चाकलेट खाना सभी को पसंद हैं.अक्सर चाकलेट किसी को खाते हुए देख खुद का मन भी , इसे खाने को मचल उठता हैं. अपने दांतों को खराब होने से बचाने के लिए और अपने बढ़ते वजन पर नजर रखने के कारण ,हमें अपने को रोकना होता हैं .किन्तु डार्क चाकलेट खाने के बहुत से फायदे हैं .कोको पदार्थ से बनी चाकलेट में बहुत से पोष्टिक तत्व होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं .
कोको की विशेषता
जिस कोको पेड़ से डार्क चोकलेट बनाई जाती हैं, उस पेड़ में एंटी औक्सिडेंट ,मैग्निशियम ,लोहा ,पोटेशियम ,जिंक के अलावा भी बहुत से पोषक तत्व मौजूद हैं .इसके अतिरिक्त इसमें थोड़ी सी मात्रा में कैफीन भी होती हैं .इसीलिए चाकलेट थोड़ी सी मात्रा में खाने पर भी , ये हमें भरपूर उर्जा से भर देती हैं . हमारे शरीर को उर्जावान रखने के लिये हमें एंटी ओक्सीडेंट की खुराक की जरूरत होती हैं . शोध से यह साबित हो चूका हैं कि ब्लूबेरी की तुलना में कोको में बेहतर एंटी ओक्सीडेंट हैं .
डार्क और सुगर फ्री, चाकलेट डायबिटीज के मरीजों के लिये भी फायदेमंद हैं .इसकी प्रकृति उत्तेजक होने के कारण ,ये पित्त और इन्सुलिन के स्राव को प्रभावित करती हैं .जिससे डायबिटीज के स्तर को कम करने में, सहायता मिलती हैं .
डिप्रेशन और तनाव में भी बेहद फायदेमंद हैं .हम सभी अपने स्वभाव के उतार चड़ाव से पीड़ित रहते हैं कभी मन बेहद उदास या चिडचिडा हो जाता हैं .डार्क चाकलेट ऐसी स्तिथि में अत्यंत लाभदायक हैं.इसमें मौजूद कोको पौलिफेनोल्स के सेवन से गुड कोलेस्ट्रोल में वृद्धि होती हैं.डार्क चाकलेट में मौजूद तत्व मस्तिष्क को स्वस्थ्य रखने में सहायक हैं .
लीन बार
हरियाणा के टॉपर रहे देवांश जैन ने ,२०१८ में लम्बे शोध के बाद ऐसी चाकलेट का निर्माण किया हैं कि जो वजन कम करने में सहायक हैं .इन्होंने चोको ,सिपिरुलिना ,बादाम,किशमिश और म्यूसली के सफल मिश्रण से यह चाकलेट तैयार की हैं .जिसे बाद में स्टार्ट अप का रूप दे दिया . आज ऑनलाइन ‘द हेल्दी ’ के जरिये पचास हजार से ज्यादा उपभोक्ता इस चाकलेट को खरीद चुके हैं .
देवांश का कहना हैं कि महिने भर, एक चाकलेट सुबह नाश्ते में खाये तो वजन में छह से आठ किलो तक कमी आ सकती हैं .यह मेटाबालिज्म को बढ़ाने में भी मददगार हैं .देवांश के मुताबिक उनकी चाकलेट को भारतीय खाध्य संरक्षा एवम मानक प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त हैं .
चाकलेट के नुकसान
डार्क चाकलेट में कैफीन की मात्रा अधिक मात्रा में होती हैं .इसीलिए इसका सीमित मात्रा में ही उपयोग किया जाना चाहिए . इसके अत्यधिक सेवन से अनिंद्रा , डीहाईड्रेसन ,सिर चकराना ,मितली आना,वजन बढ़ना जैसे विकार उत्पन्न हो जाते हैं .
अति किसी भी चीज़ की अच्छी नहीं होती हैं यही बात चाकलेट पर भी लागू होती हैं . प्रतिदिन एक या दो टुकड़े ही डार्क चाकलेट का सेवन करना चाहिए . सेवन के लिए आप अपने डॉक्टर्स से भी परामर्श कर सकते हैं. हाई ब्लडप्रेशर के लोगों को इससे दिक्कत हो सकती हैं .डार्क चाकलेट का अत्यधिक सेवन आपको लती बना देता हैं . साधारण चाकलेट में सुगर की मात्रा अत्यधिक होती हैं जो दांतों के लिए और शरीर के लिए नुकसानदायक होती हैं .यदि सोच विचार कर, सीमित मात्रा में डार्क चाकलेट का सेवन करें तो इसके गुणों से लाभ उठाया जा सकता हैं .
डार्क चाकलेट का चुनाव
चाकलेट की लिखी एक्सपायरी डेट अवश्य देखे .
ऑर्गेनिक ब्रांड और अच्छे ब्रांड की चाकलेट का चुनाव अति उत्तम रहता हैं .
पैक में अंकित फैट ,चीनी व् फ्लेवर की मात्रा को देखे .
डार्क चाकलेट में ७० प्रतिशत तक कोकोआ की उपस्तिथि फायेदेमंद हैं . जिसमे सुगर की मात्रा कम हो .
अपने स्वाद और सेहत के हिसाब से भी आप ,डार्क चाकलेट में मौजूद कोको की मात्रा का चयन कर सकते हैं .
सुरक्षित रखे
फ्रिज़ में ६५ से ८३ डिग्री f के बीच चाकलेट सुरक्षित रहती हैं
किसी एयर टाईट कंटेनर में सम्भाल कर रखे .
चाकलेट को तेज़ लाईट ,गर्मी व् नमी से दूर रखें .