डायबिटीज पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है और हर साल लाखों लोगों के इससे पीड़ित होने की संख्या बढ़ रही है, लेकिन इससे भी अधिक चिंताजनक बात है युवाओं में डायबिटीज के मामले का लगातार बढ़ना.

इस बारें में जयपुर के मंगलम प्लस मेडिसिटी हॉस्पिटल के कन्सल्टेंट डायबिटोलॉजिस्ट और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, डॉ. अभिषेक प्रकाश कहते है कि

जब शरीर में ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से थोड़ा अधिक हो, तो उसे प्रीडायबिटीज या बॉर्डरलाइन डायबिटीज कहा जाता है, लेकिन शुगर लेवल इतना ज्यादा भी नहीं होता कि उसे टाइप-2 डायबिटीज़ बताया जा सके. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद- भारतीय मधुमेह अध्ययन (ICMR-INDIAB) के आंकड़े बताते हैं कि, भारत में 10.3% लोग प्रीडायबिटीज से पीड़ित हैं. प्रीडायबिटीज को हलके में न लें, क्योंकि प्रीडायबिटीज के साथ-साथ दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. प्रीडायबिटीज से पीड़ित लोगों को सेहत से जुड़ी दूसरी समस्याएं होने की संभावना भी अधिक होती हैं, जिनमें हाई ब्लड-प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और मोटापा शामिल होता है.

प्रीडायबिटीज के कारण

  • प्रीडायबिटीज कई वजहों से हो सकता है जिनमें, जेनेटिक कारणों के अलावा ख़राब जीवन शैली तथा पर्यावरण से संबंधित कारक शामिल हैं.
  • ख़राब जीवन शैली का प्रीडायबिटीज में सबसे ज्यादा योगदान होता है. इसके कुछ सामान्य कारण इस प्रकार हैं,
  • अधिक वजन या मोटापा प्रीडायबिटीज की सबसे बड़ी वजह है. जरूरत से ज्यादा वजन, खास तौर पर कमर के इर्द-गिर्द अतिरिक्त वजन बढ़ने से इंसुलिन प्रतिरोध विकसित होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.
  • सेहत के लिए हानिकारक आहार मसलन रिफाइन्ड कार्ब्स और चीनी से भरपूर आहार के सेवन से वजन बढ़ने के साथ-साथ इंसुलिन प्रतिरोध भी बढ़ सकता है.
  • आरामदायक जीवन शैली और बेहद कम शारीरिक गतिविधि की वजह से भी इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है.
  • पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) जैसी सेहत से जुड़ी कुछ समस्याएँ भी प्रीडायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकती हैं.

लक्षण

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