काव्या आईटी कंपनी में काम करती है. उम्र 28 साल. अविवाहित है. लौकडाउन के बाद कंपनी ने वर्क फ्रौम होम शुरू कर दिया. शुरू में जैसे हालात थे उन से लगता था कि जिंदगी 2-3 महीने में वापस अपने पुराने ढर्रे पर आ जाएगी. लेकिन कोरोना का ऐसा कहर बरपा कि स्थिति सामान्य होने के बजाय और भी खराब हो गई. काव्या की कंपनी ने सभी को साल के अंत तक वर्क फ्रौम होम करने की हिदायत दी.

शुरू में घर पर रहते हुए काव्या ऐक्टिव थी. सुबह 6 बजे तक उठ जाती थी. वाक पर जाती थी. वाक पर नहीं जा पायी तो घर पर आधा घंटा ऐक्सरसाइज करती. खानपान पर ध्यान देती थी. लेकिन जैसेजैसे वक्त बीतता गया घर पर ही रहते हुए काव्या को आलस ने घेरना शुरू कर दिया. औफिस जाना नहीं था तो सुबह 8-9 बजे तक भी सोई रहती. वाक पर जाना बंद हो गया, क्योंकि 10 बजे तक उसे औफिस कौल पर लैपटौप के आगे बैठना होता था. तलाभुना, अनहैल्दी फूड खाने का चसका कुछ ज्यादा ही लग गया. टाइम की कोई पाबंदी नहीं, इसलिए वक्तबेवक्त खाने के लिए मुंह चलता ही रहता.

कहां तो पहले 9 बजे तक डिनर कर 11 बजे तक हर हाल में सो जाती थी, लेकिन अब डिनर करने का कोई टाइम ही नहीं था. देर रात तक वैब सीरीज देख कर अपनी नींद खराब करती और इसलिए सुबह देर से उठती.

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अब अकसर उस का पेट खराब रहने लगा था. कुछ दिन से महसूस कर रही थी कि कुछ मेहनत वाला काम करती है तो जल्दी थक जाती है.

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