ग्लोबलाइजेशन की वजह से फैशन का जलवा चाहे भारत हो या विदेश, हर जगह देखने को मिलता है. फैशन की दुनिया आज इतनी बड़ी हो चुकी है कि हर कोई इसे किसी न किसी रूप में अपनाना चाहता है. चाहे डिजाइनर हो या खरीदार या आम इंसान आज हर कोई फैशन में शामिल होना चाहता है. और ऐसा हो भी क्यों न? आज बौलीवुड से ले कर टीवी तक का हर कलाकार एक बार रैंप पर प्रसिद्ध डिजाइनर के कपड़े पहन कर उतरना चाहता है, जिन्हें डिजाइन करने का मौका जाहिर सी बात है डिजाइनरों को, तो उन्हें देख कर उन्हें अपनाने का मौका हर किसी को मिलता है.

ऐसा ही जलवा इस साल लैक्मे फैशन वीक विंटर फैस्टिव के इंडियन टैक्सटाइल डे पर देखने को मिला, जिस में सभी नामचीन डिजाइनरों ने भारतीय वस्त्र उद्योग को विश्व स्तर तक पहुंचाने की भरपूर कोशिश की. टसर, सिल्क, जामदानी, पेशावरी, सिल्क, बनारसी, रौ सिल्क आदि के दर्जनों भारतीय परिधान अलगअलग रूप में उतारे गए.

डिजाइनर प्रतिमा पांडे के ‘प्रमा’ लेबल ने ‘मिडवे गार्डन’ के दृश्य को साकार किया. इस में नैचुरल फैब्रिक को अधिक महत्त्व दिया गया, इसलिए सिल्क, चंदेरी और मद्रास कौटन चैक्स के ऊपर फ्लोरल ऐंब्रौयडरी का प्रयोग किया गया, जो देखने में काफी ऐलिगैंट थी. इस बारे में प्रतिमा का कहना था कि यह कलैक्शन सन 1920 से प्रेरित है. इस तरह के कपड़े आप किसी भी अवसर पर पहन सकते हैं. यह रैट्रो फैशन की याद दिलाता है और यह स्टाइलिश कलैक्शन हर किसी पर जंचता है.

डिजाइनर श्रुति संचेती के ‘पिनाकेल’ ब्रैंड ने सिल्क के ऊपर बाइबै्रंट कलर और डिजाइन प्रस्तुत किया. श्रुति बताती हैं कि मेरा विंटर कलैक्शन सिल्क को समर्पित था. भारत में सिल्क की बहुत वैराइटी है जिसे लोग जानते नहीं हैं. ऐसे में हम डिजाइनर का फर्ज बनता है कि हम उसे अलगअलग रूप में विश्व स्तर तक पहुंचाएं. मैं ने उत्तर के बनारसी सिल्क और दक्षिण की पोचमपल्ली को नए रूप में उतारा है. इस की रिचनैस को बनाए रखने के लिए जरदोजी, कट वर्क और ऐंब्रौयडरी का प्रयोग किया गया है. त्योहारों के समय इस तरह के चटकदार रंग और परिधान सभी पहन सकते हैं. युवाओं से ले कर वयस्क तक सभी इस तरह के परिधान पहन सकें, इसे सोच कर केवल साड़ी ही नहीं बल्कि स्कर्ट, प्लैजोपैंट, लौंग कुरता, प्लीटिड पैंट, ब्लाउज आदि सभी प्रकार के वस्त्र बनाए गए हैं, जिन्हें हर समय व्यक्ति प्रयोग में ला सकता है.

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