साड़ी भारतीय मूल का एक ऐसा परिधान है जो सब की पहली पसंद है. उत्तर में बनारसी साड़ी का वर्चस्व है, तो दक्षिण में कांजीवरम का. फिल्मी समारोहों में फिल्म अदाकारा रेखा की भारीभरकम पल्लू वाली गोल्डन कांजीवरम सिल्क की साडि़यां हमेशा ही आकर्षण का केंद्र रही हैं. इन के अलावा पूर्व में टंगाइल की बंगाली साड़ी, कांथा वर्क और गुजरात की घरचोला या पाटन की पटोला का बोलबाला है. इन सभी की अपनीअपनी विशेषता है. मां से बेटी को विरासत में मिलने वाली पटोला को बनने में कई महीने तो कभीकभी कई बरस भी लग जाते हैं. साड़ी एक है लेकिन इस के रूप अनेक हैं. इस को विशेष बनाती है इसे पहननेओढ़ने की कला.

रैडीमेड साड़ी

कहीं इसे अंगरखा, धोती की तरह पहनने का चलन है तो कहीं सीधे पल्लू वाली का. इस में पल्लू आगे की ओर रहता है. कहींकहीं 2 कपड़ों की साड़ी पहनी जाती है और तो और बाजार में इन दिनों रैडीमेड साड़ी भी मिलने लगी है. बड़ीबड़ी कंपनियों में काम करतीं ऐक्जीक्यूटिव्स औफिशियल सूट की तरह बड़े ही सलीके से 6 गज की बंधीबंधाई साड़ी ठीक किसी रैडीमेड पैंट की तरह पहनने लगी हैं. पहननेओढ़ने में बहुत ही आसान ये साड़ी बिना किसी झंझट के पहनी जाती है.

कारपोरेट जगत ने इसे एक नया मोड़ दे दिया है. इस में साड़ी का मूल स्वरूप तो वही रहता है, लेकिन थोड़ा सा क्रिएटिव बदलाव के साथ. इस में जिप औन साड़ी, जींस के ऊपर साड़ी और साड़ी विद जैकेट वगैरह खास हैं. साड़ी विद जैकेट में साड़ी प्लेन रंग की है और ऊपर जैकेट कंट्रास्ट कलर में. पाकेट पर बटन या फ्लोरल प्रिंट है. सब से ऊपर गले में फ्लोरल स्कार्फ. इस में आगे से बंद जैकेट और खुले बटन वाले जैकेट भी उपलब्ध हैं.

इंडोवैस्टर्न फ्यूजन

कारपोरेट जगत ने साड़ी का एक और विकल्प दिया है, जिस में पल्लू को अलग से जोड़ा जाता है. यह एक तरह से क्लासिक बिजनैस जैकेट ऐंड स्कर्ट का कौंबिनेशन है. इस में आगे से पल्लू को बाएं कंधे पर जोड़ा जा सकता है. इंडोवैस्टर्न फ्यूजन वाली ये साडि़यां केबीएसएच (करोलबाग साड़ी हाउस) ने कारपोरेट जगत के लिए बाजार में उतारी हैं.

डिजाइनरों का मानना है कि साड़ी तो एक है परंतु इस को विभिन्न तरीकों से पहना जा सकता है.

दिल्ली के हौजखास में बुटीक चला रहीं अशिमा सिंह का मानना है कि स्टिचिंग यूरोपियन कल्चर की खोज है, जबकि कढ़ाईबुनाई और साड़ी ड्रैपिंग भारत, इजिप्ट, यूनान और रोम की. इन जगहों पर कपड़े को बदन के इर्दगिर्द लपेटा जाता था. भारत में तो साड़ी बिना ब्लाउज के पहनी जाती थी. आज भी आदिवासी मूल के लोगों में इसे इसी रूप में पहना जाता है.

साड़ी की देखभाल

जब बाहर से आएं साड़ी उतार कर उसे थोड़ी देर के लिए खुली हवा में छोड़ दें. इस से उस का पसीना निकल जाएगा.

साड़ी अकसर फाल से फटती है. इसलिए साड़ी उतारने के बाद किसी हलके ब्रश की सहायता से फाल में लगी गंदगी उतार दें.

यदि साड़ी में बौलपैन का दाग लग गया हो तो नेलपौलिश रिमूवर से दाग छुड़ा दें, लेकिन कपड़े का टैक्सटाइल और कलर ध्यान में रखें.

टिशू की, जरी वाली और क्रेप, शिफौन, चिनौन साडि़यां हाई ट्विस्ट की श्रेणी में आती हैं. इन का तानाबाना बना ही ऐसा होता है कि आपस में उलझ कर एकदूसरे को काट देता है. इसलिए इन्हें कभी तह लगा कर न रखें. इन्हें रोल कर के रखें.

हैंगर में बिलकुल न टांगें. ऐसा करने से बीच के फोल्ड से ये चिर जाएंगी.

जरी की साड़ी में फिनायल की गोलियां न डालें. इस से रंग काला व धूसर पड़ जाएगा.

जरीदार साड़ी पर परफ्यूम न लगाएं. इस से जरी काली पड़ने का अंदेशा रहता है.

सूती साडि़यों को धो कर कलफ लगाएं. इन्हें भी मलमल के बारीक कपड़े में सहेज कर रख सकती हैं.

इन दिनों बाजार में साडि़यां रखने के लिए खास तरह के लिफाफे भी मिलते हैं. इन में साडि़यां सहेज कर रखें. ऊपर से बंद कर दें. साइड से कोने में हलका सा टक लगा दें. इस से कीड़ा नहीं लगेगा और साडि़यां नई बनी रहेंगी.

यदि आप साडि़यां लकड़ी की अलमारी या बक्से में रख रही हैं तो पहले यह जांच लें उस में कीड़ा या दीमक तो नहीं लगी. यदि ऐसा नहीं है तो उसे के शैल्फ्स पर धूप में सुखाए नीम के पत्ते रखें. फिर शैल्फ्स पर हैंडमेड पेपर या ब्राउन पेपर बिछाएं. इस से कीड़ा नहीं लगेगा.

साडि़यों में महक न आए इस के लिए चाहें तो सुगंधित जड़ीबूटियां, सूखे फूल और पत्ते रख सकती हैं. लौंग व कालीमिर्च के दोनों की महक कीड़ों को दूर रखती है.

बुटीक चला रहीं टैक्सटाइल डिजाइनर आशिमा सिंह कहती हैं कि भारीभरकम साडि़यों को मलमल के कपड़े में लपेट कर रखें. लेकिन रख कर भूल न जाएं. साल में 1-2 बार खोल कर उन की तरह बदल दें. नहीं तो वे तह से बदरंग हो जाती हैं.

बरसात के दिनों में अकसर सीलन हो जाती है. इसलिए बरसात के बाद एक नजर उन पर डालें. कुछ हो तो फौरन ऐक्शन लें.

लमारी में सीलन कतई न हो. इसे धूप लगवाती रहें, अन्यथा सीलन कपड़ों को गला देगी. कभीकभी अलमारी अपनी निगरानी में खुली रखें.

भारी कढाई व जरदोजी वाली साडि़यों को उलटा कर के तह लगाएं. उन्हें यदाकदा पहनती हों तो हैंगर पर ठीक हैं अन्यथा वुडनरौड पर लपेट कर रखें. वे फटेंगी नहीं.

पुराने फैशन को दें नया अंदाज

फैशन के शौकीन खुद को अपडेट रखने के लिए बाजार पर पैनी नजर रखते हैं. भई, बदलते वक्त के साथ अपडेट रहना अच्छी बात भी है. वैसे फैशन खुद को दोहराता है और पुराना फैशन पलट कर नए अंदाज में छा जाता है.

पुरानेनए का मेल आप भी अपने घर बैठेबैठे कर सकती हैं. करीना कपूर ने भी कुछ ऐसा ही किया. उन्होंने अपनी शादी में अपनी सासू मां शर्मिला टैगोर के 50 साल पुराने शादी के जोड़े को आज के फैशन के अनुरूप बदलवा कर अपनी शादी में पहना. आप भी अपनी मां, नानी, दादी की पुरानी साडि़यों को आज के फैशन के मुताबिक ढाल कर नया फैशन अपना सकती हैं.

फैशनेबल लुक कैसे दें

फैशन डिजाइनर नम्रता जोशीपुरा का कहना है कि नित नए फैशन के इस दौर में लोग स्टाइलिश दिखने के लिए कई जतन करते हैं. आप भी घर बैठे कुछ स्टाइलिश और डिफरैंट ड्रैस का आइडिया सोच सकती हैं.

यंग जैनरेशन के लिए

पुरानी साडि़यों में से आप शिफौन, जौर्जेट की फ्लोरल व प्रिंट वाली साडि़यों की मैक्सी, लौंग स्कर्ट अथवा फ्रौक बनवा सकती हैं. वैसे भी आजकल शिफौन, जौर्जेट के टौप खूब चलन में हैं. इस में आप प्लेन या प्रिंटेड कुछ भी बनवा सकती हैं. इस के अलावा आजकल प्लाजो पैंटें भी ट्रैंड में हैं और खूब बिक रही हैं. ये भी शिफौन या जौर्जेट के कपड़े की हैं. आप प्रिंटेड या प्लेन कोई भी पैंट बनवा सकती हैं.

सिल्क की साडि़यों से आप ट्राउजर व जैकेट बनवा सकती हैं. इन की ट्यूनिक, शर्ट आदि खूब जंचती हैं. अगर बौर्डर वाली साडि़यां हैं, तो आप औफशोल्डर टौप भी बनवा सकती हैं. इस में बौर्डर को फ्रंट में गले के पास लगवाएं. इस के अलावा सिल्क की शौर्ट कुरती भी बहुत आकर्षक बन सकती है. प्लेन सिल्क में बौर्डर को गले, आस्तीन पर लगवा कर इसे और खूबसूरत बनवाया जा सकता है.

महिलाओं के लिए

बहुत सी महिलाएं अपनी पुरानी साडि़यों के सलवार सूट बनवा लेती हैं, जिन्हें देखने से साफ पता चल जाता है कि ये पुरानी साडि़यों के बनवाए गए हैं. लेकिन यदि इन्हें बनवाते समय जरा सा स्टाइल दे दिया जाए तो यह एक स्टाइलिश ड्रैस बन सकती है. अगर साड़ी का सूट बनवाना है तो सिर्फ कुरता बनवाएं. लैंगिंग्स अलग से लें. इस से सूट स्टाइलिश भी दिखेगा और साड़ी का बना भी नहीं लगेगा.

हैवी पल्लू वाली साडि़यों के पल्लू निकाल कर उन के ब्लाउज बनवाएं और उस ब्लाउज को शिफौन की प्लेन साड़ी पर पहनें. प्लेन साड़ी के साथ हैवी ब्लाउज का यह स्टाइल बहुत फबेगा. इस के अलावा ऐंब्रौयडरी वाले पल्ले की लहंगे पर पहनने के लिए कुरती बनवाएं, बौर्डर वाली साडि़यों के बौर्डर निकाल कर किसी प्लेन साड़ी में लगाएं तो साड़ी की खूबसूरती और बढ़ जाएगी.

अगर पुरानी प्रिंटेड साडि़यां फट गई हों, तो उन के फटे हिस्से को निकाल कर उस जगह दूसरी प्लेन साड़ी को जोड़ दें. प्रिंटों को चुन्नटों वाले हिस्से में लाएं तो यह एक डिजाइनर साड़ी बन जाएगी. इसी प्रकार प्लेन सिल्क के सूट या ब्लाउज में भी साड़ी के बौर्डर का इस्तेमाल किया जा सकता है.

प्रिंटेड व प्लेन साडि़यों के स्टोल भी बना सकती हैं जो किसी भी ड्रैस के साथ मैच कर सकते हैं. अगर नैट की साडि़यां हैं, तो उन के श्रग बनवा सकती हैं, जो आजकल किसी भी ड्रैस के साथ कैरी किए जा रहे हैं.

नम्रता जोशीपुरा का कहना है कि किसी भी चीज को नया स्टाइल देने के लिए थोड़ा सा दिमाग लगाने से वह चीज स्टाइलिश बन जाती है. आप हैवीवर्क साडि़यों से दुपट्टे भी बना कर प्लेन सूट के साथ ओढ़ सकती हैं. अगर प्रिंटेड साडि़यों के दुपट्टे बनवाती हैं तो उन्हें प्लेन सूटों के साथ कैरी कर सकती हैं.

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