निवेश विकल्प के चयन में अधिकांश निवेशक कन्फ्यूज रहते हैं. निवेशक आसानी से यह निर्णय नहीं ले पाते हैं कि उन्हें किस विकल्प का चुनाव करना चाहिए. इनमें से निवेश से जुड़ी कम जानकारी का होना अहम भूमिका निभाता है, जिस वजह से अक्सर उनका पैसा डूब भी जाता है. बैंक के फिक्स्ड डिपौजिट (एफडी) और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. हम इस खबर में आपको इन्हीं दोनों के बीच तुलना कर बता रहे हैं कि आपके लिए कौन ज्यादा बेहतर है.

पब्लिक प्रोविडेंट फंड बनाम फिक्स्ड डिपौजिट

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ): निवेश के लिहाज से पीपीएफ एक खास स्कीम होती है जिसका मैच्योरिटी पीरियड 15 वर्षों का होता है. हालांकि इसे पांच वर्षों के गुणांक में मैच्योरिटी के एक वर्ष के भीतर अनिश्चित काल तक तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. खास बात यह है कि सब्सक्राइबर पीपीएफ खाते को पोस्ट औफिस से बैंक और बैंक से पोस्ट औफिस ट्रांसफर करते हैं.

बैंक फिक्स्ड डिपौजिट: एफडी ऐसा निवेश विकल्प है जिसे बैंक और गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियां पेश करती हैं. लोग यहां पर सेविंग एकाउंट से ज्यादा ब्याज हासिल कर सकते हैं. सब्सक्राइबर्स निर्धारित अवधि के लिए लंपसम राशि एफडी में निवेश कर सकते हैं. इसकी अवधि सात दिन से लेकर 10 वर्ष तक होती है.

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मैच्योरिटी या लौक इन पीरियड: लौक इन पीरियड वो समय होता है जिसके बाद खाता परिपक्व होता है. पीपीएफ स्कीम के तहत, खाता 15 वर्ष के बाद परिपक्व होता है जबकि एफडी में यह अवधि सात दिन से लेकर 10 वर्ष है.

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