आज देश की राजधानी दिल्ली स्मौग के कहर से जूझ रही है. भयंकर धुंध की वजह से सांस लेने में तकलीफ और सड़कों पर कम होती दृश्यता लोगों की परेशानी का सबब बनी हुई है. लोगों का घर से निकलना मुहाल हो गया है. हवा में घुला ये जहरीला धुआं हमारी सेहत को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दिल्ली की वर्तमान हालत को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है. उसने सरकार को एक पत्र लिखकर सभी तरह के आउटडोर एक्टिविटीज तथा स्कूलों में स्पोर्ट्स एक्टिविटीज को तत्काल रोकने का सुझाव दिया है. साथ ही साथ सभी दिल्लीवासियों को घर से बाहर न निकलने की सलाह भी दी है. ऐसे में यह जानना-समझना बहुत जरूरी है कि ये स्मौग क्या है और इसके कारण और दुष्प्रभाव क्या हैं? आखिर यह किस तरह से लोगों को बीमार बना सकता है? तो आइये जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब-
क्या है स्मौग?
स्मौग एक तरह का वायु प्रदूषण ही है. यह स्मोक और फौग से मिलकर बना है जिसका मतलब है स्मोकी फौग, यानी कि धुआं युक्त कोहरा. इस तरह के वायु प्रदूषण में हवा में नाइट्रोजन आक्साइड्स, सल्फर आक्साइड्स, ओजोन, स्मोक और पार्टिकुलेट्स घुला होता है, जो हमारी सेहत के लिए बेहद ही हानिकारक है.
क्या है स्माग का कारण?
सर्दी के मौसम में हवाएं थोड़ी सुस्त होती हैं. ऐसे में डस्ट पार्टिकल्स और प्रदूषण वातावरण में स्थिर हो जाता है जिससे स्मौग जैसी समस्याएं सामने आती हैं. दिल्ली की सीमाओं (पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा) से लगने वाले क्षेत्रों में बहुतायत मात्रा में कृषि की जाती है. यहां के लोग फसल कटने के बाद उसके अवशेषों को जला देते हैं. इससे निकलने वाला धुआं स्मौग की समस्या उत्पन्न करता है. हमारे द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों से निकलने वाला धुआं, फैक्ट्रियों और कोयले, पराली आदि के जलने से निकलने वाला धुआं इस तरह के वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण होता है. इस बार सुप्रीम कोर्ट से बैन होने के बाद भी लोगों ने राजधानी के बहुत से इलाकों में भारी मात्रा में पटाखे आदि फोड़े. जिससे धीरे धीरे प्रदूषण की समस्या गहराती गई और आज दिल्ली जिस स्मौग के बनने की समस्या से जूझ रही है उसमें इनका भी भारी मात्रा में योगदान रहा है.
स्मौग के दुष्प्रभाव
स्मौग की वजह से सांस लेने में तकलीफ तो होती ही है साथ ही साथ इसकी वजह से अस्थमा, एम्फीसिमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वांस संबंधी समस्याएं अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं. आइये जाने कि इसका हमारे सेहत पर किस हद तक बुरा असर पड़ रहा है.
खांसी और गले तथा सीने में जलन
जब आप हवा में घुले जहर यानी कि स्मौग के संपर्क में आती हैं तो हवाओं में भारी मात्रा में नाइट्रोजन आक्साइड्स, सल्फर आक्साइड्स, ओजोन और स्मोक मौजूद होने की वजह से आपके श्वसन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है. इससे सीने में जलन होती है और खांसी की भी समस्या पैदा होने लगती है. इसकी वजह से फेफड़ों में संक्रमण भी हो सकता है.
अस्थमा में हानिकारक
अगर आप अस्थमा की मरीज हैं तो आपको स्मौग से बचकर रहने की आवश्यकता है क्योंकि स्मौग में मौजूद ओजोन आपके लिए ज्यादा घातक साबित हो सकता है. इसके कारण आपको सांस लेने मे तकलीफ होने के साथ ही अस्थमा का अटैक आ सकता है. इसलिए अस्थमा के रोगी को इससे बचकर रहने की आवश्यकता है.
आइये जाने इससे बचाव का तरीका
स्मौग के दिनों में कम से कम एक्टिव रहने की कोशिश करें. ऐसे मौसम में आप जितना एक्टिव रहेंगे आपको श्वसन संबंधी रोग होने का खतरा उतना बढ़ जाएगा. स्मौग के दुष्प्रभाव से बचने के लिए घर से ज्यादा देर तक के लिए बाहर रहने से बचें. बेहद आवश्यकता पड़ने पर ही घर से बाहर जाएं. बाहर जाने से पहले अपने फेस को पूरी तरह से कवर कर लें या फिर मास्क का इस्तेमाल करें. शहर मे फैले एजेन का स्तर जाने साथ ही बाहर जाने का प्रोग्राम तभी बनाएं जब ओजोन का स्तर कम हो. वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करें. ऊर्जा संरक्षण, कार पूलिंग और पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे अभियानों में सहयोग दें.