Content Creators in India: “साड़ी वाली दीदी आई, सैलरी चुराने आई”, “सच बोलना अब जोक बन गया है, और जोक बोलना जुर्म”, “हम होंगे कंगाल”, ये गाने और लाइनें मशहूर और उस से ज्यादा विवादित स्टैंडअप कौमेडियन कुनाल कामरा की हैं, जो अकसर राजनीतिक स्टैंडअप कौमेडी करते हैं और चर्चाओं में रहते हैं. बीते दिनों उन्होंने ‘नया भारत’ नाम से 45 मिनट का एक स्टैंडअप यूट्यूब पर अपलोड किया जिस में ये लाइनें थीं जो कुछ ही मिनटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं.
36 वर्षीय स्टैंडअप कैमेडियन ने अपने आखिरी शो में शिंदे के राजनीतिक कैरियर पर कटाक्ष किया था. कामरा ने फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के एक गाने की पैरोडी की थी, जिस में शिंदे को गद्दार कहा गया. कामरा का वीडियो सामने आने के बाद 22 मार्च की रात शिवसेना शिंदे गुट के समर्थकों ने मुंबई हैबिटेट कौमेडी क्लब में जम कर तोड़फोड़ की और उन के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई. उन पर आरोप लगाया गया कि कौमेडी को नाम पर वे सरकार की बुराई कर रहे हैं.
इस मामले को एक बड़े यूथ तबके ने फ्रीडम औफ स्पीच माना और बड़ी संख्या में उन्हें सपोर्ट किया. हुआ यह कि कुनाल कामरा के आमतौर पर जो स्टैंडअप 2-3 मिलियन की रीच पाते हैं उस में उन्हें डेढ़ करोड़ व्यूज मिल चुके हैं.
सोशल मीडिया में जहां डांस रील्स, ट्रैंडिंग औडियो, फैशन कंटैंट और ट्रैवल व्लौग्स ही दिखाई देते हैं वहां ऐसे कंटैंट भी देखने को मिलते हैं जो विवाद तो पैदा करते ही हैं, साथ में क्रिटिकल भी खूब देखे व सुने जाते हैं. परिणाम यह कि डांस रील या फैशन रील बनाने वाले इन्फ्लुएंसर्स जहां 4-6 महीने ट्रैंड में रह कर दम तोड़ जाते हैं और कहीं खो जाते हैं वहीं कुछ हट कर काम करने वाले लंबे समय तक सोशल मीडिया पर बने रहते हैं. ऐसा कंटैंट जो लोगों को सोचने पर मजबूर करे. ऐसा कंटैंट जो क्रिटिकल हो, सच्चाई के साथ हो और जनता के काम का हो.
ये चलते ही इसलिए हैं क्योंकि ये थोड़े यूनीक तरीके से अपनी बातें कह रहे हैं और जरूरी यह कि वे बातें कह रहे हैं जो सुनाई कम दे रही हैं.
ये क्रिएटर्स करते क्या हैं?
यर लोग किसी पार्टी का प्रचार नहीं करते, बल्कि जो सामने है, उसे बिना डर के दिखाते हैं. इन का कंटैंट सरकाज्म से भरा होता है यानी सटायर जिस में हास्य के जरिए गंभीर सवाल उठाए जाते हैं.
भारत की रेंटिंग गोला उर्फ शमिता यादव अपने वीडियो में नेताओं की स्पीच, सरकारी फैसलों और न्यूज चैनल्स की प्रोपगंडा रिपोर्टिंग को कटपेस्ट कर के नया, मजेदार और सोचने लायक वीडियो बना देती हैं. शमिता के इंस्टाग्राम, यूट्यूब और ट्विटर पर लाखों फौलोअर्स हैं. कुनाल कामरा केस के बाद उन्होंने और तेजी से अपने कंटैंट को पोस्ट करना शुरू कर दिया.
रैंटिंग गोला अपने एक इंटरव्यू में बताती हैं कि उन्हें सरकार के बारे में लोगों से बात करना काफी इंट्रैस्टिंग लगता था. धीरेधीरे उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए वीडियो पोस्ट करना शुरू किया. उस के बाद राजनेताओं की मिमिक्री करना शुरू किया और लोगों को वह सब काफी पसंद भी आने लगा. बता दें कि रैंटिंग गोला पौलिटिकल कंसल्टैंट के तौर पर काम करती थीं, अब वे फुलटाइम सोशल मीडिया कंटैंट बनाती हैं.
रैंटिंग गोला के अलावा देश में और भी कई फेमस स्टैंडअप कौमेडियन हैं. उन में वरुण ग्रोवर का नाम भी ऊपर आता है. वे अपनी कविता और स्टैंडअप के जरिए करप्शन, सैंसरशिप और लोकतंत्र की हालत पर कटाक्ष करते हैं. हाल में उन्होंने ‘कौमेडी इज डिफिकल्ट’ नाम से एक स्टैंडअप अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया, जिसे 20 लाख लोग देख चुके हैं. इस वीडियो में उन्होंने पौलिटिकल सटायर किए हैं.
बता दें, वरुण ग्रोवर के यूट्यूब पर 10 लाख सबस्क्राइबर्स हैं. वे अकसर एंटी स्टैब्लिश्मेंट कंटैंट डालते रहते हैं जिन्हें खूब पसंद किया जाता है.
हाल में ‘सुपरबौयज औफ मालेगांव’ फिल्म की स्क्रिप्ट उन्होंने लिखी. वे डाक्यूमैंट्री स्टाइल में असली मुद्दों पर रिसर्च कर के वीडियो बनाते हैं, जैसे बेरोजगारी, पेपर लीक, किसान आंदोलन, मीडिया की गिरावट आदि. उन की कविताएं जैसे ‘हम कागज नहीं दिखाएंगे…’ जिस में खूब व्यंग्य था, काफी चर्चित रहा.
वरुण ग्रोवर का कहना है, “लोकतंत्र में अगर कोई सवाल नहीं पूछता, तो फिर वह लोकतंत्र नहीं रहता.”
जहां एक तरह लोग जल्दी वायरल होने के लिए कुछ भी ऊटपटांग कंटैंट बनाते हैं, कुछ अपने जिस्म की नुमाइश करते हैं वहां इतना रिस्की कंटैंट बनाना चैलेंज से कम नहीं. यही चैलेंज इन्हें औथेंटिक बनाता है, क्योंकि इस में कई रिस्क होते हैं, जैसे-
-वीडियो हटाया जा सकता है
-चैनल बंद हो सकता है
-पुलिस केस या लीगल नोटिस आ सकता है
-ट्रोल्स और आईटी सैल की औनलाइन गालियां मिल सकती हैं
फिर भी ये क्रिएटर्स बोलते हैं. इन्हें सुनने वाले टाइमपास के लिए नहीं आते बल्कि इन से कुछ काम का ले कर जाते हैं. यही कारण भी है कि भले इन के व्यूअर्स बहुत अधिक नहीं होते पर वे इन के साथ स्टिक रहते हैं और लगातार बने रहते हैं. जैसे, एक क्रिएटर ने कहा था- “लोग अब मीम से ज्यादा सच्चाई जानने में इंट्रैस्टेड हैं.”
मिलती हैं धमकियां, फिर भी बोलते हैं क्यों?
कई क्रिएटर्स को ट्रोलिंग, लीगल नोटिस और यहां तक कि गिरफ्तारी तक का सामना करना पड़ा है. लेकिन फिर भी वे पीछे नहीं हटते. और यही चीज उन के औडियंस को सब से ज्यादा इंस्पायर करती है.
कुनाल कामरा, वरुण ग्रोवर और ध्रुव राठी इन सभी का सोशल मीडिया पर अच्छाखासा फैनबेस है. लोग इन्हें सपोर्ट करते हैं. कुनाल कामरा के केस के बाद उन की वीडियोज पर भारीभरकम व्यूज आने लगे. यहां तक कि जब उन पर एफआईआर दर्ज हुई तो उन के फैंस ने कमैंट सैक्शन पर पैसे डोनेट करने शुरू कर दिए और लिखा कि आप वीडियो बनाते रहिए, आप के वकील के पैसे हम देंगे.
यानी, अब लोग सिर्फ हंसीमजाक ही नहीं, बल्कि ऐसे कंटैंट को ज्यादा पसंद करते हैं जिस में इंडिपेंडैंट वौयस हो और बिना किसी डर के सच्चाई सामने रखी गई हो.