नारियलपेड़ के फूलों के गुच्छे से जो रस निकलता है वही नीरा है. इस में अल्कोहल की मात्रा बिलकुल नहीं होती और यह अत्यंत पौष्टिक व स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. यह आयरन से भरपूर और ऊर्जादायी भी है. कुल मिला कर यह ताजगी, चुस्तीफुरती और नवजीवन प्रदान करने वाला पेय है. इस की खूबी यह है कि यह वसा और कोलैस्ट्रौल से मुक्त है. इस का ग्लाइसिमिक इंडैक्स मात्र 35 है, जो अधिकांश फलों और सब्जियों की तुलना में बहुत कम है. इस से रक्त में शर्करा के स्तर पर इस का प्रभाव बहुत कम होता है, इसलिए यह मधुमेह रोगियों, मधुमेह की पूर्वावस्था वालों और उन के लिए जो खून में शर्करा की मात्रा निश्चित स्तर के पार होने से बचना चाहते हैं, सही है. नीरा जरूरी विटामिन बी12 सहित सभी विटामिनों से भरपूर है. इस में पाए जाने वाले विटामिनों में इनोसिटोल (विटामिन बी8) सब से अधिक पाया जाता है, जो स्वास्थ्यपूर्ण कोशिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक है. यह बेचैनी तथा डिप्रैशन के लिए भी फायदेमंद है. इस में अल्प मात्रा में विटामिन बी12 पाया जाता है, जो दूसरे पेड़पौधों में बिलकुल नहीं पाया जाता. ये सारे बी विटामिन कोशिकीय चयापचय क्रिया में सहायक होते हैं और ऊर्जा प्रदान करते हैं. इस में फास्फोरस, पोटैशियम, नाइट्रोजन, मैग्नीशियम, मैंगनीज, कौपर, जिंक, कैल्सियम और सोडियम आदि खनिज भी होते हैं.

कैसे निकलती है नारियल पेड़ से नीरा

नीरा निकालने के लिए नारियल के बंद फूलों के गुच्छों को बांध कर तैयार किया जाता है. इस के बाद फूलों की नोक काटी जाती है. फिर उन से टपकने वाली नीरा इकट्ठी की जाती है. दरअसल, बंद फूलों की नोक काटने पर उस कटाव की फ्लोयम कोशिका से टपकने वाले रस को नीरा के रूप में इकट्ठा किया जाता है. तंदुरुस्त नारियल पेड़ों के हरेक पत्ते के कक्ष में नियमित रूप से फूलों का गुच्छा निकलता है, अत: साल भर उन से नीरा निकलती है  फूलों के गुच्छे को बांधने के 3 हफ्ते के अंदर उस से बहाव शुरू हो जाता है. रस की मात्रा धीरेधीरे बढ़ जाती है और जब वह अधिकतम हो जाती है तब रस दिन में 2 बार इकट्ठा किया जाता है. एक नारियल पेड़ से नीरा का औसतन उत्पादन प्रतिदिन 2.1 लिटर है.

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