म्युचुअल फंड में अगर आप पहले से इन्वेस्ट कर रही हैं तो यह निवेश आपके लिए बड़े काम का हो सकता है. बैंक और कई एनबीएफसी कंपनियां आपको म्युचुअल फंड में निवेश किए गए पैसों पर लोन देते हैं, जिस पर काफी कम ब्याज लगता है. ऐसे में आप लोन लेकर घर का रेनोवेशन, नए घर की बुकिंग या फिर ऑटो लोन लेने के लिए डाउन पेमेंट कर सकती हैं.

कैसे मिलता है म्युचुअल फंड पर लोन

म्युचुअल फंड में किए गए निवेश के बदले अधिकतर बैंक और एनबीएफसी कंपनियां लोन देती हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की गाइडलाइंस के अनुसार, आपको इस प्रकार का लोन लेने के लिए बैंक या फाइनेंस कंपनी के पास अपनी म्युचुअल फंड यूनिट्स को गिरवी रखना पड़ेगा. यूनिट्स के एनएवी के आधार पर आपको लोन मिलेगा. इसके लिए बैंक या कंपनी आपके द्वारा लिए गए यूनिट्स पर लिन मार्क कर देगी. बैंक या कंपनी आपको एक साल तक के लिए लोन देगा, जो आपको इसी पीरियड में चुकाना होगा.

कितना लगता है इंटरेस्ट

अगर आप पर्सनल लोन की बजाए इक्विटी म्युचुअल फंड पर लोन लेती हैं तो वे आपसे पर्सनल लोन से बहुत कम इंटरेस्ट चार्ज करते हैं. सेबी और आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार बैंक आपसे 10-18 फीसदी के बीच इंटरेस्ट चार्ज कर सकते हैं. बैंक और एनबीएफसी कंपनियां लोन अमाउंट, फंड में मौजूद यूनिट्स की एनएवी और आपके द्वारा पहले लिए गए किसी लोन की रिपेमेंट हिस्टरी को देखकर इंटरेस्ट लेती हैं.

प्राइवेट सेक्टर के प्रमुख बैंकों में से एक- एक्सिस बैंक इक्विटी म्युचुअल फंड पर 10.50 फीसदी से लेकर के 12.5 फीसदी तक इंटरेस्ट चार्ज करता है.

समझिए डायनैमिक और नॉर्मल लिन के बारे में

म्युचुअल फंड में लिन दो तरह से बैंक या एनबीएफसी मार्क करती है. यह नॉर्मल और डायनैमिक लिन होता है. नॉर्मल लिन में आप पहले से अपने फंड मैनेजर को बता देते हैं कि कितने यूनिट्स पर आप लिन मार्क करवाना चाहते हैं. इस तरह के लिन पर डिविडेंड या इंटरेस्ट मिलने पर उस पर लिन मार्क नहीं होगा.

डायनैमिक लिन में डिविडेंड या इंटरेस्ट को रिइन्वेस्ट करने पर वह भी लिन मार्क हो जाएगा. लोन अमाउंट को पूरा पे करने के बाद आपको एक बार फिर से अपने फंड मैनेजर को लिखकर देना होगा कि आपने लोन का पूरा पेमेंट कर दिया है. फंड मैनेजर संबंधित बैंक या कंपनी से पूछताछ करके आपके म्युचुअल फंड पर से लिन हटा देगा.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...