अगर आप यह सोच रही हैं कि आप घर में रहती हैं, इसलिए आप प्रदूषण से दूर हैं तो यह आप की भूल है, क्योंकि लंदन के रोफील्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों के अनुसार, किचन में धुएं की सही निकासी न होने पर आप के घर में बाहर से तीन गुना ज्यादा प्रदूषण होता है और यह ज्यादातर इलैक्ट्रिक बर्नर से ही होता है. इस प्रदूषण से आप को गले में खराश, सिरदर्द, चक्कर आना, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

भारतीय मसाले न सिर्फ स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं. लेकिन जहां इन से खाने का जायका बढ़ जाता है, वहीं किचन में तेलमसालों वाला खाना बनाते समय काफी धुआं भी होता है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक साबित होता है.

महिलाओं का काफी समय किचन में ही बीतता है. ऐसे में उन के स्वास्थ्य के लिए कोई ऐसा उपकरण जो किचन में मौजूद धुएं को पलभर में बाहर कर किचन को प्रदूषणमुक्त कर दे तो वह है चिमनी.

पहले भारतीय घर बड़े होते थे और रसोईघर आमतौर पर खुले में बनाया जाता था ताकि रसोई का धुआं घर में न फैले, मगर जैसेजैसे आबादी बढ़ रही है परिवार फ्लैटों में सिमटने लगे हैं, जिन में हवा और रोशनी की कमी होती और लोग स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के शिकार होते हैं. इन से बचने के लिए बेहतर वैंटिलेशन के साथ ही सही ढंग से इलैक्ट्रिक उपकरणों को साफ करने की भी जरूरत है ताकि घर के भीतर प्रदूषण न हो.

1. किचन में प्रदूषण के कारण

अब किचन सिर्फ गैस तक ही सीमित नहीं रही है. अब पुरानी किचन मौड्युलर किचन में बदलती जा रही है, जिस में टोस्टर, माइक्रोवेव ओवन व अन्य ढेरों चीजें रखी जाती है. लेकिन जहां ये इलैक्ट्रौनिक उपकरण समय की बचत करते हैं वहीं इन से प्रदूषण भी फैलता है, जो बाहर के प्रदूषण से कहीं ज्यादा खतरनाक होता है. आइए, जानते हैं इस बारे में:

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