Brother Sister Relationship: दिल्ली के नेब सराय इलाके में एक भाई ने अपनी बहन और मांबाप को मौत के घाट उतार दिया. आरोपी के मातापिता की शादी की 27वीं सालगिरह थी. मृतकों की पहचान राजेश कुमार (51), कोमल (46) और कविता (23) के रूप में हुई थी. राजेश कुमार सेना से रिटायर थे और फिलहाल सिक्योरिटी औफिसर के रूप में काम कर रहे थे. उन की पत्नी हाउसवाइफ थी और बेटी पढ़ाई कर रही थी.
पूछताछ में पता चला कि पिता उसे पढ़ाई के लिए डांटते रहते थे. लेकिन उस का मन पढ़ाई में नहीं लगता था. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने घर के बाहर कई लोगों के सामने उसे पीटा था. इतना ही नहीं, वह घर में भी अलगथलग महसूस करता था. उस ने यह भी बताया कि घर में मम्मी और बहन भी उसे सपोर्ट नहीं करती थीं. उसी दौरान उसे पता चला कि पिता पूरी प्रौपर्टी उस की बहन के नाम कर रहे हैं तो वह नाराज हो गया और उस ने उन्हें मारने का फैसला कर लिया. उस ने सब से पहले अपनी बहन की सोते समय गला काट कर हत्या कर दी. फिर वह ऊपर गया जहां उस ने अपने पिता की गरदन पर चाकू मारा. उस के बाद उस ने वाशरूम गई अपनी मां का गला काट दिया.
इसी तरह की कई घटनाएं आएदिन सुनने को मिल जाती हैं कि प्रौपर्टी के लिए बहन ने भाई को मार डाला या घर में बहन को ज्यादा इज्जत मिलने से भाई ने बहन को ठिकाने लगा दिया.
हम बचपन से सुनते और देखते आए हैं कि भाईबहन का रिश्ता दुनिया के सब से अनमोल और प्योर रिश्तों में से एक माना जाता है. यह एक ऐसा रिलेशन होता है जिस में बचपन की शरारतें, प्यार, मस्ती, एकदूसरे की चिंता और साथ ही कभीकभी नोकझोंक भी शामिल होती है. बचपन से ही भाईबहन एकसाथ बड़े होते हैं, एक ही छत के नीचे खेलते हैं, झगड़ते हैं, फिर मान जाते हैं.
इन दोनों के रिलेशन को मांबाप का प्यार और संस्कार दोनों को एकसाथ आगे बढ़ाने में मदद करता है. लेकिन कई बार सिचुएशन ऐसी हो जाती है कि इस रिश्ते में कंपीटिशन और जलन की भावना घर करने लगती है. यह भावना धीरेधीरे भाईबहन के रिश्ते को खराब करने लगती है और यदि समय रहते इसे सुलझाया न जाए तो यह ऊपर दी गई घटना का रूप भी ले सकती है.
यह जरूरी नहीं कि जलन की भावना केवल बहन को भाई से हो कि उस के मातापिता भाई को ज्यादा चाहते हैं और सभी सुखसुविधाएं भी उसी को देते हैं. हालिया दौर में यह स्थिति बदल सी गई है. घर में अगर बहन को ज्यादा तवज्जुह मिलती है तो भाई भी खुन्नस से भर जाते हैं.
दोनों में इस जलन की भावना के पीछे कई कारण हो सकते हैं. अकसर देखा जाता है कि मातापिता की अपेक्षाएं, सामाजिक तुलना, पारिवारिक माहौल आदि इस भावना को जन्म देने में आग में घी का काम करते हैं. जब मातापिता किसी एक संतान की उपलब्धियों को ज्यादा महत्त्व देते हैं और दूसरे को इग्नोर करते हैं, तो ऐसा महसूस करने वाला बच्चा धीरेधीरे अपने भाई या बहन से जलन महसूस करने लगता है. यह जलन बचपन से ही मन में घर कर जाती है और बड़े होने के साथसाथ यह भावना और गहरी होती चली जाती है.
कई बार मातापिता अनजाने में ही दोनों बच्चों की तुलना करने लगते हैं. पढ़ाई में कौन बेहतर है, खेलकूद में कौन आगे है, कौन अधिक जिम्मेदार है, किस की नौकरी अच्छी है. यहां तक कि जब बच्चों में उन की शकलसूरत और रंगभेद किया जाता है तब बच्चे के मन में हीनभावना आ जाती है. इस से वह दबा हुआ फील करने लगता है और मन ही मन घुटता जाता है.
यदि किसी एक बच्चे को ज्यादा सराहा जाता है, तो दूसरा बच्चा यह महसूस करने लगता है कि उसे पर्याप्त प्यार और पहचान नहीं मिल रही. यह भावना तब और भी गहरी हो जाती है जब समाज, रिश्तेदार या दोस्त भी इस तुलना को बढ़ावा देने लगते हैं.
कुछ मामलों में पैसा और परवरिश भी भाईबहन के बीच जलन की भावना को जन्म देती है. यदि परिवार में किसी एक भाई या बहन को अधिक सुविधाएं, बेहतर शिक्षा या दूसरे से ज्यादा संपत्ति मिलती है, तो दूसरे को यह लग सकता है कि उस के साथ अन्याय हुआ है. संपत्ति का बंटवारा कई बार भाईबहनों के बीच दुश्मनी का सब से बड़ा कारण बन जाता है.
इस के अलावा, जब कोई भाई या बहन किसी क्षेत्र में बहुत अच्छा कर रहा हो और दूसरा संघर्ष कर रहा हो, तो दूसरे के मन में हीनभावना आ सकती है. यदि मातापिता और परिवार इस अंतर को और बढ़ाने लगते हैं, तो यह भावना जलन का रूप ले सकती है.
ऐसा ही हुआ सुमित और रिया के बीच. सुमित और रिया बचपन से ही हर खुशी और हर मुश्किल में साथ रहते थे. बचपन में साथ खेलना, झगड़ना, फिर मान जाना उन की रोज की आदत थी. लेकिन जैसेजैसे वे बड़े हुए, उन के बीच एक अनकही दूरी आने लगी.
सुमित पढ़ाई में बहुत तेज था, हर परीक्षा में अव्वल आता और घर में उस की खूब तारीफ होती. रिया भी मेहनती थी, लेकिन उस के अंक हमेशा औसत ही रहते. हर बार जब सुमित की तारीफ होती, रिया के मन में यह खयाल आता कि क्या वह अपने मातापिता की पसंदीदा संतान नहीं है? धीरेधीरे यह भावना जलन में बदलने लगी.
समय बीतता गया. सुमित ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर एक बड़ी कंपनी में नौकरी पा ली, जबकि रिया ने एक छोटे से स्कूल में अध्यापिका की नौकरी कर ली. अब रिश्तेदार भी अकसर तुलना करने लगे “सुमित ने तो नाम कमा लिया, रिया बस एक मामूली टीचर रह गई.” ये बातें रिया को अंदर ही अंदर चुभने लगीं.
एक दिन, जब सुमित घर आया तो उस ने मांपापा के लिए एक महंगा उपहार ला कर दिया. मां की आंखों में खुशी के आंसू थे और उन्होंने सुमित को गले से लगा लिया. रिया एक कोने में खड़ी यह सब देख रही थी. उस के मन में जलन का भाव और गहरा हो गया. उसे लगा कि मातापिता को अब उस की कोई परवा नहीं है.
अगले दिन रिया ने सुमित से बिना बात के झगड़ा कर लिया. सुमित को समझ नहीं आया कि आखिर उस की बहन इतनी गुस्से में क्यों है. लेकिन फिर उस ने गौर किया कि रिया उस से पहले की तरह बात नहीं करती, हंसती नहीं और हमेशा चुपचुप सी रहती है.
एक दिन, जब रिया स्कूल से लौटी तो देखा कि सुमित ने उस के लिए एक सुंदर डायरी ला कर रखी थी, जिस पर लिखा था, “मेरी सब से प्यारी बहन के लिए, जो मेरी प्रेरणा है.” यह पढ़ कर रिया की आंखों से आंसू बह निकले. उस ने सुमित से लिपट कर रोते हुए कहा, “भैया, मुझे माफ कर दो, मैं हमेशा यह सोचती रही कि तुम मुझ से बेहतर हो, लेकिन सच तो यह है कि तुम ने हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.”
सुमित ने कहा, “तू मेरी बहन है, रिया. हमारे रिश्ते में तुलना या जलन के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. हम दोनों एक ही परिवार का हिस्सा हैं और हमें हमेशा एकदूसरे की खुशियों में खुश रहना चाहिए.”
उस दिन रिया को एहसास हुआ कि जलन एक ऐसा जहर है जो प्यारभरे रिश्तों को भी धीरेधीरे खराब कर सकता है.
इस वाकेआ में तो समय रहते रिया ने अपनी खटास दूर कर ली. लेकिन कई बार ये छोटीमोटी जलन और मनमुटाव बड़े हादसों का कारण बन जाते हैं. मातापिता का अधिक लगाव भी इस समस्या को बढ़ा सकता है. यदि माता या पिता किसी एक संतान को अधिक प्यार और ध्यान देते हैं, तो दूसरे को यह लग सकता है कि उस के साथ भेदभाव किया जा रहा है.
हालांकि, इस समस्या को हल करने के कई तरीके हो सकते हैं. सब से पहले, मातापिता को चाहिए कि वे अपने सभी बच्चों के साथ समान व्यवहार करें और उन की भावनाओं को समझने की कोशिश करें. क्योंकि अगर मातापिता ही अपने बच्चे को इज्जत नहीं देंगे तो उस के भाईबहन भी उसे कुछ नहीं समझेंगे. किसी भी बच्चे को यह महसूस नहीं होना चाहिए कि वह अपने मातापिता के प्यार और ध्यान से वंचित है. तुलना करने से बचना चाहिए और हर बच्चे की व्यक्तिगत क्षमताओं को पहचान कर उसे प्रोत्साहित करना चाहिए.
भाईबहनों को भी आपस में संवाद बनाए रखना चाहिए. अगर किसी को दूसरे से कोई शिकायत हो तो उसे खुल कर व्यक्त करना चाहिए, न कि मन में जलन की भावना पालनी चाहिए. अकसर गलतफहमियां ही रिश्तों में दरार पैदा करती हैं, इसलिए कम्युनिकेशन की कमी नहीं होनी चाहिए.