीज और कैंसर के बीच कुछ सामान्य जोखिम कारक हैं, जिन्हें आगे संशोधित व गैरसंशोधित रूप से वर्गीकृत किया गया है.

संशोधित जोखिम कारक

आयु : जब आप बड़े हो जाते हैं तो टाइप 2 डायबिटीज और कैंसर दोनों का खतरा बढ़ जाता है.

लिंग : कुल मिला कर पुरुषों में कैंसर अधिक होता है. महिलाओं की तुलना में पुरुषों को डायबिटीज का जोखिम भी थोड़ा अधिक होता है.

गैरसंशोधित जोखिम कारक

अधिक वजन : शरीर का वजन अधिक होने पर टाइप 2 डायबिटीज और कुछ प्रकार के कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है.

निष्क्रियता :  शारीरिक गतिविधि अधिक होने पर टाइप 2 डायबिटीज और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा घट जाता है.

धूम्रपान :  यह कई प्रकार के कैंसर से जुड़ी हुई आदत है. अध्ययनों से पता चलता है कि टाइप 2 डायबिटीज के विकास के लिए धूम्रपान एक बड़ा जोखिम कारक है.

शराब : महिलाओं में प्रतिदिन 1 पैग से अधिक और पुरुषों में 2 पैग से अधिक शराब का सेवन होने पर मधुमेह और कैंसर दोनों का जोखिम बढ़ जाता है.

मधुमेह पीडि़त महिलाएं और कैंसर

टाइप 2 डायबिटीज वाली महिलाओं में स्तन और एंडोमेट्रियल कैंसर होना आम बात है. मधुमेह और कैंसर दोनों के लिए एक और खतरा मोटापे या अधिक वजन से है. इसलिए मधुमेह वाली महिलाओं में ग्लूकोज का प्रभावी नियंत्रण होना महत्त्वपूर्ण है. कुछ दवाएं, जैसे गर्भनिरोधक गोलियों को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि वे कुछ कैंसर जैसे गर्भाशय और ओवेरियन कैंसर के खतरे को कम करती हैं.

कैंसर का उपचार और मधुमेह नियंत्रण

कैंसर के इलाज हेतु ली जाने वाली दवाएं, जैसे ग्लूकोकोर्टिकोइड्स और कीमोथेरैपी से ब्लडशुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मुश्किल हो सकती है, खासकर भोजन के बाद. इसलिए, कीमोथेरैपी को कम करना जरूरी हो सकता है. यह भी हो सकता है कि ग्लूकोकौर्टिकोइड्स और स्टेरौयड की बड़ी खुराक के बजाय छोटी खुराकें दी जाएं. एक और समस्या यह है कि मधुमेह से ग्रस्त लोगों में उलटी होने की वजह से आहार व ग्लूकोज को कम करने वाली दवाओं के बीच एक बेमेल पैदा हो सकता है.

मधुमेह आजकल एक सामान्य कंडीशन है. इस के लक्षणों के बारे में जागरूकता की कमी और अन्य जटिलताओं के कारण इस का समय पर उपचार व प्रबंधन कठिन हो सकता है. मधुमेह के प्रबंधन के लिए पहली जरूरत यह है कि सप्ताह में 5-6 दिन रोज एक घंटा नियमित व्यायाम किया जाए. तैराकी, टैनिस, एरोबिक्स जैसा किसी भी प्रकार का व्यायाम फायदेमंद हो सकता है. बुजुर्ग रोगियों या घुटने की समस्या वाले लोग टहलने या ऊपरी शरीर का व्यायाम कर सकते हैं. मधुमेह वाले व्यक्ति के लिए निश्चित प्रकार का आहार लेना जरूरी नहीं है. डाक्टर प्रत्येक व्यक्ति की कैलोरी की जरूरत के अनुसार आहार को घटा या बढ़ा सकते हैं. हालांकि, एक स्वास्थ्य और संतुलित भोजन करने से शुगर का स्तर एकाएक बढ़ने पर काबू पाया जा सकता है. जंक फूड से बचना चाहिए और धूम्रपान नहीं करना चाहिए.

यह महत्त्वपूर्ण है कि कैंसर के उपचार के दौरान मधुमेह को नियंत्रण में रखा जाए. कैंसर और उस का उपचार शरीर के मैटाबोलिज्म में ऐसे परिवर्तन करता है जो मधुमेह के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं. इस के अलावा, डायबिटीज के कारण रक्त शर्करा का स्तर बढ़ने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जबकि उसे कैंसर से लड़ने के लिए मजबूत होना चाहिए.

 संक्रमण का जोखिम

इसी तरह, मधुमेह कैंसर के उपचार में संभावित रूप से विलंब कर सकता है या उपचार के दौरान संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकता है. चिकित्सक उम्र और आवश्यकता के अनुसार मधुमेह के लिए दवाएं निर्धारित करते हैं. 3 महीने में एक बार रक्त शर्करा का परीक्षण कराना महत्त्वपूर्ण है. जिन लोगों को मधुमेह नहीं है उन्हें हर साल एक बार पूरे शरीर की जांच करानी चाहिए. मधुमेह एक साइलैंट किलर है और केवल अच्छे प्रबंधन से ही इस की जटिलताओं से बचा जा सकता है.                   –

जिन्हें मधुमेह नहीं है उन्हें भी साल में एक बार पूरे शरीर की जांच करानी चाहिए.

जरूरी बातें

– नियमित अंतराल पर परीक्षण करवाएं. जैसे कि पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के लिए और महिलाओं में नियमित पैप स्मीयर के लिए.

– सप्ताह में कम से कम 5 दिनों के लिए नियमितरूप से शारीरिक गतिविधि में हिस्सा लें और स्वस्थ आहार लें, ताकि रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रण में रहे.

– वजन को काबू में रखें और बीएमआई को उचित स्तर पर रखें. ऐसा इसलिए क्योंकि अधिक वजन और मोटापे से मधुमेह व कैंसर दोनों का खतरा रहता है.

– समय पर टीकाकरण करवाएं, उदाहरण के लिए, एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर को रोकने में मदद कर सकता है.

– सुनिश्चित करें कि आप सुरक्षित यौन आदतों को समझते हैं और उन का अनुसरण करते हैं. कई सहयोगियों से यौन संसर्ग करने से बचें और पर्याप्तरूप से सुरक्षा का उपयोग करें. साथ ही, स्वच्छता बनाए रखें.

 – डा. संजय कालड़ा (लेखक भारती अस्पताल, हरियाणा के करनाल में एंड्रोकाइनोलौजिस्ट हैं.) 

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