यूं तो दीवाली की रात को हम जिस तरह से पटाखों की रात बना देते हैं, वैसे में हर साल यूं ही दीवाली की रात सांस से पीड़ित मरीजों के लिए कयामत की रात बन जाती है. लेकिन इस साल कोरोना के चलते यह खतरा पहले से कहीं ज्यादा है, विशेषकर दिल्ली और दिल्ली के आसपास के इलाको में. इसे इस बात से भी जान सकते हैं कि तीन महीनों के बाद रोजाना आने वाले कोरोना पीड़ितों के मामले अक्टूबर के चैथे और आखिरी सप्ताह में काफी कम हुए. जहां अक्टूबर की शुरुआत तक हर दिन औसतन 1 लाख कोरोना के मरीज सामने आ रहे थे, वहीं अक्टूबर 2020 के आखिरी हफ्ते में ये घटकर 50 हजार से नीचे पहुंच गये. लेकिन इसी दौरान दिल्ली के हमेशा की तरह पराली जनित वायु प्रदूषण से घिर जाने के कारण देश के बाकी हिस्सों से उलट राजधानी में कोविड संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ.

जिस दिल्ली में अक्टूबर के तीसरे हफ्ते तक औसतन 1300 से 1500 तक ही संक्रमण के नये मामले सामने आ रहे थे, वहीं 28-29 अक्टूबर 2020 को ये मामले बढ़कर 5,000 के ऊपर चले गये. ऐसे में डाॅक्टरों को आशंका है कि अगर हमने दीवाली में संयम न रखा तो कोरोना की भयानक लहर आ सकती है. कुछ जानकारों के मुताबिक यह तीसरी लहर होगी, तो कुछ इसे दूसरी लहर बता रहे हैं. बहरहाल समस्या लहर के नाम पर नहीं है, समस्या यह है कि दिल्ली जैसा शहर जो वायु प्रदूषण को लेकर बेहद संवेदनशील है, वह इस बार दीवाली के पटाखा उल्लास को कैसे झेलेगा?

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