बिजनैस छोटा हो या बड़ा हमें औफलाइन ग्राहकों के साथसाथ औनलाइन ग्राहकों को भी ध्यान में रख कर अपनी व्यवसायिक रणनीति तय करनी होती है, तभी ज्यादा से ज्यादा फायदा हो सकता है क्योंकि आज हर किसी के मोबाइल में असीमित डाटा है. अब ज्यादातर काम औनलाइन ही हो रहे हैं. तभी तो क्लाउड किचन बिजनैस भारत और दुनियाभर में सब से ट्रैंडिंग बिजनैस में से एक है.
क्लाउड किचन जिसे अकसर ‘घोस्ट किचन’ या ‘वर्चुअल किचन’ के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार का ऐसा रैस्टोरैंट है जहां सिर्फ टेक अवे और्डर ही दिए जा सकते हैं. औनलाइन फूड और्डरिंग सिस्टम के माध्यम से ग्राहकों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए एक व्यवसाय स्थापित किया जाना ही क्लाउड किचन है. जोमैटो और स्विग्गी जैसे फूड डिलीवरी ऐप्लिकेशंस का इन से टाईअप होता है.
2019 में भारत में लगभग 5,000 क्लाउड किचन थे. औनलाइन फूड और्डरिंग ऐप्स और वैबसाइटों के सहयोग से क्लाउड किचन को बड़ा समर्थन मिला है. आज भारत में 30,000 से अधिक क्लाउड किचन हैं.
सही प्लानिंग करें
आप महज क्व5 से 6 लाख में इस काम की शुरुआत अच्छे स्तर पर कर सकते हैं. महिलाएं भी इस बिजनैस में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं. हम ने बात की ऐसे ही एक क्लाउड किचन ‘द छौंक’ की कोफाउंडर मंजरी सिंह और हिरण्यमि शिवानी से. कोविड-19 के समय जब लोग अपने घरों में बंद थे तब हिरण्यमि शिवानी भी फंस गई थीं और अपने घर नहीं जा पाई थीं. उसी दौरान उन्हें क्लाउड किचन शुरू करने का खयाल आया. वह बिहार से ताल्लुक रखती हैं. इसलिए उन्होंने लोगों को घर के खाने का स्वाद देने खासकर स्वादिष्ठ बिहारी भोजन उपलब्ध कराने के मकसद से बिहारी कुजीन के साथ जुलाई, 2021 में ‘द छौंक’ की शुरुआत गुरुग्राम से की. इस काम में उन की बहू मंजरी सिंह ने भी साथ दिया और दोनों ने मिल कर इस बिजनैस में कदम रखा.
बढ़ चुका है काम
मंजरी सिंह बताती हैं कि शुरू में उन्होंने अपना बिजनैस घर से ही शुरू किया था और घर में ही खाना तैयार कर के औनलाइन फूड डिलीवरी ऐप्प के द्वारा लोगों को खाना डिलीवर करते थे. आज दिल्ली/एनसीआर में उन के 5 आउटलेट्स हैं. अधिकांश सिस्टम औटोमेटिक और औनलाइन है. स्विगी, जोमैटो के साथ भोजन की डिलीवरी के लिए जुड़े हुए हैं.
अभी सालाना टर्नओवर लगभग 2 करोड़ प्रोजेक्टेड है और इस साल 15-16% प्रौफिट ऐक्सपेक्ट कर रहे हैं. अभी उन के पास कुल
28 स्टाफ है जिन में से 6 स्टाफ बैक औफिस में है और बाकी किचन में है.
जाहिर है आज काम काफी बढ़ चुका है. महिला होने की वजह से सिर्फ एक मुश्किल यह होती है कि वे सोर्सिंग में बहुत ज्यादा इन्वौल्व नहीं हो पाती हैं. रा मैटेरियल जैसे सब्जी, मसाले, अनाज आदि सोर्स करने होते हैं. मार्केट में कुछ नई चीज आई हो तो वह भी देखने जाना होता है. मगर ज्यादातर मंडियां बहुत क्राउडेड और इंटीरियर एरिया में होती हैं जहां महिलाएं बारबार नहीं जा पातीं.
वैसे भी दोनों होम मेकर हैं और साथ ही बच्चों का भी ध्यान रखना होता है. इस समस्या से निबटने के लिए उन्होंने सोर्सिंग मैनेजर और कई कर्मचारी रखे हैं जो इन चीजों में उन की काफी मदद करते हैं.
इस के अलावा कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा है.
जीएसटी और फाइनैंशियल इश्यूज
रैस्टोरैंट और क्लाउड किचन बिजनैस में 5% जीएसटी लगाया जाता है. अगर और्डर जोमैटो और स्विग्गी के जरीए आ रहा है तो एग्रीगेटर्स जीएसटी रिटर्न फाइल करेंगे. अगर वैबसाइट के माध्यम से और्डर आ रहा है तो क्लाउड किचन को 5% जीएसटी सरकार को जमा करना होगा. इस के अलावा कोई अप्रत्यक्ष कर शामिल नहीं हैं. यही कारण है कि हम देखते हैं कि क्लाउड किचन उद्योग में कोई कर विनियमन जटिलताएं नहीं हैं.
किस तरह की परेशानियां आ सकती हैं
– ऐग्रीगेटर के हाई कमीशन (करीब 30%) के कारण यह बहुत कम मार्जिन वाला व्यवसाय है. इसलिए रिटर्न की तुलना में तकनीकी खर्च बहुत अधिक है. ग्राहक से डायरैक्ट संपर्क का अभाव होता है. प्रतिक्रिया और समीक्षा के लिए ग्राहकों के साथ कोई सीधा संवाद नहीं. ऐग्रीगेटर्स कस्टमर का डायरैक्ट कौंटैक्ट नहीं देते.
– यही नहीं इस फील्ड में बहुत सारे ब्रैंड और कैटेगरीज आ गई हैं इसलिए बहुत प्रतियोगिता है. एक क्लाउड किचन का लिमिटेशन 6 से 7 किलोमीटर का होता है. इतनी दूरी में ही करीब 2-3 हजार रैस्टोरैंट्स हैं. लिमिटेड लोकेशन में
1000+ब्रैंड्स हैं. इस वजह से कस्टमर को बहुत से औप्शन मिलते हैं. ऐसे में आप को मार्केटिंग पर काफी खर्च करना होता है ताकि आप का रैस्टोरैंट ऊपर दिखे. बहुत से औफर देने पड़ते हैं. इस से प्रौफिट का काफी हिस्सा ऐसे ही चला जाता है.
– अधिकांश ब्रैंड संगठित नहीं हैं और भोजन और काम करने का तरीका और्गनाइज्ड नहीं है. रसोइया/स्टाफ कम सैलरी में अपनी नौकरी बदलते रहते हैं जिस से स्वाद को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है. न्यू स्टाफ को बारबार ट्रेंड करना पड़ता है. ट्रेंड होने के बाद वे कहीं और चले जाते हैं इस से हमारा लौस होता है. उपभोक्ता सेम नहीं होते हैं और बड़ी संख्या में ब्रैंडों के कारण वे भी बदलते रहते हैं. इसलिए विज्ञापन पर खर्च बहुत अधिक होता है.
-क्लाउड किचन के लिए कोई अलग सरकारी नीति नहीं है और उन्हें अभी भी डाइन इन रेस्तरां के रूप में माना जा रहा है जबकि दोनों बहुत अलग हैं. उन का कमीशन कम जाता है. प्रौफिट मार्जिन ज्यादा है जिस से पौलिसी उन के फेवर में चली जाती है.
ये परेशानियां सामान्य किस्म की हैं जो हर बिजनैस में किसी न किसी रूप में आती ही हैं. हर बिजनैस के अपने फायदे और नुकसान होते हैं. जहां तक क्लाउड किचन की बात है तो इस के कई फायदे भी हैं:
इस में कम इन्वैस्टमैंट में ज्यादा प्रौफिट
की अपेक्षा की जा सकती है. काम करना भी आसान होता है और आप घर संभालते हुए यह काम कर सकते हैं. अन्य पारंपरिक रेस्तरां और डाइनिंग की तुलना में क्लाउड किचन में मैटेरियल मैनेजमैंट कौस्ट, ओवरहेड कौस्ट, लेबर कौस्ट बहुत कम है. यहां केवल खाना बनता है और पैक हो कर डिलीवर हो जाता है, जिस से ज्यादा कर्मचारी नहीं रखने होते और साफसफाई में भी कम मेहनत लगती है.
शौक को बनाएं बिजनैस
क्लाउड किचन के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है और इसे शहर के किसी भी हिस्से में स्थापित किया जा सकता है. महिलाएं घर से भी शुरुआत कर लेती हैं. आप को सिर्फ इस बात का खयाल रखना है कि आप का घर शहर के व्यवसायिक क्षेत्र में होना चाहिए. बाद में व्यवसाय बढ़ने पर अलग जगह ले सकते हैं.
लौंग टर्म प्रौफिट
आप यदि चाहें तो औफलाइन बाजार भी खोल सकते हैं जैसे कि किसी रैस्टोरैंट को रैगुलर सप्लाई करना, हौस्टल और कौरपोरेट औफिस तक रोज लगने वाले टिफिन की जरूरत को पूरा करना, पार्टियों के कैटरिंग और्डर लेना आदि. वहीं त्योहारों के समय कुछ खास तरह के पकवानों के और्डर ले सकते हैं.
भारत में क्लाउड किचन शुरू करने की प्रक्रिया
स्थान: आप के पास एक ऐसा स्थान ऐसा होना चाहिए जहां आप अपने द्वारा पेश किए जाने वाले फूड की बड़ी डिमांड की अपेक्षा कर सकें. साथ ही आप को उस स्थान पर व्यवसाय चलाने की सारी सुविधाएं भी मिलें.
लाइसेंस: बिना लाइसेंस के कोई भी व्यवसाय स्थापित करना असंभव है. क्लाउड किचन शुरू करने के पहले कुछ लाइसेंस की आवश्यकता होती है. इस में शामिल हैं:
– एफएसएसएआई लाइसेंस
– जीएसटी रजिस्ट्रेशन
– लेबर लाइसेंस
– फायर क्लीयरैंस
रसोई के उपकरण: हमें काम शुरू करने के लिए स्टोव, ओवन, माइक्रोवेव, डीप फ्रीजर, रैफ्रिजरेटर, चाकू जैसे रसोई के उपकरण जरूरत पड़ते हैं.
पैकेजिंग: खाना कितना भी स्वादिष्ठ या अच्छी तरह से पका हुआ क्यों न हो जब तक इसे अच्छी तरह से पैक नहीं किया जाता है यह बाजार में ज्यादा नहीं बिकता है. इसलिए आकर्षक पैकेजिंग भी जरूरी है.
औनलाइन कनैक्टिविटी: इंटरनैट और मोबाइल फोन की आवश्यकता होगी क्योंकि डिजिटल रूप से सक्रिय रहना होगा.
मार्केटिंग: आप को जोमैटो और स्विग्गी जैसी फूड वैबसाइटों के साथ रजिस्ट्रेशन करना आवश्यक होगा क्योंकि उन के पास लाखों ग्राहक हैं, जो अपना और्डर देते हैं.
कर्मचारी: रसोई के लिए स्टाफ सदस्य का चयन क्लाउड किचन की स्थापना में सब से महत्त्वपूर्ण पहलुओं में से एक है. आप को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अच्छी तरह से प्रशिक्षित, कुशल स्टाफ हों जो आप के क्लाउड किचन के कामकाज को अच्छी तरह संभालने के लिए आवश्यक कौशल रखते हैं.
इस के बाद रा मैटेरियल, वेंडर्स और मैनपावर फाइनल किए जाते है. सारे लाइसेंस आते ही काम शुरू किया जा सकता है.